सेनिकों व अर्धसैनिकों को अधिकारियों व उनकी पत्नियों द्वारा किये जा रहे शोषण से बचाओ
बढ़ रहा है सेना व अर्ध सेना में अधिकारियों व सैनिकों में तनाव
लेह में सेना के जवान और अफसर भिड़े वहीं अभी दो माह पहले ही उप्र में पुलिस के जवानों ने अपने अधिकारियों की पिटाई कर दी थी। बड़ी मुस्किल से स्थिति को संभाला गया । चीन सीमा पर सेनिकों व अधिकारियों के बीच विवाद एक मेजर के कारनामें से भडका वहीं उप्र में यह विवाद तब भड़का जब एक अधिकारी ने जुआ खेल रहे कुछ जवानों को रोका और एक की हल्की पिटाई कर दी। इससे अन्य जवान भड़क गये और देखते देखते हजारों जवानों ने अधिकारियों की धूनाई कर दी।
इस पखवाडे अनुशासित समझी जाने वाली भारतीय सेना की एक रेजीमेंट में ऐसी घटना घटित हो गयी जिसने पूरे सेन्य जगत के अंदर पनप रहे असंतोष को ही उजागर कर दिया। भारतीय सैनिक जो अपनी जान हथेली पर रख कर दुश्मन से भीडते हैं उनकी अपनी फोज के अंदर कितनी दुर्दशा है, किस वातावरण में वे वहां पर जीते हैं। शायद इसकी खोज खबर लेने की फुर्सत भी देश के हुक्मरानों को कभी नहीं रही। फिरंगी शासनकाल की तरह ही देश की सेनाओं में आम सैनिकों का आज भी उसी तरह से शोषण होता है जिस तरह से गुलामी काल में होता था। उच्चाधिकारी सैनिकों को अपने सहायक के रूप में रख कर उनसे बुट पोलिस से लेकर घरेलु नौकरों से बदतर काम कराते है। उच्च अधिकारियों से अधिक देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले इन जवानों का उत्पीड़न व अपमान इन अधिकारियों की पत्नियां करती है। इसी कारण आज सैनिक अपने बच्चे को इन हालतों में सेना में भरती करने के लिए तैयार नहीं होता।
अधिकारियों और जवानों के बीच इस पखवाडे की एक रात की घटित हुई यह घटना ने पूरे सैन्य तंत्र को हिला कर रख दिया है। सुत्रों के अनुसार चीन सीमा पर लेह से 150 किमी दूर पर यह बेहद शर्मसार करने वाली घटना तब घटित हुई जब एक जवान ने कथित रूप से एक मेजर की पत्नी के साथ र्दुव्यवहार किया, जिसके बाद मेजर ने जवान की पिटाई कर दी। 226वीं फील्ड रेजिमेंट के अधिकारी और जवान दोपहर नयोमा जनपद में दोपहर को घटित हुई। यहां फायरिंग का अभ्यास कर रहे थे। मेजर ने अन्य जवानों को उस ‘सहायक’ को किसी तरह की चिकित्सा सहायता देने की इजाजत नहीं दी, जिससे उसके सहयोगियों में गुस्सा भड़क गया और उन्होंने इस बात का विरोध किया। यह खबर रेजीमेंट के कमांडिंग आफिसर तक पहुंची, जो निकटवर्ती पुलिस गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे। उन्होंने तुरंत मौके पर पहुंच कर हालात को सामान्य बनाने के लिए मेजर को उनके व्यवहार के लिए डांटा। इस पर मेजर ने अपने पांच साथी अधिकारियों के साथ कमांडिंग आफिसर को जवानों के सामने पीटा। इससे जवानों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने बुरी तरह अधिकारियों को डंडों से पीटा। कमांडिंग आफिसर कर्नल को तुरंत लेह अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस घटना के बाद 40 से 50 जवानों ने मेजर के रेंक के अधिकारियों को ढूंढ-ढूंढकर पीटना शुरू किया। दो अधिकारी पास के शिविर में मिले तो उन्हें वहीं पीट दिया। इसके बाद नाराज जवानों ने शस्त्रागार पर कब्जा कर लिया है। बडी मुश्किल से इस घटना पर अंकुश लगाया गया। परन्तु इसकी गूंज से दिल्ली सेना मुख्यालय ही नहीं दिल्ली दरवार भी हिल गया। सेना प्रमुख ने तुरंत इस घटना की जांच के आदेश दिये। एक दोषी मेजर के कारण देश की जनता के सम्मुख आया।
यह हालत केवल सेना या पुलिस में ही नहीं अधिकांश अर्ध सैनिक बलों में यही हालत है। इस हालत को बदलने के लिए भले ही कागचों में नियम बनाये गये परन्तु उनको जमीन पर ईमानदारी से लागू नहीं किये गये इसी कारण आज सैन्य जगत में भारी असंतोष है।
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