350 साल बाद न्यूटन की पहेली को हल कर 16वर्षीय शौर्य रे ने फेहराया विश्व में भारतीय मेधा का परचम

भारतीय प्रतिभा का लोहा सदियों से इस संसार के आम जनता ने ही नहीं अपितु विश्व के चोटी के वैज्ञानिकों ने माना। शून्य की खोज से लेकर न्यूटन की पहली को हल करने वाली भारतीय मेधा के आगे पूरा विश्व नतमस्तक है। इसी सप्ताह 26 मई को भी जर्मन में अध्यनरत 16 वर्षीय भारतीय  छात्र शौर्य रे 350 साल से अनसुलझी विश्व के महान गणितज्ञ न्यूटन की पहेली का हल करके पूरे विश्व के गणितज्ञ व वैज्ञानिकों को अचंभित कर दिया।  प्रख्यात गणितज्ञ और भौतिकविद सर आइजैक न्यूटन की एक पहेली को सुलझा कर गणितज्ञों को हैरान कर दिया है। यह पहेली 350 वर्षो से अधिक समय से गणितज्ञों के लिए अबूझ थी। विश्व विख्यात  बीबीसी ने शौर्य की उपलब्धी पर टिप्पणी करते हुए समाचार प्रकाशित किया कि ‘न्यूटन की गणित की जिस उलझी गुत्थी को बड़े-बड़े महारथी 350 साल में नहीं सुलझा सके, उसे 16 साल के एक भारतीय विद्यार्थी ने चुटकी में हल करके दिखा दिया है.
’।  वहीं ब्रिटिश अखबार डेली मेल के अनुसार, 16 वर्षीय रे ने न्यूटन की फंडामेंटल पार्टिकल डायनमिक की थ्योरी को सुलझा लिया है। अखबार के अनुसार इससे पहले इस थ्योरी को सुलझाने के लिए भौतिकविदों को कंप्यूटर की जरूरत पड़ती थी। रे द्वारा इस पहेली को हल करने से  वैज्ञानिक अब यह पता लगा सकते है कि किसी गेंद को फेंके जाने पर वह किस रास्ते से गुजरेगी और वह किस प्रकार दीवार से टकराएगी और वापस लौटेगी।
रे को इस पहेली का पता तब लगा जब उसे एक पर्यटन कार्यक्रम के तहत द्रिसडेन विश्वविद्यालय ले जाया गया था, जहां एक प्रोफेसर ने उसे इस सवाल के बारे में कहा कि इसे सुलझाया नहीं जा सकता है। रे ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए यह धारणा बना ली थी कि वे इस पहलियों को सुलझा कर ही दंभ लेगे। बचपन में 6 साल की उम्र से ही शौर्य  ने गणित के जटिल सवालों को हल करना शुरू कर दिया था। वह चार साल पहले कोलकाता से जर्मनी गया था। तब उसे जर्मन भाषा नहीं आती थी, लेकिन अब वह इसमें पारंगत है। उसकी प्रतिभा को देखते हुए उसे दो कक्षा की प्रोन्नति दे दी गई है। गौरतलब है कि गत माह अप्रैल में भी भारतीय वैज्ञानिक प्रतिभाओं ने विश्व में अपनी प्रतिभा का लोहा विश्व जगत को मनाया था। अप्रेल माह में ही विश्व की सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्था राॅयल सोसायटी द्वारा विश्व के जिन छह वैज्ञानिकों को राॅयल सोसायटी की फेलोशिप के लिए चुना गया था उन छह में दो भारतीय बैंगलौर के जीव-वैज्ञानिक कृष्णास्वामी विजय राघवन और लंदन के इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर तेजिंदर सिंह विर्दी भी थे। इस  संस्था के फेलोशिप से आईंसटाइन, न्यूटन और स्टीफन हॉकिंग जैसे विश्व विख्यात वैज्ञानिक भी सम्मानित रहे।

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