-खण्डूडी के बजाय किसी कमजोर प्रत्याशी को उतार कर बिजय बहुगुणा को विधानसभा में पंहुचाने का काम करेगी क्या भाजपा ?
क्या सितार गंज से लडेंगे बिजय बहुगुणा
क्या प्रदेश के मुख्यमंत्री बिजय बहुगुणा के खिलाफ भाजपा प्रदेश के आम पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग का सम्मान करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूडी को विधानसभा उपचुनाव में मैदान में उतारेगी भाजपा? यह सवाल सभी के दिमाग में क्रेांध राहा है परन्तु प्रदेश के राजनीति के गलियारों में यह अटकलें भी जोरों से है कि भाजपा ने मुख्यमंत्री के खिलाफ खण्डूडी के बजाय किसी कमजोर प्रत्याशी को उतार कर मुख्यमंत्री बहुगुणा को विधानसभा में निर्वाचित होने के लिए अभयदान देने का मन बना लिया है। इन खबरों में कितनी सच्चाई है यह तो भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री के खिलाफ खण्डूडी को चुनावी दंगल में उतारने व न उतारने से ही जग जाहिर हो जायेगा?
प्रदेश में इन दिनों राजनीति का अजीब सा नजारा देखने को मिल रहा है। 18 मई को जिस समय बिजय बहुगुणा उत्तरकाशी में लोक कल्याणकारी घोषणायें कर रहे थे उसी समय प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता अजय भट्ट सहित तमाम नेता अपने सितार गंज विधानसभा क्षेत्र के विधायक किरण मंडल के तथाकथित गुमशुदी के बारे में कांग्रेस पर भाजपाई विधायकों को प्रलोभनों व डरा धमका कर अपने पाले में लेने के लिए कोस रहे थे। हालांकि जनभावनाओं को दरकिनारे कर कांग्रेस आलाकमान द्वारा दिल्ली से पेरासूट द्वारा उत्तराखण्ड में थोपे गये मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के लिए 6 माह के अंदर विधानसभा का चुनाव जीतने की संवैधानिक बाध्यता को देख कर गंगोत्री, कर्णप्रयाग सहित कई विधानसभाई सीट से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार बनने की खबरे छन कर आ कर प्रदेश की राजनीति का पारा बढ़ा रही है।
हालांकि गंगोत्री विधानसभा सीट से विजय बहुगुणा का विधानसभा चुनाव लडने के पीछे यहां के वर्तमान कांग्रेसी विधायक विजयपाल सजवान का विजय बहुगुणा का सबसे करीबी होना माना जा रहा है। वहीं कर्णप्रयाग के विधायक मेखुरी द्वारा भी मुख्यमंत्री के लिए विधानसभा सीट छोडने व मुख्यमंत्री द्वारा गैरसेंण में विधानसभा का विशेष सत्र व मंत्रीमण्डल की बैठक आयोजन करने की घोषणा को देखते हुए लोग कर्णप्रयाग सीट को भी मुख्यमंत्री की संभावित विधानसभा सीट के तौर पर देख रहे है। परन्तु इन दोनों सीटों से चुनाव लड़ने का सबसे बड़ा खतरा यह है कि इन सीटों से कांग्रेस की विधायकों की संख्या गणित डगमगा जायेगा। अगर यह सीट पर कांग्रेस के मुख्यमंत्री हारते है तो भाजपा व कांग्रेस की वर्तमान संख्या गणित बिलकुल उल्टा हो जायेगा। भाजपा 31 के बजाय 32 हो जायेगी तथा कांग्रेस 32 से 31 पर ही सीमट जायेगी। इससे कांग्रेस के हाथ से भाजपा निर्दलीयों व बसपा आदि के सहयोग से प्रदेश में सत्तासीन हो सकती है। इसी आशंका के कारण कांग्रेस के राजनीति के धुरंधरों ने अपनी पूरी ताकत किसी भाजपा के विधायक से विधानसभा सीट खाली कराने की है। इसी दृष्टि से कई भाजपा के विधायकों को टटोला जा रहा है। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा में सहस्रपुर की विधानसभा सीट के विधायक पुण्डीर रहे। परन्तु इसी सीट पर कांग्रेस को भीतरघात की बड़ी आशंका को देखते हुए कांग्रेसी रणनीतिकारों को ऐसे जगह से चुनाव लडाने की रणनीति रही जिस पर भाजपा के प्रदेश के बडे क्षत्रप भुवनचंद खण्डूडी व भगतसिंह कोश्यारी आदि का कोई प्रभाव न हो। इस दृष्टि से सितार गंज सीट ही सबसे उपयुक्त नजर आ रही है। इसी कारण जब भाजपा के यहां के विधायक किरण मण्डल के अज्ञातवास में चले जाने से भाजपा में खलबली मच गयी। राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक विधायक की खोज खबर करने के लिए गुहार लगायी जा रही है। परन्तु माना जा रहा है राजनैतिक परवेक्षकों को इस बात की आशंका है कि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भाजपा के विधायक के साथ कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी से भेंट कर सकते है। उनसे आशीर्वाद लेने के बाद ही विजय बहुगुणा इस भाजपा छोड कर कांग्रेस की गोद में बैठने वाले विधायक का नाम उजागर किया जायेगा। गौरतलब है कि कुछ समय पहले बिजय बहुगुणा द्वारा खुद को बंगाली ब्राहमण बताने को भी राजनीति के समीक्षक इसी परिपेक्ष में देख रहे हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री बिजय बहुगुणा अपने तमाम विरोधियों की चाल को धत्ता बता कर किस सीट को विधानसभा में पंहुचने के लिए चुनते है। परन्तु दिल्ली के राजनैतिक गलियारों में चर्चा यह है कि भाजपा के प्रदेश नेताओं ने विजय बहुगुणा को आसानी से विधानसभा में कदम रखने के लिए मन बना लिया है। भले ही भाजपा के नेता इस बात को ऐलान कर रहे हैं कि अगर आला कमान आदेश देगा तो खंडूडी को मुख्यमंत्री के खिलाफ उतारा जायेगा। परन्तु दोनों की राजनीति को करीबी से जानने वालों को विश्वास है कि खण्डूडी व बहुगुणा दोनों ममेरे भाई एक दूसरे के खिलाफ चुनावी दंगल में किसी भी कीमत पर नहीं उतरेंगे। राजनीति में दोनों भले ही विरोधी दलों से हों परन्तु अंदर से दोनों के बीच अदृश्य तालमेल जगजाहिर है। यही नहीं राजनैतिक गलियारे में तो यह भी चर्चा है कि भाजपा ने बिजय बहुगुणा को विधानसभा का सदस्य बनने के लिए मजबूत प्रत्याशी लडाने के बजाय कमजोर प्रत्याशी को उतारने का मन बना लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री खंडूडी से निकट रिश्तेदारी व भगतसिंह कोश्यारी से मुख्यमंत्री की हुई मुलाकातों के बाद इन अटकलों का जोर राजनैतिक क्षेत्रों में है। यह तो समय ही बतायेगा कि बिजय बहुगुणा किस सीट से चुनाव लडते हैं और क्या खंडूडी को भाजपा उनके विरोध में चुनाव लडाती है या किसी कमजोर प्रत्याशी को उतार कर उनको विधानसभा में जाने का साफ रास्ता देती है। इन अटकलों की सच्चाई तभी उजागर होगी जब मुख्यमंत्री अपनी सीट का ऐलान करेंगे व भाजपा चुनाव दंगल में अपना प्रत्याशी खडा करेगी।
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