ममता के अविश्वास प्रस्ताव दाव से सरकार ही नहीं विपक्ष भी हुआ बेनकाब 

खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश यानी एफडीआई के विरोध में भले ही ममता बनर्जी की तूणमूल कांग्रेस पार्टी मनमोहन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखने में असफल रही हो हो परन्त
ु वह देश की जनता के सामने न केवल कांग्रेस नेतृत्व वाली मनमोहन को ही अपितु भाजपा, कम्यूनिस्ट सहित सपा व बसपा का सत्तालोलुपु व अवसरवादी चेहरा पूरी तरह से बेनकाब करने में सफल रही । ममता बनर्जी ने पूरे देश को दिखा दिया कि भले ही उसके पास संसद में 19 सांसद हैं उसके 19 सांसदों ने देश के हितों को बचाने के लिए वह काम किया जिसे न तो सत्तारूढ़ सप्रंग ही कर पायी व नहीं भाजपा नेतृत्व वाले राजग गठबंधन ही कर पाया। सपा व बसपा की विसात ही क्या ? ममता बनर्जी ने आज अपने 19 सांसदों के दम पर आज सांसदों को भले ही लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, 55 सांसदों के समर्थन की लक्ष्मण रेखा की संवैधानिक बाध्यता के कारण सफल न हो पायी हो परन्तु वह देश की जनता में एक संदेश देने में सफल रही कि देश हितों के लिए जहां ममता बनर्जी केन्द्र की सरकार से मंत्रीपद भी ठुकरा सकती है परन्तु सपा, बसपा व भाजपा तो इस देश के हितों को विदेशी कम्पनियों के लिए खोलने वाली कांग्रेस नेतृत्व वाली सप्रंग सरकार के खिलाफ सीधे लडना तो रहा दूर उसके खिलाफ सत्ता को ठुकरा कर जंग लड़ने वाली ममता बनर्जी को भी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए भी तैयार नहीं है। जहां ममता बनर्जी ने मनमोहन सिंह की सरकार की सत्ता को देशहित के लिए ठुकराने का काम किया वहीं सपा, बसपा व अब भाजपा प्रधानमंत्री की दावतें डकार कर मात्र दिखावे के लिए एफडीआई का विरोध कर रहे है। ममता ने दिखा दिया कि देश में आज उसके अलावा सारे बडे नेता पदलोलुपु व देशहित के लिए सत्ता का ठुकराने का साहस किसी में नहीं। आज देश में भाजपा, सपा, बसपा, द्रुमुक व नीतीश सहित सभी दलों पर ममता की देशहित में केन्द्रीय सत्ता को ठुकराने का दाव 21 पडा।
 

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