विष्व विकलांग दिवस पर संसद पर हजारों मूक बधिरों ने किया अनोखा प्रदर्शन 

मीडिया की उपेक्षा से मीडिया की विकलांगता हुई उजागर


नई दिल्ली(प्याउ)। 3 दिसम्बर को विष्व विकलांग दिवस पर अपनी मांगों को लेकर देषभर से आये हजारों की संख्या में मूक बध
िरों ने संसद पर प्रदर्षन किया। हजारों की तरफ देषभर से आये मूक बधिरों ने सरकार द्वारा अपनी उपेक्षा से आहत हो कर जंतर मंतर पर दिन भर का धरना दिया। इस अवसर पर आयोजित विषाल सभा का आयोजन भी मूक बधिरों ने किया। जहां इनके प्रमुखों ने इनको संबोधित किया। यह प्रदर्षन इनको सरकारी सेवाओं मे ंलेने के साथ साथ मूक बधिरों की इषारे की बोली को और अधिक प्रोत्साहन देने की मांग कर रहे थे। जहां राश्ट्रीय धरना स्थल पर यहां पर चल रहे अन्य आंदोलनकारी अपना गला फाड फाड कर अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी या भाशणबाजी कर रहे थे वहीं कोलाहल में गूंजने वाला जंतर मंतर मूक बधिरों के हाथ के इषारों के नजारों से खामोष हो कर भी लोगों का ध्यान आकृश्ठ कर रहा था। इषारे ही इषारों में हजारों की संख्या में मूक बधिरों को उनके नेताओं द्वारा किया जाना व उस पर मूक बधिरों की प्रतिक्रिया व समर्थन में हाथों से विभिन्न मुद्रायें बनाने का दृष्य राश्ट्रीय धरना स्थल पर आम दिनों से अलग ही नजारा बिखेर रहे थे। परन्तु हजारों की संख्या में दिन भर खचाखच भरे रहे इन मूक बधिर विकलांगों के आंदोलन की उपेक्षा मीडिया ने की उससे लोग मीडिया को जम कर कोस कर प्रष्न कर रहे थे कि मीडिया में मानवीय मूल्यों के साथ साथ गंभीर विशयों को समझने में विकलांगता है। फिल्मी कलाकारों व उटपटांग खबरों से दिन भर लोगों को भ्रमित करने वाली मीडिया को क्यों संसद की चैखट पर देष भर से आये हजारों की संख्या में मूक बधिरों का दर्द द्रवित नहीं कर सका। ऐसा नहीं कि मीडिया को इनके होने की भनक नहीं थी। मीडिया दिन भर संसद के आस पास ही मंडरा रही थी परन्तु न जाने जितना इन उपेक्षित विकलांगों की तरफ मीडिया का ध्यान होना चाहिए था उतना ध्यान मीडिया नहीं दे पायी। इन विकलांगों की तरफ संवेदनहीन सरकारें क्या ध्यान देगी जब संवेदन समझा जाने वाला मीडिया ही इनकी अनदेखी सी कर रहा हो। चंद अखबारो ने खबर प्रकाषित की । वहीं कुछ खबरिया चेनलों ने नाम मात्र की झलकियां दिखायी।
वहीं नौकरी में आरक्षण की मांग को लेकर इसी दिन राश्ट्रीय धरना स्थल जंतर-मंतर पर नेत्रहीनों ने भी प्रदर्शन किया। विश्व विकलांग दिवस के मौके पर नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों नेत्रहीनों ने हिस्सा लिया। फेडरेशन के महासचिव एसके रुंगटा ने कहा कि प्रस्तावित विकलांग विधेयक में कुल आरक्षित पदों में से कम से कम दो प्रतिषत पद नेत्रहीनों के लिए आरक्षित किए जाने चाहिएं और पदोन्नति में भी आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यहां पर असम से आये अल्पसंख्यक छात्र युवाओं का भी प्रदर्षन के साथ खुदरा व्यापार में विदेषी निवेष के विरोध में भी धरना चल रहा था।
 

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