26 जनवरी ‘गणतंत्र दिवस’ के शुभ अवसर पर 
स्वतंत्रतासंग्राम के महान सैनानियों व शहीदों 
की पावन स्मृति को शतः शतः नमन्

आओ संकल्प लें कि हम आजादी के 65 साल बाद भी 
देश के हुक्मरानों द्वारा देश की आजादी को अंग्रेजी भाषा की गुलामी 
से आजाद कराने के अपने आप को समर्पित करे। 

विदेशी भाषा, विदेशी तंत्र से  मुक्त होने के बाद ही होगा भारतीय गणतंत्र का सूर्यादय


भारत के लाखों सपूतों ने शताब्दियों तक किये आजादी के सतत् संघर्ष व बलिदान देने के  बाद जो आजादी विदेशी हुक्मरानों को खदेड़ कर हाशिल की थी वह आजादी को देश के चंद लोगों ने अपनी गुलाम मानसिकता के कारण बंधक बना लिया है। 15 अगस्त, 1947 में आजाद होने के बाद देश में आसीन हुक्मरानों ने अपनी संकीर्ण सत्तालोलुपता के कारण देश को परिवार, धर्म,जाति, क्षेत्र, भाषा, लिंग के नाम पर लूट व लुटवा कर बर्बाद कर दिया है। हालत इतनी शर्मनाक है कि देश आजादी के 65 साल बाद भी अपने तंत्र, अपनी भाषा, अपने नाम, अपनी संस्कृति के लिए तरस रहा है। आज हालत यह हो गया है देश में लोकशाही के नाम पर चंगैजशाही का जो अंधा तांडव चल रहा है उससे हर रोज हो रहे अरबों खरबों के देश के संसाधनों को लूटने के घोटालों व कुशासन से देश का आम आदमी मंहगाई, भ्रष्टाचार, आतंकवाद से बेहद पीडि़त है। आम आदमी से न केवल शिक्षा, चिकित्सा, न्याय ही नहीं अपितु रोजगार व सम्मान भी देर हो गया है। जनसेवक बने राजनेता व नौकरशाह ही नहीं उद्यमी व समाजसेवी सहित पूरा तंत्र चंगैजी प्रवृति से ग्रसित हो कर देश को बर्बाद करने में दिन रात लगे हुए है। आम आदमी की चित्कार किसे सुनाई नहीं दे रही है। धर्माचार्य समाज में प्रेम व ज्ञान से आलौकित करने के बजाय दौलत इकठ्ठा करके समाज में घृणा फेलाने में लगे हुए है। आज आम आदमी असहाय हो कर भारत के दुर्भाग्य पर आंसू बहा रहा है। इस देश के हुक्मरानों ने देश में विद्या, चिकित्सा, न्याय व समाजसेवा को व्यापार बना कर आम आदमी का जीना दूश्वार कर दिया है।
हालत इतनी दयनीय हो गयी है कि भले ही देश के बाहरी दुश्मनों से रक्षा करने के लिए माॅं भारती के लाखों जांबाज सपूत सैनिक के रूप में सीमाओं पर दिन रात डटे हुए हैं। परन्तु जिन नेता व नोकरशाह पर देश के भाग्य को बनाने व संवारने के साथ साथ एकता व अखण्डता की रक्षा करने का महत्वपूर्ण दायित्व देश की जनता ने लोकशाही में विश्वास करके सौंपा है वे अपने निहित स्वार्थ के लिए अपने दायित्व का निर्वाह करने के बजाय देश की एकता अखण्डता व स्वाभिमान को अमेरिका, चीन व पाकिस्तान से रौंदवा कर भी नपुंसक बने हुए है। हालत यह है कि भारत के जांबाज सैनिकों के सर नापाक पाक काट ले, देश की संसद सहित शहरों पर आतंकी हमले करें या भारत की लाखों वर्ग किमी भू भाग पर कोई कब्जा कर ले परन्तु भारत के नपुंसक हुक्मरान ऐसे अमेरिका, पाक व चीन जैसे भारत द्रोही दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के दायित्व का निर्वाह करने के बजाय बेशर्मो की तरह उनको गले लगाने के आत्मघाती कृत्यों में ही लगे हुए है।
ऐसे में आज जरूरत है देश को भगवान श्रीकृष्ण के अमरघोष की जो अन्याय के खिलाफ सतत् संघर्ष का नेतृत्व करे। स्थिति इतनी दयनीय हो गयी है कि देश की इस दयनीय हालत से उबारने के लिए जो कुछ रहुनुमा बने है वे इसी फिरंगी गुलामी का लबादा ही नहीं उनकी पूरी मानसिकता ही इसी फिरंगी गुलामी से भरी हुई है। गणतंत्र दिवस के उपलब्ध पर देश के स्वाभिमानी सपूतों का आवाहन करता हॅू कि वे देश से आजादी के 65 साल बाद भी गुलामी के कहार बने तंत्र व उनके कहारों से मुक्त कर भारतीय गणतंत्र की स्थापना करने में ‘भारतीय मुक्ति सेना’ के सैनिक बन कर अपने राष्ट्रीय धर्म का पालन करेंगे। आओ देश की आजादी को फिरंगी कहारों से मुक्त करके फिर से भारत को विश्व के कल्याण के लिए देश पर थोपी गयी फिरंगी गुलामी को हर स्तर से उखाड़ फेंक कर भारत को विश्व गुरू बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिए समर्पित करें।
जय हिन्द 
आपका
देवसिंह रावत
भारतीय मुक्ति सेना 

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