बलात्कारियों को उम्र केद नहीं ,मृत्य दण्ड की मांग करे सरकार
बलात्कारियों को फांसी की सजा देने की मांग करने के बजाय उन पर दया कर क्यों उम्रकेद मांग रही है सरकार
नई दिल्ली(प्याउ)।दिल्ली में पेरामेडिकल की छात्रा से गत रविवार की रात को हुए सामुहिक बलात्कार के हैवानों को सड़क से लेकर संसद तक हर कोई मृत्युदण्ड देने की मांग कर रहे है । दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला, उप्र की मुख्यमंत्री मायावती, नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, ही नहीं तमाम सांसद से लेकर देश के आम प्रबुद्ध लोगों की एक स्वर में मांग कर रहे हैं कि इस प्रकार के बलात्कारियों को जब तक फांसी की सजा भी कम है। जब तक इस प्रकार के अपराधियों को फांसी नहीं दी जाती है तब तक इस प्रकार के घृर्णित अपराधों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकेगा। स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सप्रंग प्रमुख सोनिया गांधी से लेकर देश का हर जागरूक इंसान इस प्रकरण पर अपनी कड़ी भत्र्सना व्यक्त कर चूका है। यही नहीं स्वयं इन काण्ड के छहः दरिन्दों में से एक दरिंदे ने अपने लिए फांसी की सजा की मांग कर चूका है। यही नहीं इन दरिंदों के परिजन भी इनके लिए फांसी की सजा की मांग कर चूके है। परन्तु क्या मजाल है कि भारत सरकार क्यों इन दरिंदों पर रहम कर इनके लिए फांसी की सजा की मांग करने के बजाय मृत्यृदण्ड की सजा की मांग करने जा रही है। ऐसे दरिंदों को और जिन्दगी किस बात के लिए सरकार देना चाहती है। सरकार को या तो देश की आम जनता की भावनाओं व आक्रोश का भान नहीं या सरकार को इस प्रकार के अपराधों की गंभीरता को कम कर आंक रही है। देश में तो रहा दूर राजधानी दिल्ली में 4 साल की बच्ची से लेकर बुजुर्ग महिलाओं पर निरंतर इस प्रकार के दरिंदों द्वारा बलात्कार किया जा रहा है। ऐसे में जब अपराधियों में कानून का भय समाप्त हो गया। ऐसे अपराधियों को जीवन दे कर यानी उम्रकेद दे कर सरकार क्यों ऐसे अपराधियों को कानून का खौप कम करने जा रही है। इस समय ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए मृत्युदण्ड भी देश की आक्रोशित जनता को कम नजर आ रहा है।
परन्तु भारत सरकार इस काण्ड के दोषियों को मृत्युदण्ड के बजाय उनकी जान बचाते हुए केवल उम्रकेद की ही मांग करने जा रही है। कम से कम गृह सचिव आर के सिंह के शुक्रवार 21 दिसम्बर, को दिये गये बयान से सरकार का चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो गया। आजतक सहित तमाम मीडिया में गृह सचिव के बयान को प्रमुखता से दिखाया गया कि दोषियों को उम्रकैद दिलाने की कोशिश होगी। गृह सचिव के बयान से पहले लोगों को आशा थी कि जिस प्रकार से गृह मंत्री बयान दे रहे थे कि कड़ी सजा देने का प्रावधान किया जायेगा।
समझ में नहीं आ रहा है कि इस सामुहिक बलात्कार की हैवानियत देख कर पत्थर दिल इंसान भी आंसू बहा रहे हैं परन्तु देश की सरकार इन दरिंदों को जीवन दे कर क्यों जनभावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। सरकार का बयान 21 दिसम्बर को उस समय आया जब महिलाओं ने राष्ट्रपति भवन पर प्रचण्ड प्रदर्शन किया। जब दिन भर राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी की पार्टी के अलावा कई प्रदर्शन हुए। गुस्से में आक्रोशित लोगों ने इंडिया गेट में मोमबत्ती जला कर प्रदर्शन किया। सभी एक स्वर में बलात्कार करने के दोषियों को तुरंत दो महिने के अंदर फांसी की सजा देने की मांग कर रहे थे। परन्तु देश की सरकार बेशर्मी से इन दरिंदों पर दया करते हुए इनको मृत्यु दण्ड देने की मांग करने के बजाय इनको उम्रकेद देने की मांग करने जा रही है। अब तक बलात्कार की घटना पर घडियाली आंसू बहाने वाली सरकार का यह बयान अपने आप सरकार को बेनकाब करता है।
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