संसार का सबसे बडा मुस्लिम देश इंडोनेशिया बनाम सबसे अधिक हिन्दू बाहुल्य देश भारत
इंडोनेशिया संसार का सबसे बडा मुस्लिम देश है। परन्तु वहां पर हिन्दु संस्कृति की अमिट छाप ही नहीं वहां के लोग व सरकार सगर्व उसे आत्मसात करते है। वहीं भारत में संसार के सबसे अधिक हिन्दू रहने के साथ यहां पर 80 प्रतिशत लोग हिन्दू धर्मावलम्बी है। वहीं भारत में हिन्दु संस्कृति को आत्मसात करना तो रहा दूर इसका नाम लेना भी भारत सरकार को किसी गुनाह से कम नहीं लगता। वही दूसरी इंडोनेशिया आज भी अपनी संस्कृति हिन्दू के मूल सम्मान जनक प्रतीकों को न केवल राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंगीकार कर रहे है अपितु सगर्व हिन्दुओं को अपना पूर्वज बताने में कहीं भी पाक, बगलादेश व भारतीय मुस्लिमों की तरह वास्तविकता से मुंह नहीं मोडते है। मैं वर्षो से यह जान कर अचम्भित था कि जहां भाारत सरकार भारत की प्राचीन संस्कृति व उसके गौरवशाली प्रतीकों का नाम लेने को घबराती ही नहीं कतराती भी है। वहीं संसार का सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया की सरकारी एयरलाइन्स का नाम भगवान विष्णु के वाहन गरूड के नाम पर है। परन्तु भारत में तो देश के अपने नाम पर भी नहीं अपितु गुलामी के बदनुमा दाग इंडिया के नाम से एयर इंडिया नाम से है। मुझे फेस बुक पर एक मित्र ने इंडोनेशिया की मुद्रा का चित्र भेजा जिसमें भगवान गणेश की तस्वीर इंडोनेशियन मुद्रा में थी। मेने उस चित्र को देख कर अपने इंडोनेशिन मित्र, जो मुस्लिम है से मैने पूछा कि अभी इंडोनेशिया की मुद्रा पर गणेश भगवान का चित्र होता है? मेरे प्रश्न का उसने सगर्व उत्तर दिया हाॅ, इसके साथ उसने जो टिप्पणी कि हम इंडोनेशियन मुस्लिम होने से पहले हिन्दू ही थे। हमारी संस्कृति आज भी हिन्दु है। उसके बाद जब मेने इंडोनेशिया की एयरलाइन्स के बारे में पूछा कि क्या उसका नाम गरूड है। उसने प्रत्युतर दिया हाॅं गरूड़ प्रतीक है इंडोनेशिया का जो उनके प्रथम प्रधानमंत्री सुकर्णो ने बहुत ही सुझ बुझ से रखा था। इंडोनेशिया में आज भी भगवान राम की रामलीला का मंचन बहुत ही परंपरागत व श्रद्धा के साथ किया जाता है। परन्तु दूसरी तरफ संसार की सभी संस्कृति की उदगम स्थली भारत की सरकार तथाकथित आजादी के बाद अपनी संस्कृति के सम्मानजनक प्रतीकों को नयी पीढ़ी व संसार से बोध कराने के लिए इनको प्रमुखता से देश के महत्वपूर्ण संस्थानों के नाम से रखने के बजाय उनका प्रयोग करना भी अपराध व लोकशाही को कमजोर करने वाला सम्प्रदायिक चीज मानती है। भारत की आजादी को इंडिया के नाम से गुलाम बनाने वालों ने देश के नाम व भाषा को ही नहीं अपितु भारतीय संस्कृति के गौरवशाली भगवान, देवताओं, गो गंगा व गीता आदि को ही भारत से मिटाने का अक्षम्य आत्मघाती काम किया आजादी के बाद अब तक निरंतर करा जा रहा है। सरकारें चाहे रामराज्य स्थापित करने को समर्पित करने वाले गांधी की कांग्रेसी की रही हो या भारतीय संस्कृति की स्वयं भू ध्वज वाहक होने का दंभ भरने वाले संघ पोषित भाजपा या अन्य किसी की रही हो परन्तु किसी को भी भारत के विस्मृत हो रही संस्कृति व पहचान को उजागर करने व गुलामी के प्रतीकों को मिटाने का कोई काम नहीं किया है।
दुर्भाग्य से भारत में भगवान राम व श्री कृष्ण के जन्म स्थान पर आततायी विदेशी हुक्मरानों द्वारा बलात किये गये कब्जे को मुक्त कराने की बात सम्प्रादायिक व देश विरोधी माना जाता है। भारत में भारतीय नाम, भाषा व संस्कृति की बात करने वालों को कटरपंथी माना जाता है। भारत में गौ गंगा व गीता की दुहाई देने वालों को लोकशाही का दुश्मन माना जाता है। जहां पाक में अल्लाह व मोहम्मद साहब की शान के खिलाफ आवाज उठाने वाले को ईश निंदा के आरोप में मृत्यु दण्ड दिया जाता है वहीं भारत में भारतीय संस्कृति के परमाराध्य भगवान श्री राम व श्रीकृष्ण को काल्पनिक कहने का दुशाहस ऐरे गेरे लोग ही नहीं अपितु भारत की सरकार तक भी करती है। यही नहीं भारत में माॅं भगवती के दिव्य स्वरूप माॅ सरस्वती के विकृत चित्र को बनाने का दुशाहस करने वाले को शर्मनाक संरक्षण दिया जाता है। इस देश में भारतीय संविधान, भारत के झण्डे व भारतीय संस्कृति के प्राण समझी जाने वाली गाय की निर्मम हत्या करने वालों को गले लगाने का कार्य भी किया जाता है। भगवान राम द्वारा निर्मित पुल को संरक्षण देने के बजाय उसको तबाह करने को भारत की सरकारें कई सालों से भारी विरोध के बाबजूद षडयंत्र रच रही है।
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