आंदोलन को दमन से कुचल न पायी सरकार अब कर रही है बदनाम करने का षडयंत्र !

16 दिसंबर को दिल्ली में 23 वर्षीय दामिनी के साथ चलती बस में हुए सामुहिक बलात्कार की विभत्स घटना के बाद 22 व 23 दिसम्बर को सडकों पर उमडे व्यापक जनाक्रोश को दबाने के बाद जहां सरकार पुलिसिया दमन के बाद भी विफल रही। 24 दिसम्बर के बाद देश के हर कोने कोने में ही पूरे विश्व में जिस प्रकार से इस घटना की व्यापक भत्र्सना हो रही है। उसने मनमोहन सरकार को भरी सर्दी के मौसम में भी पसीने ही नहीं छुडवा दिये अपितु इस सरकार व व्यवस्था की चूलें हिला दी है। इस प्रकार की बलात्कार की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए देश की सरकार से अविलम्ब कड़ा कानून बनाने की मांग को लेकर संसद की चैखट जंतर मंतर पर समर्पित आंदोलनकारी एक माह गुजरने के बाद भी लगातार आंदोलन कर रहे है। बिना किसी नेता, संगठन के चलने वाले इस जनांदोलन से सरकार पूरी तरह सहमी हुई है । एक माह बाद भी सरकार जंतर मंतर पर चल रहे आंदोलन को तमाम तिकडमों व दमन के बाद भी तोड नहीं पायी। इस जनाक्रोश को जनता व लोकतंत्र की असली ताकत बताने वाले इस आंदोलन में मूक रहकर सक्रिय भागेदारी निभा रहे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के पूर्व सर्जन डा परमजीत सिंह साहनी ने आशंका प्रकट की कि सरकार अब इस आंदोलन को बदनाम करने के औछे हथकण्डे अपना रही है। आंदोलनकारियों को सावधान करते हुए समाजसेवी डा परमजीत सिंह ने कहा कि यहां पर गलत छवि के लोगों का सहारा ले कर आंदोलनकारियों को फर्जी विवाद में प्रताडित किया जा रहा है। उन्होंने आंदोलनकारियों को सावधान करते हुए कहा कि अगर पुलिस जंतर मंतर से जेबकतरों व अन्य प्रकार के अपराधियों को पकड़ सकती है तो जो अवांछनिय तत्वो को पुलिस जानबुझ कर यहां पर क्यों आंदोलनकारियों से विवाद करने के लिए क्यों मूक रह कर संरक्षण दे रही है। उन्होने 19 व 20 जनवरी की घटनाओं पर गहरी चिंता प्रकट की।

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