पौंटी जैसे थैलीशाहों के रहमों करम पर दम तोड़ती लोकशाही
निशक सरकार में बना पौंटी का मित्र नामधारी अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष,
भाजपा व कांग्रेस, सपा बसपा शासन में भी पौंटी पर रही मेहरवानी
—निशक सरकार में बना पौंटी का मित्र नामधारी अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष,
भाजपा व कांग्रेस, सपा बसपा शासन में भी पौंटी पर रही मेहरवानी
उप्र, पंजाब , उत्तराखण्ड के शासन प्रशासन पर पौंटी चढ़ढा का शिकंजा,
पौंटी के प्यादे बने राजनेता के नाम बेनकाब किये जायउत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड सहित कई राज्यों में शराब, रियल स्टेट व फिल्म आदि कारोबार के बल पर इन प्रदेश के पदलोलुपु राजनेताओं को अपनी जेब में रख कर इन प्रदेश की सरकारों को अपने हितों की पूर्ति के लिए अपने इशारे पर चलाने वाले पौंटी चढ़ढा की हत्या से इन प्रदेश की लोकशाही पर गंभीर प्रश्न उठ गये हैं। सवाल केवल एक पोंटी चढ़ढा का नहीं अपितु देश की व्यवस्था में कदम कदम पर आज के सत्तालोलुपु हुक्मरानों ने असंख्य पौंटी चढ़ढाओं को देश की व्यवस्था पर ग्रहण लगाने के लिए संरक्षण दिया हुआ है। आज देश में दो या तीन दशक में जितने भी अधिकांश नव धनाडय हुए उनमें से 99 प्रतिशत ऐसे ही लोग है जिन्होंने देश व समाज को रौंद कर अपने अटल सम्राज्य स्थापित कर दिये है। अधिकांश भ्रष्टाचारी लोग आज अरबों खरबों की सम्पदा व उद्यमों के स्वामी बन गये हैं और आम मेहनतकश आम आदमी का जीना दूश्वार हो रखा है? जब यह स्थिति पर आम जनता ध्यान देती है तो उसको इस व्यवस्था से मोह भंग हो जाता है। आज ऐसी स्थिति देश के लोगों की है देश के हुक्मरान चाहे किसी दल का हो उनकी नीतियां व संरक्षण केवल पौंटी जैसे देश या विदेशी लोगों के लिए है आम आदमी की सुध लेने की उनको एक पल की फुर्सत तक नहीं है। इससे लोगों को इन राजनेताओं से धृणा हो गयी है। आम जनता मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंकवाद से त्रस्त है और देश के हुक्मरान देशी व विदेशी पौंटिओं की सेवा करने में ही मस्त है। देश में कानून, नियम सब गरीब व असहाय आदमी के लिए लुटेरों के लिए केवल देश लूटने के लिए रह गया है। उन्हीं लूटेरों के लिए सभी पार्टी, सभी सरकारें व सभी मठाधीश अपने दरवाजे खोलते है। आज सरकार मनमोहन की हो या भाजपा की सब अम्बानी जैसे थैलीशाहों या अमेरिका के इशारे पर नाचने के लिए हर पल तैयार है। देश व आम आदमी जाय भाड़ में।
जनहितों की पूर्ति करने का दंभ भरने वाली पार्टियां कैसे पौंटी चढ़ढ़ा जैसे लोगों के हाथों का खिलौना बने होते हे। इसका खुलाशा उस समय हुआ जब इस सप्ताह पौंटी चढ़ढा और उसकी भाई हरदीप की छत्तरपुर के 42 नम्बर फार्म हाउस पर कब्जे को लेकर हुए विवाद में एक दूसरे की गोली मार कर हत्या के समय वहां पर उपस्थित पौंटी चढ़ढा के मित्र उत्तराखण्ड सरकार में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सुखदेव नामधारी का नाम प्रमुखता सामने आया। पुलिस सुत्रों के अनुसार इस विवाद में दर्ज दो एफआईआर में एक अवैध रूप से फार्म हाउस मे घुसने व दूसरी, घटना के वक्त मौजूद पौंटी के दोस्त उत्तराखण्ड के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सुखदेव नामधारी ने दर्ज करायी है।
विजय बहुगुणा सरकार से प्रदेश की जनता यह जानना चाहती है कि आखिर पौंटी चढ़ढा के और कितने तथाकथित मित्रों को किसके कहने पर प्रदेश के इस महत्वपूर्ण पद पर नवाजा गया है?
हालांकि उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सत्यव्रत बंसल ने बताया कि नामधारी को 2010 में भाजपा की रमेश पोखरियाल निशंक सरकार के कार्यकाल के दौरान राज्य अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। डीजीपी ने बताया कि त्यागी पिछले डेढ़ साल से उनकी सुरक्षा में तैनात था। पुलिस महानिदेशक ने हालांकि स्पष्ट किया कि उनके द्वारा इस मामले में कोई समानान्तर जांच नहीं की जा रही है क्योंकि अपराध स्थल दिल्ली है और नियमानुसार वहीं की पुलिस इस मामले को देख रही है। उन्होंने यह भी साफ किया कि दिल्ली पुलिस ने उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है और उनसे कोई सहयोग भी नहीं मांगा है। इसके साथ अपने स्पष्टीकरण में ं पुलिस महानिदेशक ने कहा कि अभी यह पता नहीं चल पाया है कि नामधारी की पोंटी चड्ढा के साथ मौके पर मौजूदगी का क्या कारण था। उन्होंने कहा कि उन दोनों के बीच कोई व्यापारिक संबंध या मित्रता हो सकती है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बंसल ने माना कि नामधारी के खिलाफ उत्तराखंड में कुछ मामले दर्ज हैं। हालांकि वह यह नहीं बता पाए कि ये मामले किस प्रकृति के हैं और राज्य के किस हिस्से में दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने अधिकारियों से इस मामले में सभी तथ्य जल्दी ही इकट्ठा करने और उन्हें उनसे अवगत कराने को कहा है। सवाल केवल एक नामधारी का नहीं अपितु ऐसे कितने ओर लोगों को उत्तराखण्ड सहित अन्य प्रदेशों में महत्वपूर्ण पदों पर पौंटी जैसे लोगों के चेहतों को आसीन किया गया है।
0 उत्तराखण्ड में पौंटी चढ़ढा का कितना शिकंजा कसा हुआ था इस आशय की एक खबर दिल्ली से प्रकाशित प्रतिष्ठित बिजनेस स्टेडेर्ड ने 19 नवम्बर के अंक में
(Ponty wanted to enter power sector in big way in Uttarakhand
Chadha's liquor companies were allotted over a dozen hydel projects with capacity ranging between 5 Mw to 25 Mw in 2010 by the state government),एक खबर प्रमुखता से प्रकाशित की है। इस खबर के अनुसार 2010 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने 56 जल विद्युत परियोजनाअेां जिसमें एक दर्जन से अधिक हाइथ्रो पावर प्रोजेक्ट को चढ़ढा के कम्पनियों को आनन फानन में आवंटित कर दिये थे जिस पर भारी विवाद हुआ था जिसको हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद रोक दिये गये। हालांकि चढ़ढा समर्थिक कंपनियां इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में ले गयी है। कांग्रेस को कुशासन व भ्रष्टाचार के लिए कोसने वाली भाजपा का चेहरा अब पौंटी चढ़ढ़ा प्रकरण से पूरी तरह से बेनकाब हो गया कि कैसे भारतीय संस्कृति व रामराज्य की दुहाई देने वाला दल भी कांग्रेस आदि दलों की तरह अपने निहित स्वार्थो के लिए कभी पौंटी से गलबहियां व तो कभी रेड्डी बंधु जैसे लोगों से गलबहियां करते है। शासन व प्रशासन के महत्वपूर्ण पदों में प्रबुद्ध जानकार व साफ छवि के लोगों को आसीन करने के बजाय थैलीशाहों के प्यादों को आसीन किया जाता है। अगर प्रदेश में वर्तमान में आसीन लोगों के कारनामों की निष्पक्ष जांच हो तो जो बदरंग चेहरा सामने आयेगा उससे लोगों को इन दलों से धृणा ही हो जायेगी।
यहां मामला केवल भाजपा व कांग्रेस तक ही सीमित नहीं है। अपितु चढ़ढा और उस जैसे लोगों ने यहां के सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक ही नहीं सांस्कृतिक क्षेत्र पर भी अपना अंकुश व प्यादे स्थापित कर दिये है। आज प्रदेश मे ंयह आम धारणा यह है कि यहां सरकार भाजपा हो या कांग्रेस या किसी की भी बने पर सरकार को पौंटी जैसे लोग ही संचालित करेंगे। संघ व भाजपा के नेताओं को आत्मचिंतन करना चाहिए कि देवभूमि को पौंटीकरण करने के लिए उन्होंने जो प्यादे प्रदेश की सत्ता में आसीन किये उसके लिए उनका कोई प्रायश्चित नहीं है। जनमत व साफ छवि के नेताओं को नकार कर पौंटी जैसे लोगों के प्यादे बने लोगों को प्रदेश के मुख्यमंत्री के पदों पर आसीन करने की प्रवृति से ही कांग्रेस, सपा, बसपा आदि तमाम पार्टियों का आज शर्मनाक हस्र हो रखा है। भाजपा को यह समझ लेना चाहिए कि जनता सब जानती है? केवल नारे या भगवान का नाम ले कर आस्तीन के सांपों को संरक्षण व पोषण करने वालों के चेहरे को जनता बखुबी से पहचानती भी है।
यह केवल उत्तराखण्ड की ही नहीं अपितु उप्र, पंजाब सहित कई प्रदेशों में पौंटी या उसी की तरह के लोग परोक्ष रूप से सत्ता में काब्जि है। जिस प्रकार से उप्र में मायावती सरकार में पौंटी की तू ती सरकार में बोलती थी उस पर किसी प्रकार का अंकुश मुलायम सिंह की सरकार में नहीं लगा। वहीं उत्तराखण्ड में भाजपा की हो या कांग्रेस की उस पर पौंटी चढ़ढ़ा का साफ असर देखा गया। यही नहीं उत्तराखण्ड जेसे देव भूमि में पौंटी का खास मित्र जो किसी की सम्पति पर कब्जा करने के मिशन में तक साथ रहता हो ऐसे लोगों को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया जाता है तो यह प्रदेश सरकारों की शराब के कारोबारी व सत्तारूढ़ पार्टी के आकाओं के करीबी रिश्ते को ही बेनकाब करते है। भले ही पौंटी की सम्पति के बारे में 6000 करोड़ बता रहे हों परन्तु उसकी सम्पति कई लाख करोड़ से कम किसी भी सूरत में नहीं है। जिस प्रकार से गाजियाबाद से लेकर कई प्रदेशों में उसके ज्ञात अज्ञात अकूत सम्पति बटोरी गयी है वह किसी अजूबे से कम नहीं है। कैसे उत्तराखण्ड के रामनगर में छोटे से ढाबा चला या मुरादाबाद में शराब के ठेके के बाहर दाल पानी बेच कर अपना व्यवसायिक जीवन शुरू करने वाले पौंटी व उसके पिता कुलवंत सिंह चढ़ढा परिवार ने लाखों करोड़ की सम्पति बटोरी इसके पीछे सफेद पोश राजनेताओं व भ्रष्ट नौकरशाहों का शर्मनाक संरक्षण काफी हद तक जिम्मेदार है।
एक बात सभी को अपने दिलो दिमाग में बिठा लेनी चाहिए कि भगवान के घर अंधेर नहीं है वह सभी को उनके कर्मो को फल समयानुसार देता है। उसके आगे किसी की तिकडम व बाहुबल या सत्ता की हनक काम नहीं करता है। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।
पौंटी के प्यादे बने राजनेता के नाम बेनकाब किये जायउत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड सहित कई राज्यों में शराब, रियल स्टेट व फिल्म आदि कारोबार के बल पर इन प्रदेश के पदलोलुपु राजनेताओं को अपनी जेब में रख कर इन प्रदेश की सरकारों को अपने हितों की पूर्ति के लिए अपने इशारे पर चलाने वाले पौंटी चढ़ढा की हत्या से इन प्रदेश की लोकशाही पर गंभीर प्रश्न उठ गये हैं। सवाल केवल एक पोंटी चढ़ढा का नहीं अपितु देश की व्यवस्था में कदम कदम पर आज के सत्तालोलुपु हुक्मरानों ने असंख्य पौंटी चढ़ढाओं को देश की व्यवस्था पर ग्रहण लगाने के लिए संरक्षण दिया हुआ है। आज देश में दो या तीन दशक में जितने भी अधिकांश नव धनाडय हुए उनमें से 99 प्रतिशत ऐसे ही लोग है जिन्होंने देश व समाज को रौंद कर अपने अटल सम्राज्य स्थापित कर दिये है। अधिकांश भ्रष्टाचारी लोग आज अरबों खरबों की सम्पदा व उद्यमों के स्वामी बन गये हैं और आम मेहनतकश आम आदमी का जीना दूश्वार हो रखा है? जब यह स्थिति पर आम जनता ध्यान देती है तो उसको इस व्यवस्था से मोह भंग हो जाता है। आज ऐसी स्थिति देश के लोगों की है देश के हुक्मरान चाहे किसी दल का हो उनकी नीतियां व संरक्षण केवल पौंटी जैसे देश या विदेशी लोगों के लिए है आम आदमी की सुध लेने की उनको एक पल की फुर्सत तक नहीं है। इससे लोगों को इन राजनेताओं से धृणा हो गयी है। आम जनता मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंकवाद से त्रस्त है और देश के हुक्मरान देशी व विदेशी पौंटिओं की सेवा करने में ही मस्त है। देश में कानून, नियम सब गरीब व असहाय आदमी के लिए लुटेरों के लिए केवल देश लूटने के लिए रह गया है। उन्हीं लूटेरों के लिए सभी पार्टी, सभी सरकारें व सभी मठाधीश अपने दरवाजे खोलते है। आज सरकार मनमोहन की हो या भाजपा की सब अम्बानी जैसे थैलीशाहों या अमेरिका के इशारे पर नाचने के लिए हर पल तैयार है। देश व आम आदमी जाय भाड़ में।
जनहितों की पूर्ति करने का दंभ भरने वाली पार्टियां कैसे पौंटी चढ़ढ़ा जैसे लोगों के हाथों का खिलौना बने होते हे। इसका खुलाशा उस समय हुआ जब इस सप्ताह पौंटी चढ़ढा और उसकी भाई हरदीप की छत्तरपुर के 42 नम्बर फार्म हाउस पर कब्जे को लेकर हुए विवाद में एक दूसरे की गोली मार कर हत्या के समय वहां पर उपस्थित पौंटी चढ़ढा के मित्र उत्तराखण्ड सरकार में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सुखदेव नामधारी का नाम प्रमुखता सामने आया। पुलिस सुत्रों के अनुसार इस विवाद में दर्ज दो एफआईआर में एक अवैध रूप से फार्म हाउस मे घुसने व दूसरी, घटना के वक्त मौजूद पौंटी के दोस्त उत्तराखण्ड के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सुखदेव नामधारी ने दर्ज करायी है।
विजय बहुगुणा सरकार से प्रदेश की जनता यह जानना चाहती है कि आखिर पौंटी चढ़ढा के और कितने तथाकथित मित्रों को किसके कहने पर प्रदेश के इस महत्वपूर्ण पद पर नवाजा गया है?
हालांकि उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सत्यव्रत बंसल ने बताया कि नामधारी को 2010 में भाजपा की रमेश पोखरियाल निशंक सरकार के कार्यकाल के दौरान राज्य अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। डीजीपी ने बताया कि त्यागी पिछले डेढ़ साल से उनकी सुरक्षा में तैनात था। पुलिस महानिदेशक ने हालांकि स्पष्ट किया कि उनके द्वारा इस मामले में कोई समानान्तर जांच नहीं की जा रही है क्योंकि अपराध स्थल दिल्ली है और नियमानुसार वहीं की पुलिस इस मामले को देख रही है। उन्होंने यह भी साफ किया कि दिल्ली पुलिस ने उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है और उनसे कोई सहयोग भी नहीं मांगा है। इसके साथ अपने स्पष्टीकरण में ं पुलिस महानिदेशक ने कहा कि अभी यह पता नहीं चल पाया है कि नामधारी की पोंटी चड्ढा के साथ मौके पर मौजूदगी का क्या कारण था। उन्होंने कहा कि उन दोनों के बीच कोई व्यापारिक संबंध या मित्रता हो सकती है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बंसल ने माना कि नामधारी के खिलाफ उत्तराखंड में कुछ मामले दर्ज हैं। हालांकि वह यह नहीं बता पाए कि ये मामले किस प्रकृति के हैं और राज्य के किस हिस्से में दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने अधिकारियों से इस मामले में सभी तथ्य जल्दी ही इकट्ठा करने और उन्हें उनसे अवगत कराने को कहा है। सवाल केवल एक नामधारी का नहीं अपितु ऐसे कितने ओर लोगों को उत्तराखण्ड सहित अन्य प्रदेशों में महत्वपूर्ण पदों पर पौंटी जैसे लोगों के चेहतों को आसीन किया गया है।
0 उत्तराखण्ड में पौंटी चढ़ढा का कितना शिकंजा कसा हुआ था इस आशय की एक खबर दिल्ली से प्रकाशित प्रतिष्ठित बिजनेस स्टेडेर्ड ने 19 नवम्बर के अंक में
(Ponty wanted to enter power sector in big way in Uttarakhand
Chadha's liquor companies were allotted over a dozen hydel projects with capacity ranging between 5 Mw to 25 Mw in 2010 by the state government),एक खबर प्रमुखता से प्रकाशित की है। इस खबर के अनुसार 2010 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने 56 जल विद्युत परियोजनाअेां जिसमें एक दर्जन से अधिक हाइथ्रो पावर प्रोजेक्ट को चढ़ढा के कम्पनियों को आनन फानन में आवंटित कर दिये थे जिस पर भारी विवाद हुआ था जिसको हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद रोक दिये गये। हालांकि चढ़ढा समर्थिक कंपनियां इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में ले गयी है। कांग्रेस को कुशासन व भ्रष्टाचार के लिए कोसने वाली भाजपा का चेहरा अब पौंटी चढ़ढ़ा प्रकरण से पूरी तरह से बेनकाब हो गया कि कैसे भारतीय संस्कृति व रामराज्य की दुहाई देने वाला दल भी कांग्रेस आदि दलों की तरह अपने निहित स्वार्थो के लिए कभी पौंटी से गलबहियां व तो कभी रेड्डी बंधु जैसे लोगों से गलबहियां करते है। शासन व प्रशासन के महत्वपूर्ण पदों में प्रबुद्ध जानकार व साफ छवि के लोगों को आसीन करने के बजाय थैलीशाहों के प्यादों को आसीन किया जाता है। अगर प्रदेश में वर्तमान में आसीन लोगों के कारनामों की निष्पक्ष जांच हो तो जो बदरंग चेहरा सामने आयेगा उससे लोगों को इन दलों से धृणा ही हो जायेगी।
यहां मामला केवल भाजपा व कांग्रेस तक ही सीमित नहीं है। अपितु चढ़ढा और उस जैसे लोगों ने यहां के सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक ही नहीं सांस्कृतिक क्षेत्र पर भी अपना अंकुश व प्यादे स्थापित कर दिये है। आज प्रदेश मे ंयह आम धारणा यह है कि यहां सरकार भाजपा हो या कांग्रेस या किसी की भी बने पर सरकार को पौंटी जैसे लोग ही संचालित करेंगे। संघ व भाजपा के नेताओं को आत्मचिंतन करना चाहिए कि देवभूमि को पौंटीकरण करने के लिए उन्होंने जो प्यादे प्रदेश की सत्ता में आसीन किये उसके लिए उनका कोई प्रायश्चित नहीं है। जनमत व साफ छवि के नेताओं को नकार कर पौंटी जैसे लोगों के प्यादे बने लोगों को प्रदेश के मुख्यमंत्री के पदों पर आसीन करने की प्रवृति से ही कांग्रेस, सपा, बसपा आदि तमाम पार्टियों का आज शर्मनाक हस्र हो रखा है। भाजपा को यह समझ लेना चाहिए कि जनता सब जानती है? केवल नारे या भगवान का नाम ले कर आस्तीन के सांपों को संरक्षण व पोषण करने वालों के चेहरे को जनता बखुबी से पहचानती भी है।
यह केवल उत्तराखण्ड की ही नहीं अपितु उप्र, पंजाब सहित कई प्रदेशों में पौंटी या उसी की तरह के लोग परोक्ष रूप से सत्ता में काब्जि है। जिस प्रकार से उप्र में मायावती सरकार में पौंटी की तू ती सरकार में बोलती थी उस पर किसी प्रकार का अंकुश मुलायम सिंह की सरकार में नहीं लगा। वहीं उत्तराखण्ड में भाजपा की हो या कांग्रेस की उस पर पौंटी चढ़ढ़ा का साफ असर देखा गया। यही नहीं उत्तराखण्ड जेसे देव भूमि में पौंटी का खास मित्र जो किसी की सम्पति पर कब्जा करने के मिशन में तक साथ रहता हो ऐसे लोगों को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया जाता है तो यह प्रदेश सरकारों की शराब के कारोबारी व सत्तारूढ़ पार्टी के आकाओं के करीबी रिश्ते को ही बेनकाब करते है। भले ही पौंटी की सम्पति के बारे में 6000 करोड़ बता रहे हों परन्तु उसकी सम्पति कई लाख करोड़ से कम किसी भी सूरत में नहीं है। जिस प्रकार से गाजियाबाद से लेकर कई प्रदेशों में उसके ज्ञात अज्ञात अकूत सम्पति बटोरी गयी है वह किसी अजूबे से कम नहीं है। कैसे उत्तराखण्ड के रामनगर में छोटे से ढाबा चला या मुरादाबाद में शराब के ठेके के बाहर दाल पानी बेच कर अपना व्यवसायिक जीवन शुरू करने वाले पौंटी व उसके पिता कुलवंत सिंह चढ़ढा परिवार ने लाखों करोड़ की सम्पति बटोरी इसके पीछे सफेद पोश राजनेताओं व भ्रष्ट नौकरशाहों का शर्मनाक संरक्षण काफी हद तक जिम्मेदार है।
एक बात सभी को अपने दिलो दिमाग में बिठा लेनी चाहिए कि भगवान के घर अंधेर नहीं है वह सभी को उनके कर्मो को फल समयानुसार देता है। उसके आगे किसी की तिकडम व बाहुबल या सत्ता की हनक काम नहीं करता है। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।
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