दामिनी प्रकरण से आहत व आक्रोशित देशवासियों से न्याय नहीं कर पायी जस्टिस वर्मा समिति 


दामिनी प्रकरण जैसे क्रूर पाश्विक घटना ने देश के अधिकांश कानूनविद, राजनेता, समाजसेवी सहित देश विदेश का आम आदमियों को उद्देल्लित कर दिया है। देश के अधिकांश नागरिक एक स्वर में ऐसे अमानवीय क्रूर अपराधियों को केवल मौत की सजा देने की मांग कर रहते हुए देश ही नहीं पूरे विश्व में लाखों लोग इसके लिए आंदोलन भी कर रहे है। देश की जनता एक स्वर में ऐसे प्रकरणों पर अंकुश लगाने के लिए अपराधियों को मौत की सजा व ऐसे अपराधों में लिप्त उम्र की ढाल बना कर नाबालिक अपराधी को कोई छूट न दे कर उसे भी मौत की सजा देने की मांग कर रही थी । परन्तु इस प्रकरण पर कानून को और कडा बनाने के लिए सरकार द्वारा बनायी गयी न्यायमूर्ति वर्मा समिति ने न तो जनभावनाओं से न्याय किया व नहीं देश में अपराधियों के बढ़ते हुए हौसले पर बज्रपात करने के लिए कठोर कानून बनाने की ही सिफारश की। ऐसे जघन्य अपराधियों को जीवित रहने का एक पल का भी अधिकार नहीं है। ऐसे में उनको मौत की सजा के बजाय उम्रकेद दे कर एक प्रकार से जीवनदान ही दिया हैं।
वहीं नाबालिक अपराधियों की उम्र को 18 से कम करने से इनकार करके वर्मा समिति ने देश मे शिक्षा व अपराधिक प्रवृतियों के बाद आये सामाजिक परिवर्तन को नजरांदाज करके पथभ्रष्ट हो चूके 16 साल से उपर के पक्के अपराधियों को एक प्रकार से और अपराध करने की ढाल सोंप दी है। जिस प्रकार का हिंसक अपराधिक कृत्य दामिनी प्रकरण में एक तथाकथित 18 साल से कुछ माह छोटे अपराधी ने किया, उसको देख कर भी देश के भाग्यविधाता बने लोगों की आंखे नहीं खुली तो ऐसे समितियों को बनाने का क्या औचित्य है।
देश की जनता मनमोहनी सरकार व न्यायमूर्ति वर्मा समिति की तमाम सिफारसों को ठुकराते हुए ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए दामिनी जेसे हिंसक सामुहिक बलात्कार करने वाले मामले में अंकुश लगाने के लिए केवल मौत की सजा की मांग करते है। इसके साथ जो 18 साल से चंद महिने कम उम्र के सबसे क्रूर अपराधी का नाबालिक बता कर उसको नाबालिक कोर्ट में मामला चलाने यानी उसको चंद साल की सजा देने के षडयंत्र को नकारती है और सोच समझ कर सबसे क्रूरतम अपराधी करने वाले 16 साल से उपर के अपराधी को वयस्क मानते हुए केवल फांसी की सजा देने की मांग कर रही है। देश की जनता सरकार व ऐसे समितियों को सिरे से नकारती है। सरकार व उसके ऐसे हथकण्डे केवल देश की जनता के आक्रोश को बढाने का काम करेगी। वहीं जस्टिस वर्मा समिति ने ऐसे कातिल बलात्कारियों को मौत की सजा देने के बजाय महिलाओं को घूरने व पीछा करने वाले को भी अपराध बना कर एक प्रकार से भ्रष्टाचारी पुलिस को आम आदमी को नाहक लूटने का एक क्रूर हथियार सौंप दिया है। इससे अपराधों पर अंकुश लगने के बजाय अपराध में वृद्धि ही होगी।
 

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