गैरसैंण को राजधानी घोषित करने के लिए सरकार पर भारी दवाब
देहरादून में नयी विधानसभा भवन बनाना उत्तराखण्ड के साथ विश्वासघात
मकर संक्रांति के दिन प्रदेश सरकार गैरसेंण में एक विधानसभा भवन का शिलान्यास करने जा रही है। परन्तु सरकार देहरादून का अंध मोह नहीं छोड़ पा रही है। भले ही प्रदेश कांग्रेस सरकार गैरसेंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित करने से भी कतरा रही हो परन्तु गैरसेंण को प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए जनता की तरफ से निरंतर दवाब बढ़ता ही जा रहा है। राज्य गठन समर्थकों की तरफ से ही नहीं अपितु कांग्रेस व भाजपा के राज्य समर्थक नेताओं को भी एक बात अब समझमें आने लगी है कि बिना गैरसेंण में राजधानी बने हुए प्रदेश की जनांकांक्षाओं को साकार नहीं किया जा सकता है। खासकर जिस नासमझी व अदूरदर्शिता से प्रदेश सरकार गैरसेंण में विधानसभा भवन बनाने की खबर से प्रफुल्लित उत्तराखण्डियों से विश्वासघात करके इसकी आड़ में देहरादून में भी विधानसभा का नया भवन बनाने का नापाक काम कर रही है, उससे उत्तराखण्ड के हितैषी व समर्पित राज्य आंदोलनकारियों में गहरा आक्रोश है। सबसे अहम बात अब प्रदेश के लोगों को समझ में आ गयी है कि न तो प्रदेश के जनप्रतिनिधी बने हुक्मरान व नहीं प्रदेश के विकास को दीमक की तरह चाट रहे नौकरशाह तथा प्रदेश के पूरे तंत्र को अपने इशारों पर नचाने वाले माफिया टाइप के जल-जंगल-भूमि व शराब के अवैध कार्यो में लगे माफिया जनभावनाओं के खिलाफ प्रदेश की राजधानी को गैरसेंण बनाने के बजाय हर हाल में देहरादून में अपने ऐशौ आराम के लिए थोपे रखना चाहते हैं। ये लोग गैरसेंण राजधानी बनाने के विरोध में उन लोगों को अपना मोहरा बना रहे हैं जो उत्तराखण्ड राज्य गठन के विरोध में रहे। जो यहां पर पहाड़ व मैदान की द्वेष फेला कर उत्तराखण्ड की शांति को भंग करना चाहते है। जिन लोगों को इतिहास ही दागदार रहा और जो माफियाओं के इशारे पर प्रदेश को लूट खशोट कर बर्बाद करना चाहते है वे ही लोग गैरसेंण राजधानी बनाने का विरोध कर रहे हैं। इनके कारनामों की अब तक जांच करायी जाय तो ये इन लोगों के काले कारनामें जनता के सामने बेनकाब हो जायेंगे।
जब वर्तमान सरकार ने आधे अधूरे मन से गैरसैंण में विधानसभा का एक सत्र चलाने व वहां पर विधानसभा भवन बनाने का ऐलान किया तो जनता ने इससे पूरी तरह से खुश न होने के बाबजूद उनको ऐसा लगा कि देर सबेर आखिर इसी नीव से प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसेंण में कभी न कभी तो बनेगी। परन्तु जैसे ही प्रदेश सरकार ने गैरसेंण में 14 नवम्बर को विधानसभा भवन का शिलान्यास करने के साथ साथ देहरादून में भी विधानसभा भवन के लिए नयी जगह ढ़ूढने का ऐलान किया, जनता की आशाओं पर मानो बज्रपात के समान ही हुआ। जनता मे गहरा आक्रोश छा गया। जनता प्रश्न कर रही है कि आखिर देहरादून में नयी विधानसभा भवन बना कर जनता के साथ विश्वासघात क्यों कर रही है सरकार। जब तक गैरसैण में विधानसभा भवन आदि भवनों का सही निर्माण नहीं होता तब तक देहरादून में वर्तमान विधानसभा भवन ही काफी है। सरकार द्वारा देहरादून में नये विधानसभा भवन बनाने का विचार ही जनता प्रदेश के साथ विश्वासघात से कम नहीं मान रही है।
प्रदेश विधानसभाध्यक्ष ने दो टूक शब्दों में सरकार से गैरसेंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की मांग की। अपनी मांग को प्रदेश के लिए नितांन्त जरूरी बताते हुए विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने व विकास के लिए सरकार गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करना जरूरी है। श्री कुंजवाल ने कहा कि मैदान व पहाड़ के संतुलित विकास में समान नीति अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क, विद्यालय व चिकित्सालय सहित विकास का पूरा ढ़ाचा ही चरमराने पर गहरी चिंता प्रकट की। उन्होंने अफसोस प्रकट किया कि राज्य बनने के 12 साल बाद भी पर्वतीय क्षेत्रों का विकास ओर तीब्र होने के बजाय वहां विकास अवरूद्ध ही नहीं अपितु जो कुछ पहले हुआ था वह भी पटरी से उतर गया है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने भी विधानसभा में सरकार की मंशा भांपते हुए श्रेय लेने के लिए विधानसभा में गैरसेंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। जिसे कांग्रेस ने नकार दिया था। अब प्रदेश विधानसभाध्यक्ष ने सरकार द्वारा गैरसेंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी न बनाये जाने के ऐलान के बाद गैरसेंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की मांग करना कांग्रेस के अंदर चल रही गैरसैंण मुद्दे पर बर्चस्व की छीडी जंग को ही बेपर्दा करता है। प्रदेश की कांग्रेसी राजनीति में जिस प्रकार से हरीश रावत व सतपाल महाराज के गुटों में लम्बे समय से बर्चस्व की सीधी जंग रही है। इसमें अभी तक हरीश रावत का पलड़ा भारी रहा। जिस प्रकार से हरीश रावत गुट ने देखा की गैरसेंण विधानसभा भवन बनाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री बनने की जंग की तरह सतपाल महाराज ने हरीश रावत गुट को पछाड़ दिया हो। इसी से सबक लेकर अब हरीश रावत गुट ने भी गैरसेंण मुद्दे पर सतपाल महाराज व विजय बहुगुणा की सांझी रणनीति को पछाड़ने के लिए गैरसेंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की मांग कर डाली। गौरतलब है कि विधानसभाध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल हरीश रावत गुट के प्रमुख सिपाहेसलार है। उनके द्वारा की गयी मांग को हरीश रावत की राजनीति का एक सोचा समझा दाव माना जा रहा है। कांग्रेस में सत्ता संघर्ष का यह तिकड़म से अगर प्रदेश के लोगों को गैरसैंण राजधानी बनाने की राह मेें एक कदम आगे बढ़ाता है तो यह प्रदेश के हित में ही होगा। खासकर ऐसे समय जब जनभावनाओं को रौंद कर पूरी व्यवस्था व राजनैतिक दल गैरसेंण राजधानी बनाने के बजाय देहरादून के मोह में बुरी तरह से उलझे हुए है। ऐसे में गैरसेंण को राजधानी बनाने की दिशा में आधा अधूरा कदम भी किसी आशा की किरण से कम नहीं है। परन्तु जनता को सावधान होना होगा। इनके झांसे में फंसने के बजाय देहरादून में राजधानी थोपे रखने के लिए बनाये जा रहे नये विधानसभा भवन का पुरजोर विरोध करना होगा। गैरसैंण में प्रदेश की राजधानी बनाने की मांग को ले कर शहीद हुए बाबा मोहन उत्तराखण्डी सहित राज्य गठन के सभी शहीदों को यही सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। गैरसेंण केवल प्रदेश की जनांकांक्षाओं को साकार करने की केन्द्र विन्दू व विकास की राह ही नहीं अपितु लोकशाही का भी प्रतीक बन गया है। यह जो कुकृत्य व विश्वासघात प्रदेश के अब तक के हुक्मरानों ने प्रदेश के हक हकूकों व मान सम्मान के साथ किया उसका भी एक प्रकार से प्रायश्चित होगा। शेष श्री कृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।
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