शीतकाल के लिए भगवान केदारनाथ धाम के कपाट बंद

संसार भर के करोड़ों सनातन धर्मियों के लिए अथाह श्रद्धा का केन्द्र भगवान केदारनाथ धाम का कपाट शीतकाल के लिए 15 नवम्बर को पूरी पंरपरा के साथ बंद कर दिया गया। अनादिकाल से शीतकाल में उत्तराखण्ड के इस हिमालयी श्रंृखला में बसे हिन्दुओं के चार सर्वोच्च धामों में प्रमुख श्रीबदरी केदारनाथ के नाम से विश्व विख्यात धाम साल में शीतकाल के छह माह यहां पर पडने वाली भारी वर्फवारी के कारण आम श्रद्धालुओं के लिए बद रहते है। भगवान विष्णु व भगवान शिव के परम दिव्य धाम श्री बदरी नाथ धाम व श्री केदारनाथ धाम  के कपाटें ग्रीष्म कालीन के दौरान आम श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते है। इसी परंपरा के अनुसार सर्दी शुरू होते ही शास्त्र सम्मत दिनवार के  अनुसार भगवान बदरीनाथ व केदारनाथ के साथ साथ गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट भी बंद कर दिये जाते है। छह माह इन धामों में रौनक रहने वाले स्थानों में कपाट बंद होते ही सन्नाटा पसर जाता है। इसी क्रम में 15 नवम्बर बृहस्पतिवार को भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए पूरे विधि विधान के साथ बंद कर दिये। इस अवसर पर देश विदेश के सेकडों श्रद्धालु इस विशेष पूजा अर्चना में सम्मलित होने के लिए केदारनाथ धाम मे इस पूजा के साक्षी रहे। शीतकाल के दौंरान भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में की जाती है। इसी दिन माॅं यमुनोत्री के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये। गौरतलब है कि गंगोत्री के कपाट भी इसी सप्ताह बंद हो गये है। सबसे अंत में इसी माह भगवान बदरीनाथ के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद होते हैं। फिर हर साल ग्रीष्म काल में भगवान बदरीनाथ व भगवान केदारनाथ के साथ गंगोत्री व यमुनोत्री धामों के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये जाते है। इन चारों धामों की यात्रा को उत्तराखण्ड में चार धाम यात्रा के नाम से जाना जाता है। इन धामों के दर्शन करने के लिए देश विदेश से सदियों से लाखों श्रद्धालु हर साल देवभूमि उत्तराखण्ड में पंहुचते है। इसके बाबजूद इन धामों की यात्रा व यहां का प्रबंधन वेष्णों देवी की तर्ज पर सुचारू व व्यवस्थित न चलने की कमी आम श्रद्धालुओं को रह रह कर खलती है। 

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