बाहरी लोगों को नहीं स्थानीय लोगों को मिले 500 छोटी जल विद्युत परियोजनायें 

  प्रदेश में बड़े बांधों के भारी विरोध को देखते हुए विजय बहुगुणा सरकार प्रदेश में करीब 500 छोटी जल विद्युत परियोजनाओं का पिटारा खोलने को हरी झण्डी देने का मन बना रही है। यह सब प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर किया जा रहा है। सुत्रों के अनुसार  प्रदेश में करीब पांच सौ छोटी जल विद्युत परियोजनाएं विचाराधीन है।  सरकार जल्द ही पांच सौ लघु जल विद्युत परियोजनाओं का आवंटन करेगी। सरकार भले ही जो दुहाई दे परन्तु प्रदेश की राजनीति के मर्मज्ञों को आशंका है कि इसकी आड में बाहर के अपने बाहरी चेहेतों को इन परियोजनाओं को उसी प्रकार जिस प्रकार पूर्ववर्ती निशंक सहित अन्य सरकारों के कार्यकाल में यहां परोसी गयी। हालांकि निशंक सरकार के कार्यकाल में तो रातों रात जिस प्रकार अपने चेहतों को इन परियोजनाओं को परोसा गया तो पूरे प्रदेश में इसका पुरजोर विरोध हुआ। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के प्रमुख संगठन ‘उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा सहित तमाम आंदोलनकारी संगठनों की मांग है कि सरकार किसी भी हालत में प्रदेश में बडे बांध न बनाये तथा प्रदेश में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय जनता के सहभागिता से प्रदेश ऊर्जा विभाग के साथ मिल कर छोटे हाइड्रो जल परियोजनाओं का निर्माण है। किसी भी हालत में इस सीमान्त प्रदेश में बाहरी लोगों को जिसमें देखने यह आया कि इन भागेदारों में संदिग्ध लोग ही अधिकांश यहां काबिज होना चाहते है, को इन परियोजनाओं से दूर रखा जाय। इससे एक तो यहां पर विस्थापन की समस्या नहीं होगी दूसरी नदियों के साथ छेडछाड़ ना के बराबर होगी। इसके साथ इससे जहां स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ प्रदेश की ऊर्जा शक्ति में बढ़ोतरी होगी। परन्तु लगता नहीं सत्ता के सौंदागर प्रदेश व जनता के हित में महत्वपूर्ण इस कार्य में जरा भी रूचि रखे। क्योंकि इन परियोजनाओं को अपने बाहरी चेहतों को लुटवाने से ही उनके निहित स्वार्थ की पूर्ति होगी । इससे देख कर प्रदेश की तमाम जनता से अनुरोध है कि प्रदेश में किसी भी हालत में बाहरी लोगों को यहां के जल विद्युत परियोजनाओं में काबिज न होने के लिए सरकार पर पर्याप्त दवाब बनायें। 

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