मुम्बई बमकाण्ड के सूत्रधार रहे खुंखार आतंकी हेडली को अमेरिका ने दिया जीवनदान क्यों?


हेडली को बचाने के  लिए अदालत से उम्रकेद का नौटंकी क्यों?

2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले जिसमें छह अमेरिकियों समेत 166 लोग मारे गए और सैंकड़ों लोग घायल हुए थे उसके खूंखार सूत्रधार आतंकी डेविड हेडली को अमेरिका ने मौत की सजा से अभयदान दे कर भारत के स्वाभिमान  ही नहीं न्याय का गला घोंटने का घृर्णित कृत्य किया । एक तरफ अमेरिका अपने लादेन सहित अन्य अपराधी आतंकियों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित पूरे विश्व में कहीं भी छिपे होने पर वहीं जा कर मौत के घाट उतार रहा है वहीं भारत पर मुम्बई आतंकी काण्ड के मुख्य सूत्रधार को अपने देश में पनाह दे कर उसको अभयदान देने का घृर्णित कार्य करने को तुला है। अमेरिका के  इस कुकृत्य पर न तो भारत की  नपुंसक सरकार विरोध कर रही है व नहीं विश्व समुदाय ही इस दिशा में अमेरिका से प्रश्न ही कर रहा है।
24 जनवरी को अमेरिका की शिकागो अदालत में इस आरोप में बंद हेडली को सजा देने पर अमेरिकी सरकार के मौत की सजा न देने के समझोते से लाचारी प्रकट करते हुए मायूस हो कर कहा कि न्यायमूर्ति लेनेनवेबर ने कहा, मिस्टर हेडली एक आतंकवादी हैं। आपको मौत की सजा सुनाना अधिक आसान होता। आप उसी के हकदार हैं। यह कहते हुए जज ने हेडली को 35 साल की उम्रकेद की सजा सुनायी।
उपरोक्त अदालत के फैसले से पहले ही अमेरिका ने इस आतंकी के साथ समझोता कर लिया था कि उसको मौत की सजा नहीं मिलेगी। इसके लिए हेडली को अमेरिका ने वचन दिया कि उसे न तो भारत, पाक व डेनमार्क को ही सौंपा जायेगा तथा नहीं फांसी की सजा दी जायेगी। इससे खुश हो कर हेडली ने अमेरिका के आतंकवाद के खिलाफ तथाकथित मिशन में सहयोग देने, पाक आतंकी संगठनों की जानकारी देने व आतंकी तहब्बुर राणा के खिलाफ सरकारी गवाह बनने का वचन दिया। हेडली की गवाही के कारण इसी पखवाडे जज लेनेनवेबर ने राणा को 14 साल की सजा सुनाई थी। यही नहीं ं अमेरिकी अटर्नी डेनियल जे कोलिन्स तथा साराह ई स्ट्रेकर ने हेडली के लिए 30 से 35 साल की सजा की मांग की थी।हेडली के वकीलों रॉबर्ट डेविड सीडेर तथा जॉन थॉमस ने  कम सजा सुनाए जाने की गुहार लगाते हुए दलील दी कि हेडली ने लश्कर जैसे आतंकवादी संगठनों और उसके कई नेताओं के खिलाफ अमेरिकी सरकार को काफी सूचना दी है। इसके साथ हेडली ने स्वीकार किया था कि उसने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के लिए कई अभियानों को अंजाम दिया था। उसने मुंबई में ताज महल होटेल समेत भारत में कई ठिकानों की विडियोग्राफी की थी, जिस पर लश्कर के दस आतंकवादियों ने हमला किया था। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक हेडली द्वारा बनाए गए विस्तृत विडियो के आधार पर ही मुंबई हमलों की साजिश रची गई और उसी की जानकारियों  के आधार पर वहां पर हमला कर तबाही मचाई।

पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक हेडली वास्तव में अमेरिका का ही ऐजेन्ट था जो पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के साथ मिल कर भी काम कर रहा था। इसीकारण अमेरिका हेडली को किसी भी कीमत पर भारत को नहीं सोंपेंगे। हेडली के पिता पाकिस्तानी और माॅं अमेरिकी थी उसका असली नाम दाऊद गिलानी है  जिसे उसने भारत की आंखों में धूल झोकने के लिए सनृ 2006 बदल कर हेडली कर लिया था। अतंरराष्ट्रीय खुखार हेडली एक  मादक पदार्थों का डीलर था जो बाद में अमेरिकी ड्रग इनफोर्समेंट एजेंसी का मुखबिर बन गया था। वह अमेरिका के इशारे पर पाकिस्तान व भारत में अपनी गतिविधियां चलाता था।
इस मामले में अपना अपराध स्वीकार करते हुए आतंकी हेडली कबूला कि उसने  पाकिस्तान में 2002 से 2005 के बीच पांच अलग-अलग मौकों पर लश्कर-ए-तैयबा द्वारा संचालित आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों में हिस्सा लिया । 2005 के अंतिम दिनों के दौरान हेडली को लश्कर के तीन सदस्यों की ओर से भारत में खुफियागिरी के लिए जाने का निर्देश मिला। उसने पांच बार खुफियागिरी की।
अमेरिका ने हेडली के भाग्य का फेसला पूरा कर लिया था शिकागो की अदालत में जो कुछ हुआ वह एक प्रकार न्याय नहीं अपितु न्याय का नाटक ही था। जज स्वयं अपने आपको लाचार मान रहा था उनके हाथ अमेरिका व खुखार आतंकी हेडली के बीच हुए समझोते से बंधे हुए थे। सच्चाई यह है कि हेडली अमेरिका का ही ऐजेन्ट है जो पाकिस्तान व भारत में अमेरिकी गतिविधियों का अंजाम देता था। उम्रकेद एक प्रकार का नाटक है असली राणा को सजा देने का हथकण्डा था और पाकिस्तान के बेलगाम आतंकी संगठनों को अंकुश में रखने का हथकण्डा ही है।


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