तिवारी की हटधर्मिता से आक्रोशित न्यायालय ने अपनाया कडा रूख

नई दिल्ली (प्याउ) । अपनी पंहुच व रूतबे की हनक से कैसे देश के तथाकथित हुक्मरानों की जमात देश के कानून व समाज को ठेगा दिखाने का काम करते है इसका एक जीता जागता उदाहरण है कांग्रेसी नेता नारायणदत्त तिवारी का पितृत्व प्रकरण पर अब तक अपनायी गयी हटधर्मिता। यह मामला उच्च न्यायालय में लम्बे समय से खुद को तिवारी का पुत्र बताने वाले शेखर नामक युवक ने दायर कर रखा है। वह खुद को अपनी मां के साथ तिवारी के अवैध सम्बंधों के कारण उत्पन्न पुत्र बता कर उसको तिवारी का पुत्र घोषित करने की गुहार न्यायालय से लगा रहा है। इसके लिए वह तिवारी का डीएनए टेस्ट की मांग कर रहा है। न्यायालय के कई बार के आदेश के बाद जिस प्रकार से तिवारी इस प्रकरण न्यायालय के कई आदेशों की अवेहला कर रहे हैं, उससे वे खुद कटघरे में खडे हो गये है। उनके इस रवैये से न केवल उच्च न्यायालय अपितु सर्वोच्च न्यायालय भी नाराज है। इसी कारण उच्च न्यायालय को डीएनए टेस्ट के लिए रक्त नमूना देने के लिए केवल 48 घण्टे का समय दिया और उनकी विदेश यात्रा पर भी प्रतिबंध लगा दिया। उच्च न्यायालय तिवारी द्वारा अपनी उपेक्षा से कितना आहत है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस 86 वर्षीय वयोवृद्ध बुजुर्ग को न्यायालय ने दो टूक शब्दों से कहा कि अगर वह सहजता से न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करते तो पुलिस की मदद से भी यह जांच करायी जा सकती है। न्यायालय के कडे रूख से लोगों में विश्वास फिर लोटने लगा कि कानून सबके लिए बराबर होता है।
अपनी राजनीति की उंची पंहुच की हनक में जिस प्रकार से तिवारी न्यायालय की इस प्रकार उपेक्षा कर रहे है उससे जनता में एक संदेश साफ जा रहा था कि न्यायालय केवल क्या कमजोर आदमियों पर भी अपना प्रभाव चलाता है। इसी जन धारणा को दूर करने के लिए न्यायालय को तिवारी के खिलाफ कड़ा रूख अपनाना पडा। वहीं जनता में तिवारी के इस हटघर्मिता से एक संदेश साफ चला गया कि तिवारी अगर पाक साफ हैं तो वे क्यों जांच से दूर भाग रहे है।  इस प्रकरण पर फरियादी शेखर व उसकी माॅं उज्जवला शर्मा के साहस की भी लोग मुक्त कठों से सराहना कर रहे हैं कि उन्होंने समाज की तमाम मान अपमान के भय से उपर उठ कर ऐसे सफेद पोश नेताओं को बेनकाब करने का साहसिक कार्य किया जिन्होंने देश के विकास के संसाधनों को अपनी वासनाओं व संकीर्णता में झोंकने का कृत्य किये। ऐसे लोगों को बेनकाब करने वोल भले ही तिवारी के समान गुनाहगार क्यों न हो परन्तु देश व समाज को कलंकित करने वाले ऐसे भैडियों को बेनकाब करने का सराहनीय कार्य करने के कारण वे समाज में माफी गवाह के समान सम्मानित किये जाने योग्य है।

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