मनमोहनी कुशासन को दूर करने के बजाय बंद करे कांग्रेस चिंतन की नौंटकी 

कांग्रेस के जयपुर चिंतन पर भारी पडा जंतर मंतर का चिंतन

 एक तरफ जयपुर में देश की केन्द्र सहित कई प्रांतों की सत्ता में आसीन कांग्रेस के दिग्गजों का 2 दिवसीय चिंतन शिविर का जयपुर में 19 जनवरी को राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की घोषणा के हुई और 20 को कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी व मनमोहनसिंह तथा उपाध्यक्ष बने राहुल गांधी के भाषणों के साथ यह चिंतन शिविर का समापन हुआ। वहीं दूसरी तरफ देश की संसद की चैखट, राष्ट्रीय धरना स्थल पर जहां देश की वर्तमान शर्मनाक स्थिति से उबारने  के लिए दिसम्बर से निंरतर जनांदोलन चला हुआ है वहां पर भी 19 जनवरी को बीच सडक में बैठ कर देश की शर्मनाक स्थित पर गहन चिंतन हुआ। इस चिंतन में मेरे अलावा भाग लेने वालों में देश के शीर्ष चिकित्सा संस्थान ‘अखिल भारतीर्य आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के सेवा निवृत वरिष्ट सर्जन डा परमजीत सिंह साहनी, वसुंधरा गाजियाबाद से समाजसेवी दीन दयाल शर्मा व दक्षिण भारतीय मूल की वरिष्ट अधिवक्ता व अन्य समाजसेवी। इसमें देश की कानून व्यवस्था, मंहगाई, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जनांदोलनों, देश की राजनीति के शर्मनाक पतन के अलावा विश्व पर मंडरा रहे अमेरिकी वर्चस्व की अंध प्रवृति पर गहरा चिंतन किया गया।
देश की जनता ने कांग्रेस के पास देश को सुशासन देने का जनादेश दिया है। परन्तु वह जनादेश को भूल कर जनता को चिंतन व कोरे आश्वासनों का सब्जबाग दिखाने की नौटंकी कर रहे है। कांग्रेसी भूल गये कि देश की जनता ने चिंतन व भाषणवाजी न करके केवल देश को सुशासन करने का दायित्व दिया है फिर वह क्यों देश को सुशासन देने के बजाय देशवासियों को चिंतन व भाषणा की नौटंकी दिखा रही है ?वह कांग्रेस के कुशासन के प्रतीक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हटाने के बजाय यह बता रही है कि कांग्रेस में अब राहुल गांधी नम्बर 2 पर उपाध्यक्ष बना कर आसीन कर दिये गये है। वह सोच रही है  कि देश का मध्य वर्ग ही नहीं आम आदमी मनमोहन सिंह सरकार के कुशासन से देश की जनता का जीना हराम करने वाली मंहगाई, पाकिस्तान, चीन व अमेरिका पोषित आतंकवाद व देश में आकंण्ठ व्याप्त भ्रष्टाचार से निजात पा लेंगे। कांग्रेसी मतिमंदों को आशा है कि देश की जनता 5वें से 8 वें दशक के आम भारतीयों की तरह गांधी नेहरू परिवार के पीछे लट्टू की तरह मर मिट जायेंगे। देश की जनता को मालुम है कि राहुल नम्बर दो नहीं अब नम्बर एक है कांग्रेस मे। परन्तु क्यों करें देश की जनता राहुल का जो मनमोहन सिंह के कुशासन से देश की जनता को मुक्ति तक नहीं दिला पा रहे है। जो मंहगाई, भ्रष्टाचार, आतंकवाद व कुशासन पर मूक बने हुए है। अगर राहुल गांधी अमेरिका परस्त मनमोहन को तुरंत हटा कर देश को उसके कुशासन से मुक्ति दे कर मंहगाई, आतंकवाद, भ्रष्टाचार आदि से निजात दिलाते तो जनता को राहुल के होने का कुछ अहसास होता। राहुल कांग्रेस में क्या हैं इससे जनता को कुछ भी नहीं लेना। जनता को केवल उसी से लेना है जो उनके दुख दर्द को दूर करने के लिए आगे आये और देश की एकता अखण्डता की रक्षा करते हुए देश को विकास के पथ पर अग्रसर करे। परन्तु लगता है कि देश की इस चुनौती को स्वीकार करने का जज्बा न तो राहुल के पास है व नहीं समझ। अगर जरा भी समझ होती तो वे देश को मनमोहन जैसे कुशासन से अब तक कबके मुक्ति दिला देते। देश की जनता को अब दाम प्यारा है न की चाम। वो दिन गुजर गये जब गांधी नेहरू परिवार के नाम पर देश की जनता अंधा समर्थन करती थी। तब नेता व जनता दोनों में देश के लिए कुछ करने का जरा जज्बा बचा हुआ था। अब लोग केवल काम देखते हैं काम। देश की जनता अब कांग्रेस को वोट राहुल या सोनिया के वजह से नहीं अपितु उसके कार्यो के लिए देगी। परन्तु कांग्रेसी नेता जनता से इतने कट गये कि उनको न तो अपने दायित्व का भान है व नहीं देश के सम्मान व हितों का। पाक-अमेरिका व चीन अपने प्यादों से भारत की एकता व अखण्डता तबाह करने पर लगे है परन्तु क्या मजाल कांग्रेसी नेतृत्व को कुछ जनता का दु,ख दर्द ही दिखाई या सुनाई दे रहा हो।

मनमोहनी कुशासन से जनता त्राही त्राही कर रही है। एक तरफ दामिनी को न्याय दिलाने के लिए 24 दिसम्बर से आंदोलन चल रहा है। वहां पर दूसरी तरफ पंजाब से चण्डीगढ़ के डीआई जी द्वारा यौन शोषण की पीडि़ता अनशन कर रही है। वहीं पर समाजसेवी श्रीओम अपने साथियों के साथ क्रमिक अनशन की अलख जगाये हुए है। इसके साथ जंतर मंतर पर विगत कई दिनों से नित्य हवन करने वाले भारत सरकार के  पूर्व अण्डर सेक्रेटरी रामचंद्र आर्य या मानवाधिकार संगठन से जुडे डी के गुप्ता या चिकित्सक छिब्बर आदि आंदोलनकारी समर्पित हैं।
 यह प्राणीमात्र की आदत में सुमार है कि जब आदमी विपरित परिस्थितियों से चारों तरफ से घिरा हो या किसी विषय पर उलझा हो या किसी बडे लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति बनानी हो या किसी व्यक्ति या विषय पर मनन करना हो तो प्राणी उस पर अपना दिमाग खपाता  है, इस प्रवृति को चिंतन कहा जाता है। परन्तु जब कांग्रेसी नेतृत्व ही मनमोहन जैसे कुशासक के मोहपाश में बंधी हो तो देश की जनता का जीना हराम होगा ही। कांग्रेस सहित देश के नेताओ ंको चाहिए कि वह ऐसे नौटंकी करने वाले चिंतन व भाषणवाजी करने के बजाय जनहित में कार्य करने का काम करें।

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