बिना तख्त व ताज के लाखों लोगों के दिलों में राज करने वाले बाला साहब ठाकरे को सलाम
महाराजा छत्रपति शिवाजी की तरह करोड़ों लोगों ंके हृदय सम्राट अमर रहेंगे बाला साहब ठाकरे
राष्ट्रीय स्वाभिमान व मराठा गौरव के अमर महानायक छत्रपति शिवाजी की तरह ही करोड़ों लोगों के दिलों में राज करने वाले शिवसेना के प्रमुख बाला साहिब ठाकरे के निधन पर न केवल महाराष्ट्र अपितु देश विदेश में रहने वाले भारतीय संस्कृति के लिए समर्पित लोग शोकाकुल है। 1926 में पुणे में जन्मे 86 वर्षीय महानायक बाला साहब ठाकरे का निधन 17 नवम्बर को 2012 को दोपहर 3.03 बजे हुआ। उनके पार्थिक शरीर को सांय पांच बजे तक आम जनता के दर्शन के लिए शिवाजी पार्क में रखा गया। दिवंगत बाला साहब ठाकरे का अंतिम संस्कार सायं 6 बजे पूरे राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन किया गया। महाराष्ट्र पुलिस की विशेष टुकड़ी ने गार्ड आफ आॅनर देते हुए उनको अंतिम सलामी दी और मातमी धुन बजा कर अपने महानायक को चिर विदाई दी। बाला साहब ठाकरे की चिता को मुखाग्नि उनके बेटे उद्वव ठाकरे ने दी। इस अवसर पर उनके बेटे उद्वव ठाकरे, पोते आदित्य ठाकरे , भतीजे राज ठाकरे सहित पूरे ठाकरे परिवार उपस्थित थे। इस अवसर पर अतिविशिष्ट लोगों में पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, केन्द्रीय शरद पवार, अमिताभ बच्चन, अनिल अम्बानी, अरूण जेटली, सुषमा स्वराज, भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी, राजीव शुक्ला, रामदास आठवले, संजय निरूपम, नाना पाटेकर, संजय दत्त, आदि राजनेताओं, फिल्मी दुनिया व उद्योगजगत सहित सैकडों प्रतिष्ठित लोगों ने शिवाजी पार्क में लाखों लोगों के साथ उनको अंतिम विदाई दी। समाचार चैनलों के अनुसार 20 लाख से अधिक लोगों ने मुम्बई की सडकों पर उतर कर अश्रूपूर्ण नेत्रों से अपने महानायक बाला साहब ठाकरे को अंतिम विदाई दी। दिवंगत बाला साहब ठाकरे का कितना विशाल कद आम मराठियों के दिलो व दिमाग में है इसका छोटा सा अहसास उनके निधन पर भारत की स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर द्वारा कहे गये शब्दों से सहज ही हो सकता है कि जिसमें लता जी ने कहा था कि आज महाराष्ट्र अनाथ हो गया। महाराजा शिवाजी ने अपनी बीरता व स्वाभिमान के बल पर मराठा सम्राज्य की कीर्ति को पूरे देश में फेहराया था वहीं बाला साहब ठाकरे ने अपने स्वाभिमानी प्रवृति से सत्ता से दूर रहने के बाद भी चार दशक तक पूरे भारत में फहराया था। उनके निधन पर उनकी पावन स्मृति को शतः शतः नमन्।
बाबा साहब ठाकरे की अंतिम यात्रा में सम्मलित होने के लिए मुम्बई में जिस प्रकार से विशाल जनसमुद्र की तरह लाखों की संख्या में आम जनमानस अपने महानायक को श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ पडे हैं उसको खबरिया चैलनों से सीधे प्रसारण में देख कर पूरा विश्व अचम्भित है। इस जनसैलाब को देख कर पूरा विश्व स्तब्ध है कि किस प्रकार बिना शासन के किसी बडे पद में रहे बिना बाल ठाकरे ने 4 दशक से अधिक समय तक लाखों लोगों के दिलों में राज किया। एक ऐसा राज व सम्मान जो बडे बडे चक्रवर्ती सम्राटों व शासनाध्यक्ष को भी नसीब नहीं होता है। किस प्रकार पुणे में जन्मे व काटूनिस्ट बन कर अपनी जीवन यात्रा प्रारम्भ करने वाले बाबा साहब ठाकरे ने मराठी मानुष व राष्ट्रीय गौरव के लिए प्रखरता से समर्पित हो कर एक आम आदमी से बिना तख्त व ताज के लाखों लोगों के दिलों में पूरे चार दशक तक राज किया। बाला साहब ठाकरे ने महाराष्ट्र के स्वाभिमान व विकास के लिए भले ही शिवसेना नाम से राजनैतिक पार्टी की स्थापना करके महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी पूरी पकड़ बनाये रखी परन्तु वे राजसत्ता के किसी भी पद पर कभी आसीन नहीं हुए। आज के पदलोलुपु राजनेतिक युग में भी बाल ठाकरे अपने आप में बिना पद के सत्ता व जनमानस पर राज करने के अनौखे मिशाल थे। उन्होंने राजसत्ता को नहीं अपितु आम जन व भारतीय संस्कृति को सदा वरियता दी। राष्ट्रीय झण्डे तिरंगे में लिपटे उनके पार्थिक शरीर को मातोश्री से अंतिम यात्रा से रवाना होने से पहले सशस्त्र पुलिस बल ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनको अंतिम सलामी दी। वहीं बाला साहब ठाकरे के बेटे उद्वव ठाकरे सहित लाखों लोगों ने उनको अश्रुपूर्ण विदाई दी। मातुश्री से अंतिम यात्रा शिवसेना भवन में पंहुची वहां पर भी शिव सेनिकों ने उनको अपनी अंतिम विदाई दी। मातुश्री से शिवसेना भवन होते हुए शिवाजी पार्क के लिए शुरू हुई उनकी इस अंतिम यात्रा में सम्मलित लाखों लोग बाला साहिब ठाकरे अमर रहे के गगनभेदी नारे लगा रहे है। 24 हजार से अधिक पुलिस जवानों के अलावा बडी संख्या में अर्ध सैनिक बल को सुरक्षा की दृष्टि से इस यात्रा को सुचारू संचालित करने के लिए तैनात किया गया है। सांय 5 बजे तक आम जनता के दर्शन व श्रद्धांजलि देने के लिए उनका पार्थिक शरीर शिवाजी पाक्र में रखा गया। बाला साहब ठाकरे के निधन से स्तब्ध फिल्मी दुनिया की राजधानी मुम्बई ने अपने सभी काम काज स्थगित कर दिये है। दुकाने व व्यवसायिक संस्थान बंद रही। बाला साहब ठाकरे के सम्मान में 19 नवम्बर को बंद रहेंगे। भले ही बाला साहब ठाकरे महाराष्ट्र व मराठी मानुष को प्रथम वरियता देते हुए अपना जीवन समर्पित किया इसके बाबजूद वे भारतीय संस्कृति व भारतीय स्वाभिमान के लिए उन्होंने अपना स्पष्ट नजरिया रखा उससे देश के करोड़ों लोग उनके देहान्त से गमगीन कर दिया।
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