सचिव नहीं भारत रत्न के असली हकदार है अच्युत सामंत
आनन्द कुमार व श्रीधरन
देश के राजनेताओं व बुद्धिजीवि, इन दिनों सचिन सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भारत रत्न देने की पुरजोर मांग उठा रहे है। परन्तु आज के समाज में कुछ ऐसे महान सपूत हैं जिन...्होंने अपने कार्यो से देश के लोगों को नयी प्रेरणा दी। इनमें उडिसा के कलिंगा इस्टीटयूट के अच्युत सामंत प्रमुख है। जिन्होंने 15 हजार गरीब आदिवासी बच्चों को निशुल्क पहली से महाविद्यालय की सआवासीय शिक्षा प्रदान कर उनके परिजनों को भी सबल कर रहे है। जो पांच वर्ष की उम्र में पिता की मौत के बाद सब्जी बेच कर एमएससी पढ़ कर संसार का सबसे बडा दूरस्थ विश्वविद्यालय बना चूके है। इस साल की विज्ञान कांग्रेस उन्हीं के इस भव्य शिक्षा मंदिर में हुई।
हालांकि बिहार के सुपर 30 के आनन्द कुमार व मेट्रो मेन श्रीधरन भी महान प्रेरणा के पूंज है। जिनको सरकार व समाज को अपना अग्रणी व प्रेरणादायक सम्मान देना चाहिए। भारत के शासकों व बुद्धिजीवियों में जरा सी बुद्धि होती तो वे इनको भारत रत्न दे कर समाज में सकारात्मक प्रेरणा देते। परन्तु सत्ता में तो आज सौदागरों का कब्जा हो गया उनको महान व्यक्तित्व की पहचान ही नहीं।See more
आनन्द कुमार व श्रीधरन
देश के राजनेताओं व बुद्धिजीवि, इन दिनों सचिन सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भारत रत्न देने की पुरजोर मांग उठा रहे है। परन्तु आज के समाज में कुछ ऐसे महान सपूत हैं जिन...्होंने अपने कार्यो से देश के लोगों को नयी प्रेरणा दी। इनमें उडिसा के कलिंगा इस्टीटयूट के अच्युत सामंत प्रमुख है। जिन्होंने 15 हजार गरीब आदिवासी बच्चों को निशुल्क पहली से महाविद्यालय की सआवासीय शिक्षा प्रदान कर उनके परिजनों को भी सबल कर रहे है। जो पांच वर्ष की उम्र में पिता की मौत के बाद सब्जी बेच कर एमएससी पढ़ कर संसार का सबसे बडा दूरस्थ विश्वविद्यालय बना चूके है। इस साल की विज्ञान कांग्रेस उन्हीं के इस भव्य शिक्षा मंदिर में हुई।
हालांकि बिहार के सुपर 30 के आनन्द कुमार व मेट्रो मेन श्रीधरन भी महान प्रेरणा के पूंज है। जिनको सरकार व समाज को अपना अग्रणी व प्रेरणादायक सम्मान देना चाहिए। भारत के शासकों व बुद्धिजीवियों में जरा सी बुद्धि होती तो वे इनको भारत रत्न दे कर समाज में सकारात्मक प्रेरणा देते। परन्तु सत्ता में तो आज सौदागरों का कब्जा हो गया उनको महान व्यक्तित्व की पहचान ही नहीं।See more
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