आंदोलनकारियों का  फिर दमन, जंतर मंतर पर आंदोलन तेज, सामुहिक मुण्डन, कनाडा व हार्वर्ड के पास मोमबती मार्च


16 दिसम्बर को दिल्ली में जिस 23 वर्षीया पेरामेडिकल छात्रा के साथ सामुहिक बलात्कार हुआ था, उसके अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग को लेकर भारत की संसद की चैखट जंतर मंतर तो निरंतर आंदोलन की ज्वाला ही जली है इसके साथ पूरे देश म ें भी इस प्रकार के प्रदर्शन जारी है। जहां जंतर मंतर पर 2.7 डिग्री की कडकडाती ठण्ड में आंदोलनकारी अपनी आवाज बुलन्द किये हुए है। जंतर मंतर पर दो आंदोलनकारी अनशन कर रहे हैं। वहीं संसार के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक  हार्बडउ विश्वविद्यालय में लोगों ने इस काण्ड के विरोध में और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मोमवत्ती मार्च निकाला।
बोस्टन के कई अधिकार समूहों ने साथ मिलकर कैम्ब्रिज में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पास दिल्ली सामूहिक बलात्कार पीडिता की याद में मोमबती मार्च निकाला और इस जघन्य आपराधिक घटना की निंदा करते हुए महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की मांग की। वहीं जंतर मंतर पर आंदोलन जारी है। बरेली के इस आंदोलन में जंतर मंतर पर आये राजेश गंगवार को 5 जनवरी को आमरण अनशन को 13वां दिन होगा वहीं फरूखाबाद मूल के बाबू सिंह को 6वां दिन हो रहा है।  जंतर मंतर पर जहां 3 जनवरी की रात 7 बजे को आक्रोशित आंदोलनकारियों  को उस समय पुलिस ने बर्बरता से  लाठियां बरसायी। वहीं 4 जनवरी को आंदोलनकारियों ने देश में बलात्कारियो ंको कड़ी सजा देने के लिए सरकार से कडे कानून बनाने की मांग को लेकर अपना जंतर मंतर पर  अखण्ड धरना जारी रखां । जहां सभा, अनशन, कुरूक्षेत्र से आये वैदिक मर्मज्ञा द्वारा हवन, सामुहिक हस्ताक्षर,  नारेबाजी व मोमबत्तियों जला कर दामिनी को श्रद्धांजलि देने का दौर जारी रहा। वहीं 4 जनवरी को दामिनी प्रकरण में देश के हुक्मरानों द्वारा लोकशाही की निर्मम गला घोंटने, पुलिसिया दमन व दामिनी काो श्रद्धांजलि देने के लिए अग्रणी समाजसेवी श्रीओम अर्जव के नेतृत्व में 50 समाजसेवियों ने अपना मुण्डन किया। वहीं इस आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले डीके गुप्ता के अनुसार 4 जनवरी को भारतीय मीडिया का रहस्यमय ढ़ग से यहां से गायब होना व भारी पुलिस जवानों का जंतर मंतर के आंदोलन स्थल के अंदर जमने से आंदोलनकारी आक्रोशित थे, परन्तु जैसे ही बीबीसी, कनाडा सहित विदेशी मीडि़या ने यहां पर अपनी गतिविधियां बढ़ायी उसके कुछ ही पलों  मे  आंदोलन स्थल के अंदर जमी भारी संख्या में पुलिस बल यकायक बेरिकेट  के बाहरी तरफ चले गया और कुछ देर बाद भारतीय मीडिया भी फिर प्रकट हो गयी। भारी शीतलहर के बाबजूद  युवाओं व आंदोलनकारियों का उत्साह देखते ही बनता है। सरकार चाहे इस मामले में फास्ट ट्रेक की बात कह कर अपनी सक्रियता पर आंदोलन समााप्त करने की अपील करती दिखती हो पर आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार से वे महिलाओं का इस प्रकार से शोषण करने वाले अपराधियों पर तुरंत शिकंजा कसने के  लिए कड़े कानून बनाने की मांग कर रहे है। सरकार जब शाह बानो केस में तुरंत संविधान में संसाधन अपने वोट बेंक की तुष्टिकरण के लिए कर सकती है तो फिर क्यों देश विदेश में उठ  रही करोड़ों जनता की सामुहिक अपील पर मूक क्यों है? देश की  जनता चाहती है कि कोई बेगुनाह को शिकार बनाने वालों को कड़ी सजा मिले और इस कानून का कोई दुरप्रयोग भी न कर सके। देश में दमनकारी पुलिस व कानूनों का चेहरा भी बदला जाय।

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