पौंटी व नामधारी से सम्बंधों के कारण हुई कई नेताओं, नौकरशाहों व धर्मगुरूओं की नींद हराम
देहरादून(प्याउ)। शराब के कुख्यात कारोबारी पौटी चढ़ढा व उसके भाई की हत्या के बाद इनसे सम्पर्क रखने की चपेट में आने की आशंका से दिल्ली, उप्र व उत्तराखण
देहरादून(प्याउ)। शराब के कुख्यात कारोबारी पौटी चढ़ढा व उसके भाई की हत्या के बाद इनसे सम्पर्क रखने की चपेट में आने की आशंका से दिल्ली, उप्र व उत्तराखण
्ड सहित देश के कई राजनेताओं, धार्मिक गुरूओं, समाजसेवियों व कारोबारी की नींद हराम हो गयी है। पुलिस प्रशसन जिस प्रकार से पोंटी हत्या काण्ड की जांच कर रहा है। उससे इस काण्ड में वे लोग भी जांच के दायरे में आ सकते हैं जिनके पौंटी से सम्बंध थे। इन सम्बंधों से पर्दा उजागर होने की आशंका से इन लोगों की नींद उडी हुई है। सुत्रों के अनुसार जिस प्रकार पुलिस को इस हत्याकाण्ड में सबसे संदेहास्पद भूमिका के उत्तराखण्ड प्रदेश के पूर्व सुखदेवसिंह नामधारी की नजर आ रही है। वह पुलिस के कब्जे में हैं। इसके और पौंटी की जुगलबंदी को तलाशने के लिए पुलिस जिस प्रकार से उन लोगों की भी जांच कर रही है जो इनके सम्पर्क में रहे। इन प्रदेश के अधिकांश नेताओं का दामन इस कुख्यात शराब के कारोबारी से मेलजोल के कारण दागदार सा प्रतीत हो रहा है। यही नहीं पौटी के इस रहस्यमय साथी नामधारी के साथ किन किन लोगों का करीबी था। यह करीबी आज कई लोगों की जी का जंजाल बन गयी है। जिस प्रकार से इस बात का खुलाशा हुआ कि पौंटी की हत्या के बाद नामधारी ने तीन नेताओं व नौकरशाहों को टेलीफोन किया। उन पर पुलिस शिकंजा कसने जा रही है। इनमें उत्तराखण्ड के नौकरशाह व नेता प्रमुख है। इनकी गिरफतारी पुलिस कर पायेगी या उस पर पर्दा पड जायेगा। इस काण्ड का सबसे बडा अपराधी कोन है। आज देश की जनता यह जानना चााहती है। पौटी के बेटे मोंटी ने भी इस काण्ड के खलनायक की खोज करने के िलए अपने स्तर से खोजबीन करने की खबरे समाचार जगत में आ रही है।
इस बात से लोग हैरान है कि कैसे एक शराब के कारोबारी के आगे सभी दल व नेता ही नहीं नौकरशाह व धर्मगुरू समाजसेवी सब घालमेल किये हुए थें। इससे लोग हैरान है कि कैसे शराब के व्यापारी को संरक्षण देने वाले नेता व नौकरशाह आम जनता के हक हकूकों की रक्षा करने के बजाय उसके विश्वास ही हत्या कर रहे थे। ऐसे नेता व अधिकारी देश व समाज को क्या दिशा व शासन देंगे।
गौरतलब है कि
पदलोलुपु हुक्मरानों को अपना प्यादा बना कर उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड व पंजाब सहित देश के कई हिस्सों में शराब, फिल्म,निवेश व भूमि व्यवसाय से जुडे विवादस्थ करोबारी पौंटी चढ्ढा व उसके भाई हरदीप की रहस्यमय हत्या के समय संदेहास्पद स्थिति में उपस्थित रहे भाजपा नेता व उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेवसिंह नामधारी का शर्मनाक बचाव करने में देशभर में हुई भाजपा की किरकिरी के बाद आखिरकार भाजपा को मजबूरी में उनको पार्टी से बाहर करना पडा।
जैसे ही नामधारी का नाम इस काण्ड में उछला अगर भाजपा नेताओं में जरा सा भी विवेक रहता तो वे तत्काल सुखदेवसिंह नामधारी को भाजपा से किनारा कर देते तो उनकी काफी हद तक लाज बच जाती। परन्तु लगता है भाजपा नेताओं की बुद्धि पर सत्ता से हटने के बाबजूद भी इसकी जुगाली करते करते बुद्धि पर भी पर्दा पड गया। वे नामधारी के बचाव में बेमतलब बयानबाजी करने लगे। आम कार्यकत्र्ता ही नहीं उप्र व उत्तराखण्ड के बडे नेता भी उसके बचाव में आगे आने लगे। इससे साफ लग गया कि भाजपा नेताओं पर भी पौंटी के इस विवादस्थ मित्र का कितना प्रभाव है। लोगों में आम चर्चा है कि पौंटी के इस विवादस्थ मित्र के बचाव अपनी खाल बचाने के लिए राजनेता कर रहे है। अगर पौंटी से सम्बंधों का खुलाशा जगजाहिर हो जाय तो न केवल भाजपा अपितु कांग्रेस सहित अनैक राजनेता व नौकरशाह सहित कई प्रतिष्ठित लोग बेनकाब हो जायेंगे। जिस ढ़ग से प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का नाम इस प्रकरण में रह रह कर उछल रहा है उसको देख कर प्रदेश में पौंटी का बर्चस्व का अंदाजा साफ लग सकता है। हालांकि उप्र में माया व मुलायम के साथ-साथ भाजपा-कांग्रेस के नेताओं से पौंटी की निकटता जगजाहिर है।
इस बात से लोग हैरान है कि कैसे एक शराब के कारोबारी के आगे सभी दल व नेता ही नहीं नौकरशाह व धर्मगुरू समाजसेवी सब घालमेल किये हुए थें। इससे लोग हैरान है कि कैसे शराब के व्यापारी को संरक्षण देने वाले नेता व नौकरशाह आम जनता के हक हकूकों की रक्षा करने के बजाय उसके विश्वास ही हत्या कर रहे थे। ऐसे नेता व अधिकारी देश व समाज को क्या दिशा व शासन देंगे।
गौरतलब है कि
पदलोलुपु हुक्मरानों को अपना प्यादा बना कर उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड व पंजाब सहित देश के कई हिस्सों में शराब, फिल्म,निवेश व भूमि व्यवसाय से जुडे विवादस्थ करोबारी पौंटी चढ्ढा व उसके भाई हरदीप की रहस्यमय हत्या के समय संदेहास्पद स्थिति में उपस्थित रहे भाजपा नेता व उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेवसिंह नामधारी का शर्मनाक बचाव करने में देशभर में हुई भाजपा की किरकिरी के बाद आखिरकार भाजपा को मजबूरी में उनको पार्टी से बाहर करना पडा।
जैसे ही नामधारी का नाम इस काण्ड में उछला अगर भाजपा नेताओं में जरा सा भी विवेक रहता तो वे तत्काल सुखदेवसिंह नामधारी को भाजपा से किनारा कर देते तो उनकी काफी हद तक लाज बच जाती। परन्तु लगता है भाजपा नेताओं की बुद्धि पर सत्ता से हटने के बाबजूद भी इसकी जुगाली करते करते बुद्धि पर भी पर्दा पड गया। वे नामधारी के बचाव में बेमतलब बयानबाजी करने लगे। आम कार्यकत्र्ता ही नहीं उप्र व उत्तराखण्ड के बडे नेता भी उसके बचाव में आगे आने लगे। इससे साफ लग गया कि भाजपा नेताओं पर भी पौंटी के इस विवादस्थ मित्र का कितना प्रभाव है। लोगों में आम चर्चा है कि पौंटी के इस विवादस्थ मित्र के बचाव अपनी खाल बचाने के लिए राजनेता कर रहे है। अगर पौंटी से सम्बंधों का खुलाशा जगजाहिर हो जाय तो न केवल भाजपा अपितु कांग्रेस सहित अनैक राजनेता व नौकरशाह सहित कई प्रतिष्ठित लोग बेनकाब हो जायेंगे। जिस ढ़ग से प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का नाम इस प्रकरण में रह रह कर उछल रहा है उसको देख कर प्रदेश में पौंटी का बर्चस्व का अंदाजा साफ लग सकता है। हालांकि उप्र में माया व मुलायम के साथ-साथ भाजपा-कांग्रेस के नेताओं से पौंटी की निकटता जगजाहिर है।
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