तू प्यार का सागर है, तेरी एक बूंद के प्यासे हम...’
वाजपेयी जी के जन्म दिवस पर दिल्ली के फिक्की में गूंजे कविता सेठ के सुफियाना गीत
25 दिसम्बर को जब विश्व भर में क्रिसमस का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा था तब सांय पोने सात बजे के करीब मैं, उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के साथी इंजीनियर जगदीश भट्ट के साथ इस सभागार में पंहुचा तो वहां पर चारों तरफ अटल जी के जीवन की विभिन्न पहलुओं को उजागर करने वाली तस्वीरों की गेट के अंदर व सभागार के बाहर लगी हुई थी। उनके आदम कद तस्वीरों से वहां सजा हुआ था। उनके 88वें साल के प्रतीक 88 दीपक प्रज्वलित किये गये थे।
पूर्व प्रधानमंत्री व भाजपा के शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेयी के 88वें जन्म दिवस पर, 25 दिसम्बर की सांयकाल को दिल्ली के मण्डी हाउस के समीप फिक्की सभागार में देश की अग्रणी सूफी गायिका कविता सेठ के मधुर स्वरों से गूंजायमान रहा। सभागार में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. मुरली मनोहर जोशी सहित भाजपा नेताओं व कार्यकत्र्ताओं से खचाखच भरे सभागार में जैसे ही कविता सेठ ने वाजपेयी के जन्म दिवस पर सूफियाने अंदाज में ‘तू प्रेम का सागर है, तेरी एक बूद के प्यासे हम........’गाया तो मुरली मनोहर जोशी सहित तमाम उपस्थित वाजपेयी युग के साक्षी रहे राजनेता वाजपेयी की यादों में मन ही मन इस गीत को गुनगुनाने लगे। इस सभागार में हर किसी को एक ही कमी खल रही थी वह कमी थी कि काश वाजपेयी साक्षात इन गीतों के गायन के समय इस सभागार में होते तो इस आयोजन को चार चांद लग जाते। परन्तु सबके दिलों में एक टीस थी कि ‘काल के कपाल पर गीत लिखने ’ जैसे कविता लिखने वाले भाजपा के महानायक अटल बिहारी वाजपेयी आज इस सभागार से चंद फलांग दूर पर होने के बाबजूद महाकाल के विधान के कारण इन सबकी खुशी में सदेह सम्मलित नहीं हो पाते। गायिका कविता सेठ के इस गीत को सुनने के बाद में सभागार से बाहर आये तो बाहर भाजपा के कार्यकत्र्ता वाजपेयी के 88 वें जन्म दिवस पर मिष्ठान वितरित कर रहे थे। थोड़ी देर बाद मेने देखा कि वाजपेयी के समकक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी भी अपने सुरक्षा दस्तों के घेरे में सभागार से अपने निवास की तरफ निकल पडे। मैं व मेरे साथी जगदीश भट्ट भी भाजपा के शीर्ष नेता अटल की यादों का स्मरण करते हुए अपने गंतव्य की तरफ चल पडे।
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