जनाक्रोश से तिलमिलाये बहुगुणा बोले उत्तराखण्ड नेताओं की भरमार से बन सकता है गिनीज बुक रिकार्ड 


रुद्रपुर (प्याउ)। प्रदेश के हक हकूकों व भविष्य के साथ बड़ी निर्लज्जता से खिलवाड़ करने वाले हुक्मरानों का हल्का सा विरोध भी प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को फूटी आंख नहीं सुहा रहा है। रूद्रपुर सिटी क्लब में व्यापार मण्डल के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए श्री विजय बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड राज्य का गठन आंदोलन के जरिए हुआ था। यहां सभी नेता हैं। नेताओं की संख्या गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज कराई जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब आंदोलन का नहीं राज्य को आगे बढ़ाने का वक्त है।
भले ही उत्तराखण्ड  राज्य गठन व उसके मान सम्मान की रक्षा के लिए चलाये गये 1994 के ऐतिहासिक जनांदोलन में प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की क्या योगदान था इसको यहां की जनता अच्छी प्रकार जानती है। जनता जानती है कि जितने भी प्रदेश के मुख्यमंत्री हुए तिवारी, खण्डूडी, व निशंक से लेकर बहुगुणा तक उन्होने जनता के  बलिदानों व संघर्ष की बदोलत गठित राज्य की जनांकांक्षाआों को किस निर्ममता से रौंदा है, अगर प्रदेश की जनता को इनकी सच्चाई का भान हो जाये तो वे इनको एक पल के लिए भी प्रदेश में इनको स्वीकार न करे। क्योंकि इन्होंने न केवल प्रदेश के हक हकूकों को रौदवाया अपितु प्रदेश के भविष्य के साथ भी खिलवाड़  कर रहे है। प्रदेश की जनता जिन मुलायम सिंह यादव व उनके चट्टे बट्टों का नाम लेना भी पसंद नहीं करती वे उनको आये दिन बेशर्मी से गले लगाते है। प्रदेश की राजधानी गैरसेंण बनाने के नाम पर किस निर्लज्जता  से देहरादून में विधानसभा के नये भवन की जगह ढूंढ़ी जा रही है। प्रदेश के अब तक के हुक्मरानों को प्रदेश में दागदार लोगों को प्रदेश के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन करने के अलावा अगर कुछ किया तो वह प्रदेश के हक हकूकों को रौदवाया। प्रदेश में मुजफरनगर जेसे काण्डों के कातिलों को संरक्षण देने के अलावा क्या काम किया। प्रदेश के हुकमरानों को सुध तक नहीं रही प्रदेश के मान सम्मान को रौंदने वालों को दण्डित करने की। नहीं उनको सुध  रही पर्वतीय प्रदेश में जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई परिसीमन के दंश से प्रदेश के भविष्य को बचाने की। यही नहीं बहुगुणा सरकार तक किसी भी सरकार को इस प्रदेश के मूल निवासियों के हक हकूकों की रक्षा करने की भी न तो सुध  रही व नहीं इच्छा ही। आज यहां पर उच्च  न्यायालय में प्रदेश के हितों की मजबूत पैरवी करने का भी भान प्रदेश की सरकारों को नहीं है। इसी कारण यहां मूल निवास पर सरकार ने ऐसी नासमझी की जिसका दंश प्रदेश को नहीं देश को झेलना पडेगा। प्रदेश की जनता ऐसा नहीं इनके कुकृत्यों से भली भांति विज्ञ न हो, वह इनकी काली करतूतें जानती है इसी कारण वह विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव में इनका सफाया समय समय पर लगातार कर रही है। परन्तु अगर जनता इनके पूरे काले कारनामें जान जाय तो प्रदेश की जनता एक पल के लिए इन नेताओं को प्रदेश में पांव रखने की इजाजत तक न दे। परन्तु इन्होंने अपने चट्टे बट्टों के द्वारा ऐसा मायाजाल प्रदेश की जनता में ईमानदार, समर्पित व सजातिय हितैषी का फेला रखा है जिसके कारण जनता इनको मशीहा मान कर इन चंगैजों को ही अपना तारणहार समझ कर उनको राजनीति में अभयदान दे रही है। नहीं तो प्रदेश में सारंगी, निंशक व नकली लोकायुक्त की बीन बजाने वाले प्रदेश के हक हकूकों को रौंदने वाले नेता को ईमानदारी का तकमा तो नहीं दिया जाता। या प्रदेश की नीव सहित पूरी व्यवस्था को पतन की गर्त में धकेलने के गुनाहगार को विकास पुरूष का तकमा तो नहीं दिया जाता।
रूद्रपुर में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने रुद्रपुर उद्योग व्यापार मंडल के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों के सिटी क्लब में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए यहां 132 केवीए का बिजलीघर, विद्युत उपकरण स्टोर, नया बस अड्डा, दो वाटर ओवरहैड टैंक एवं नलकूप की स्वीकृति आदि का ऐलान किया। इसके अलावा उन्होंने जाफरपुर में 132 केवीए का बिजलीघर और विद्युत निगम का स्टोर, भूरारानी छतरपुर मटकोटा मार्ग चैड़ीकरण कराने, किच्छा बाईपास पर खेड़ा स्थित पुल का चैड़ीकरण कराने और अंतरराज्यीय बस अड्डा बनाने को मंजूरी दी। इसके साथ ही सिटी क्लब के विस्तार के लिए 25 लाख रुपये और स्टेडियम के पुनरोद्धार के लिए 20 लाख रुपये मंजूर करने की घोषणा सहित अनेक जनहित की योजनाओं को स्वीकार करने का भी ऐलान किया। अफ्रीका के दौरे के बाद टिहरी के बाद रूद्रपुर की यात्रा के दौरान उनको शायद इस बात का दर्द सता रहा होगा कि क्यों प्रदेश के लोग उनके कार्यो की आंख बंद करके स्वीकार नहीं कर  रहे है। शायद अपने बेटे की अपनी पूर्व संसदीय सीट टिहरी में हुई करारी हार व अपने कार्यो  की हो रही बार बार किरकिरी ने उनके बड़ी तिकडम से हासिल की गयी प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो कर सत्ता सुख भोगने के स्वप्न को रेत की महल की तरह बिखेरने का दर्द न चाहते हुए उनकी जुबान से छलक गया  हो। परन्तु वे भूल जाते हें कि प्रदेश की जनता ने यह राज्य उन जैसे राजनेताओं की अंध सत्तालोलुपता को पूरी करने के लिए नहीं अपितु जनांकांक्षाओं का विकास करने तथा प्रदेश की संस्कृति, सम्मान व हक हकूकों की रक्षा के लिए बनाया है।

Comments

  1. pitaji ke naam ke karan kursi mil gai nahi to vijay bahuguna ko kon janta tha ...

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

-देवभूमि की पावनता की रक्षा की फिर भगवान बदरीनाथ ने- निशंक के बाद मनंमोहन को भी जाना होगा