विश्व शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हों विकिलीक्स प्रमुख असांजे
असांजे द्वारा अमेरिका सहित संसार भर के हुक्मरानों के कृत्यों को फिर से बेनकाब करने की हुंकार भरने से मचा विश्व में हडकंप
विश्व लोकशाही को अपने सामरिक ताकत के बल पर रौंदने वाले अमेरिकी हुक्मरान सहित विश्व के अधिकांश अलोकतांत्रिक हुक्मरानों के कृत्यों को पूरे विश्व के समक्ष बेनकाब करने वाले विकिलीक्स के संचालक जुलियन असांजे को विश्व शांति का सर्वोच्च शांति पुरस्कार ‘नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए। अपनी जान व व्यवसाय को जोखिम में डाल कर असांजे ने अमेरिका सहित विश्व के अधिकांश देशों के प्रमुखों के विश्व शांति व लोकशाही को ग्रहण लगाने वाले कृत्यों के उजागर होने से पूरे विश्व की जनता जागृत हो गयी है और संसार के किसी भी देश के हुक्मरान द्वारा संसार की शांति व लोकशाही को ग्रहण लगाने की प्रवृति का मुंहतोड़ जवाब देंगे।
जैसे ही श्री असांजे ने अपनी विश्व विख्यात बेबसाइट विकिलीक्स से अमेरिका सहित अन्य देशों के हुक्मरानों को बेनकाब किया उससे वह अमेरिका की नजरों में खटकने लगा। उसको किसी भी हालत में फंसाने का ताना बाना बुना जा रहा है। इसी के तहत आस्टेªलिया के इस पूर्व कंप्यूटर के महारथी को अमेरिका के पिट्ठू बने ब्रिट्रेन ने जब ऐन केन प्रकारेण से अमेरिका के इशारे पर बंद करने की कोशिश की तो इक्वाडोर ने असांजे को अपने दूतावास में शरण दे दी। इस सप्ताह दूतावास की बालकनी से अपने 100 से अधिक समर्थकों को सम्बोधित करते हुए असांजे ने इक्वाडोर के राष्ट्रपति राफेल को धन्यवाद देते हुए कहा कि शीघ्र ही उसके पास मौजूद अमेरिका सहित विश्व के सभी देशों के हुक्मरानों के गोपनीय दस्तावेज जगजाहिर करके इनका चेहरा दुनिया के सामने बेनकाब करेंगे। वहीं स्वीडन में असांचे पर किये गये एक मामले में उसका प्रत्यर्पन करने के लिए ब्रिट्रेन तैयार है। इसी से बचने के लिए असांजे विगत छह माह से इक्वाडोर के दूतावास में शरण लिये हुए है। वहीं इक्वाडोर के राष्ट्रपति ने असांचे को अपना समर्थन जारी रखने का साहसिक कार्य किया। इसके लिए न केवल असांचे अपितु पूरे संसार के बुद्धिजीवी व लोकशाही के समर्थक इक्वाडोर के राष्ट्रपति के साहस को भी शतः शतःनमन् करते है। क्योंकि जो साहस संसार का कोई भी देश अमेरिका के प्रकोप के डर से इस मामले का विरोध करने तक का भी साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। असांजे सहित विश्व लोकशाही के समर्थकों को इस बात की आशंका है कि अमेरिका स्वीडन व ब्रिट्रेन से मिल कर किसी न किसी बहाने असांजे का मूंह बंद करना चाहता है। इसी कारण स्वीडन में चलाये जा रहे मामले के पीछे भी अमेरिका का ही हाथ माना जा रहा है।
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