गैरसेंण राजधानी बनने से कोई ताकत नहीं रोक सकती



गैरसेंण राजधानी बनने से रोकने का नापाक षडयंत्र से बाज आये अभागे 

गैरसेंण में प्रदेश की जनांकांक्षाओं को साकार करने का प्रतीक, उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसेंण को बनाने की दिशा में प्रथम महत्वपूर्ण कदम यहां पर विधानसभा भवन का शिलान्यास 14 जनवरी को पावन मकर संक्रांति के दिन होने जा रहा है। परन्तु आदत से मजबूर अभागे कांग्रेसी नेता अपने निहित स्वार्थ के खातिर इस ऐतिहासिक कार्य पर भी ग्रहण लगाने की हर संभव कोशिशें कर रहे है। इससे प्रदेश के हितों पर गहरा आघात लग रहा है। भले ही कांग्रेस की वर्तमान विजय बहुगुणा सरकार गैरसेंण राजधानी वाले मुद्दे को मात्र तत्कालीन फायदे के लिए कर रहे हों या प्रदेश के जनविरोधी नेता इस मुहिम को असफल करने में तिकडम कर  रायपुर देहरादून में नयी विधानसभा भवन बनाने का ऐलान कर गैरसेंण में विधानसभा भवन बनाने के रंग में भंग डालने का षडयंत्र रच रहे हों। मै इस बात को भी भली भांति जानता हॅू कि ये सत्तालोलुपु और अपने निहित स्वार्थ में अंधे कोई उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसेंण बनाना ही नहीं चाहते है। नहीं प्रदेश की भ्रष्ट जनविरोधी नौकरशाही ही गैरसैंण में राजधानी बनाना चाहती है। ये इसे रोकने के लिए षडयंत्र पर षडयंत्र कर रहे हैं। परन्तु इन अभागों को इस बात का अहसास भी नहीं कि उत्तराखण्ड की जनता की करूण पुकार को भगवान बदरीनाथ हर हाल में सुनेगे। इन्हीं उत्तराखण्ड विरोधियों से राजधानी गैरसेंण बनाने का असंभव समझा जाने वाला काम  करायेगा।
 प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने इसकी नींव रखने वाले समारोह में सप्रंग सरकार की प्रमुख सोनिया गांधी को भी आमंत्रण दिया था। परन्तु अभागे कांग्रेसी नेताओं में वर्चस्व की जंग के कारण सोनिया गांधी का यह दोरा भले ही रद्द हो गया हो परन्तु कांग्रेसी व भाजपाई सहित तमाम उत्तराखण्ड की जनभावनाओं को प्रदेश की राजधानी जबरन देहरादून में थोपे रखने वाले दुशासनों को एक बात कान खोल के सुन लें कि बाबा मोहन उत्तराखण्डी सहित राज्य गठन के महान शहीदों व राज्य गठन आंदोलनकारियों का गैरसैंण राजधानी गठन का जो सपना है वह भगवान बदरीनाथ की अपार कृपा से हर हाल में पूरा होगा। चाहे उत्तराखण्ड के विकास के संसाधनों को अपनी अंध सत्तालोलुपता के लिए यहां की अब तक की सरकारें, विधायक, सांसद ना भी चाहे फिर भी महाकाल इन सत्तालोलुपु भेडियों की खाल से भी यह काम करायेगी।जिस प्रकार प्रदेश गठन को ना चाहते हुए भी इन भैडियों को बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। जिस प्रकार से प्रदेश का नाम भी न चाहते हुए बदलना पडा, उसी प्रकार प्रदेश की राजधानी गैरसेंण भी बनाने के लिए इनको मजबूर होना पडेगा। जो विरोधी है उनका प्रायश्चित एक ही है कि वे अपने नापाक कुकृत्यों को तत्काल त्याग कर प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसेंण बनाने में अपना योगदान दे कर महाकाल के श्राप से बचें।  इन सत्ता के भूखे अभागे भैडियों को इस बात का अपने दिलो दिमाग में गांठ बांध लेनी चाहिए कि प्रदेश की राजधानी गैरसेंण ही बनेगी चाहे ये कितने ही षडयंत्र कर लें। राजधानी इनके चाहने या न चाहने से नहीं अपितु यहां की जनता की करूण पुकार को भगवान बदरीनाथ ने सुन ली है। अब इसके मार्ग में जो भी अवरोध खडा करेगा उसे दण्ड तो भोगना पडेगा। यही बात मैने प्रदेश की इस सरकार के मुख्यमंत्री बनने के चंद घंटे पहले हरीश रावत से गैरसेंण मुद्दे पर कही थी कि सरकार में आसीन कोई पार्टी हो या कोई भी मुख्यमंत्री बने परन्तु हमारी मांग राजधानी गैरसेंण ही होगी और यही राजधानी बनेगी। यही बात मैने राव के शासन काल, मुलायम का सत्ताच्युत होने, खण्डूडी व भाजपा की पराजय, मोदी व वीरभद्र के विधानसभा में विजय सहित कई मामलों में की थी। काला बाबा सच ही कहते थे देवी काल कभी किसी को लठ ले कर मारने नहीं जाता वह कारण बनाता है। भगवान श्रीकृष्ण की परम शक्ति को न द्वापर के दुर्योधन समझ पाये व नहीं आज के सत्ता के जनविरोधी भैडिये जिन्होंने राज्य गठन के बाद उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं और हितौं को रौदेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इनके कृत्यों को भले ही शासन प्रशासन सजा न भी दे परन्तु भगवान के घर कभी अंधेर नहीं है।

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