सैनिकों को नहीं तो नेताओ व नौकरशाह को क्यों हो विदेशी से शादी की अनुमति ?

सेना जब अपने एक अधिकारी मेजर को अपनी विदेशी(श्रीलंका) प्रेमिका से विवाह करने की इजाजत कोर्ट की फटकार के बाद इस शर्त पर देने को राजी हुई कि सेना अधिकारी को सेना की सेवा से कार्यमुक्त तभी किया जायेगा जब वह एक तो उक्त विदेशी युवती से कोर्ट में विवाह का प्रमाण पत्र तथा आईएमए में पूरे प्रशिक्षण का खर्च भरेगा। इससे पहले सेना इस अधिकारी को विदेशी युवती से शादी की इजाजत नही दे रही थी। न ही उसको सहजता से कार्यमुक्त ही कर रही थी? सेना के इस रवैये के बाद उक्त अधिकारी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में फरियाद किया। जहां न्यायालय ने उसे यह न्याय दिलाया। यह बात समझ से परे हैं कि सेना ने यह विरोध क्या जिस युवती से सेना अधिकारी शादी करना चाहता है, उसके विदेशी होने पर किया या कोई अन्य कारण रहे?
अगर सेना का यह नजरिया है कि किसी भी सैनिक को विदेशी से शादी करने से देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है या देश के हित में ठीक नहीं है तो राजनेताओं व नौकरशाहों सहित सभी नागरिकों के लिए भी ऐसी ही आदर्श नियम होने चाहिए। एक सैनिक के साथ विदेशी से शादी करके अगर देश की सुरक्षा खतरा उत्पन्न हो सकता है तो नेता व नौकरशाह जो देश के नीति नियंता होते हैं उनकी विदेशी शादी से तो और भी ज्यादा खतरा देश को हो सकता है। इस दिशा में शीघ्र ही देश में एक आदर्श मागदर्शक संहिता बननी चाहिए।

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