उत्तराखण्ड किसी की जागीर नहीं है बहुगुणा जी

बहुगुणा जी कहीं से भी विधानसभा का सदस्य बने यह उनका अपना अधिकार व पसंद की बात है। परन्तु अपनी सीट जीतने के लिए वे उत्तराखण्ड की लोकशाही व नैतिक मूल्यों को दाव पर लगायें यह किसी भी सम्मानित उत्तराखण्डी को एक पल के लिए भी स्वीकार नहीं है। आज कल अफवाह है कि वे सितारगंज से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और इसके लिए भाजपा का विधायक किरण मण्डल उनके लिए अपनी सीट कुर्वान करने के लिए मन बना चूका है। चर्चा इस बात की भी है इस क्षेत्र में हजारों लोग जो सरकारी जमीन पर कई सालों से बलात कब्जा करके बेठे हैं उनको यह कब्जा अवैध से वैध घोषित किया जायेगा। अगर इस शर्त या प्रलोभन पर विजय बहुगुणा कभी अपने आप को उत्तराखण्डी के बजाय बंगाली ब्राहमण बताना श्रेयकर समझ रहे हों या प्रदेश की जमीन पर बलात कब्जे को अपनी कुर्सी के लिए कुर्वान करना चाहते हैं तो यह उत्तराखण्डी जनता को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं। प्रदेश के हक हकूकों की रक्षा के लिए उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था ना की इनको लुटाने के लिए।

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