-क्या गुल खिलायेगी केन्द्रीय राज्य मंत्री हरीष रावत की आम पार्टी
-कल्पना व राही के गीतों के धमाल में रंग जमा गयी हरीष रावत आम पार्टी
19 जुलाई को कांग्रेसी नेता हरीष रावत के दिल्ली निवास में आयोजित आम पार्टी से उत्तराखण्ड की राजनीति के क्षत्रपों के कान खडे हो गये है। जय ललिता की चाय पार्टी से देष की राजग की सरकार केसे रेत के महल की तरह ढेर हुई थी। राजनीति में इन पार्टियों का एक मकसद होता है। देखना है हरीष रावत की आम पार्टी क्या रंग दिखाती है। हरीष रावत को प्रदेष अन्य नेताओं की तुलना राजनीति के कुषल महारथी है। उनको खुद को चर्चा मे ंरहना आता है। वहीं मुख्यमंत्री रहते हुए विजय बहुगुणा व जनबल-धनबल होते हुए भी सतपाल महाराज को चर्चा के केन्द्र में रहना तो रहा दूर वे अपने सही कार्यो को भी सही ढ़ग से जनता के सम्मुख रखना नहीं आता। गत पखवाड़े ही सतपाल महाराज द्वारा बांधों के समर्थन में आयोजित विषाल रेली को भी महाराज जनता के सम्मुख अपने सलाहकारों व अपनी प्रवृति के कारण सही ढ़ंग से रख तक नहीं पाये। वहीं हरीष रावत चाय पार्टी, आम पार्टी अन्य पार्टियों व जनता के लिए हर समय खुद को सहज ही उपलब्ध कराये रखने व अपने व्यवहार के कारण तमाम कमियों के बाबजूद आज उत्तराखण्ड के षीर्श निर्विवाद जननेता बने हुए है।
19 जुलाई की सांय 6 बजे राश्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अधिकांष उत्तराखण्डी पत्रकार, समाजसेवी, रंगकर्मी, अधिकारी सहित बडे संख्या में कांग्रेसी नेता केन्द्रीय राज्य मंत्री हरीष रावत के आवास 9 तीनमूर्ति लेन दिल्ली में आयोजित आम पार्टी में एकत्रित हुए। इस आम पार्टी में उपस्थित उत्तराखण्डियों ने जहां आम का स्वाद लिया वहीं इस पार्टी में विषेश रूप से सम्मलित होने आये उत्तराखण्ड की षीर्श गायिका कल्पना चैहान व अग्रणी गायक चन्द्रसिंह राही तथा षिवदत्त पंत की पार्टी ने ऐसा रंग जमा दिया कि वहां पर उपस्थित लोग उनके गायन के साथ अपने स्वर मिलाते हुए नाचने लगे। कल्पना चैहान की प्रस्तुति के समय उनके संगीतकार पति राजेन्द्र चैहान ने अपनी सानदार प्रस्तुति दी। केन्द्रीय राज्यमंत्री हरीष रावत की उपस्थिती में जब कल्पना चैहान के लोकप्रिय गीतों की धुन पर जब श्रीमती सरोज पाण्डे , कांग्रेसी नेत्री श्रीमती बीना बहुगुणा, आनन्द बल्लभ पाण्डे सहित अनैक समाजसेवी मदमस्त हो कर नृत्य करने लगे। इससे पहले उपस्थित जनसमुदाय ने कवि विचित्र बहुगुणा व हास्य कबि नैनीडाण्डा के रावत की प्रस्तुतियों का आनन्द लिया। इस समारोह में जहां देष के अग्रणी पत्रकार व दूरदर्षन के पूर्व समाचार सम्पादक राजेन्द्र धस्माना, विजेन्द्र रावत, जनसत्ता के वरिश्ट पत्रकार राकेष तिवारी, व्योमेष जुगरान, एनडीटीवी के सम्वाददाता कुॅंवर विक्रांत, उत्तराखण्ड पत्रकार परिशद के अध्यक्ष देवेन्द्र उपाध्याय, महासचिव अवतार नेगी, प्यारा उत्तराखण्ड के प्रबंध सम्पादक महेष चन्द्रा, कैलाष धूलिया, म्योर उत्तराखण्ड के मोहन सिंह बिश्ट, सतेन्द्र रावत, समाजसेवी अनिल पंत, रमेष हितैशी, उर्मिलेष भट्ट, उत्तराखण्ड क्लब के अध्यक्ष देवेन्द्र खत्री, डा. आर्य, प्रेमसिंह, किषोर रावत, उत्तराखण्ड जनता संघर्श मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष खुषहाल बिश्ट, उत्तराखण्ड राज्य लोकमंच के अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती, रूद्रप्रयाग समिति के भट्ट, गिरीष चन्द्र भावुक, उत्तराखण्ड जनमोर्चा के अध्यक्ष रवि बिश्ट, दलबीर रावत, उत्तराखण्ड महासभा के करण बुटोला, श्री जोषी, बृजमोहन सेमवाल, कांग्रेसी नेत्री उमा जोषी व श्रीमती घुघतियाल, संगीतकार संजय पमोला, कांग्रेसी युवा नेता भूपेष षर्मा, आदि प्रमुख थे।
सांसद प्रदीप टम्टा, वरिश्ट कांग्रेसी नेताओं में सीएस पयाल, पूर्व विधायक रणजीत रावत, विख्यात निषानेबाज जसपाल राणा, दिल्ली प्रदेष कांग्रेस के नेता एम एस रावत, दिल्ली कांग्रेस के नेता दीवान सिंह नयाल, पीडी तिवारी, बुराड़ी से कांग्रेसी नेता धर्मपाल कुमंई व भण्डारी, षिवसिंह रावत, सहित अनैक सामाजिक लोग व कांग्रेसी नेता उपस्थित थे। सभा का संचालन हरीष रावत के करीबी दिल्ली प्रदेष कांग्रेस के नेता हरीपाल रावत कर रहे थे। सभा के अंत में उपस्थित जनसमुदाय को रात्रि भोज का भी आयोजन किया गया। वहीं इस समारोह के आयोजन के बारे में केन्द्रीय मंत्री हरीष रावत ने कहा कि वे हर साल अपने समाज को अपनी तरफ से आम पार्टी व हरेला के उपलक्ष में इसका आयोजन करते है। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड प्रदेष कांग्रेस की सरकार का नेतृत्व नहीं मिलने से प्रदेष कांग्रेस के अधिकांष हरीष रावत विधायक प्रदेष के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की ताजपोषी से नाखुष है। यही नहीं दिल्ली में हरीष रावत के आवास पर भी अधिकांष विधायकों के विरोध के बाबजूद जिस प्रकार से कांग्रेस नेतृत्व के नाम पर विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के पद पर थोपा गया उससे कांग्रेस नेतृत्व की पूरे देष में काफी किरकिरी हुई। पार्टी नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद भले ही स्थिति नियंत्रण में हो पर अंदर ही अंदर अभी विजय बहुगुणा सरकार की सरकार को जहां एक तरफ हरीष रावत व उनके एक दर्जन से अधिक कट्टर विधायकों के दवाब को झेलना पड रहा है वहीं उनको ंसमर्थन दे रहे सतपाल महाराज व उनके समर्थक विधायक अपनी उपेक्षा का आरोप विजय बहुगुणा पर लगा रहे है। यही नहीं इन सबसे अधिक विजय बहुगुणा की सरकार को अगर कोई खतरा है खुद विजय बहुगुणा का अलोकषाही व्यवहार व उनके जनता की नजरों में पूरी तरह से खलनायक की तरह लगने वाले सिपाहे सलार। जिस प्रकार से विजय बहुगुणा जनभावनाओं को दरकिनारे करके मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके दिल्ली निवास में गये उससे मुजफरनगर काण्ड के जख्म उत्तराखण्डियों के जेहन में हरे हो गये। विजय ही नहीं अधिकांष उत्तराखण्ड के नेताओं को ही नहीं समाजसेवियों को इस बात का भान होना चाहिए कि जनभावनाओं को रौंदने वाले मुलायम सिंह व उनके प्यादों के साथ खड़ा होना भी उत्तराखण्ड के स्वाभिमान व जनभावना दोनों का गला घोंटना है।
हरीष रावत भले ही कांग्रेसी नेता हों परन्तु उत्तराखण्ड के आम जनमानस के साथ जुडाव में आये दिन जुडे रहने में बाकी सभी नेता 19 ही साबित होते है। भले ही सोनिया गांधी ने उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद उनको मुख्यमंत्री नहीं बनाया हो परन्तु इसके बाबजूद वे आम जनता के बीच दलगत राजनीति से उपर उठ कर एकछत्र निर्विवाद जननेता हैं।
हरीष रावत की हर गतिविधियों पर गहरी नजर गढ़ाये हुए विजय बहुगुणा व उनके समर्थकों में इस आम पार्टी के आयोजन से एक प्रकार का हडकंप मचा हुआ है। उनके विरोधी ही नहीं उनके समर्थक भी इस आयोजन का निहातार्थ खोज रहे है। हालांकि हरीष रावत इसे सामान्य आयोजन बता रहे हैं परन्तु राजनीति का जरा भी अर्थ समझने वाले जानते हैं कि राजनीति में राजनेता के हर कदम व बोल का भी कोई अर्थ होता है। एक तरफ उत्तराखण्ड की राजनीति में उथल पुथल मची हुई हैं दूसरी तरफ केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में फेरबदल होने वाला है। इन दोनों राजनैतिक संभावनाओं के बीच यह आम पार्टी किसी दिषा में गुल खिलाती है यह तो आने वाले दिन ही बयान करेंगे।
-कल्पना व राही के गीतों के धमाल में रंग जमा गयी हरीष रावत आम पार्टी
19 जुलाई को कांग्रेसी नेता हरीष रावत के दिल्ली निवास में आयोजित आम पार्टी से उत्तराखण्ड की राजनीति के क्षत्रपों के कान खडे हो गये है। जय ललिता की चाय पार्टी से देष की राजग की सरकार केसे रेत के महल की तरह ढेर हुई थी। राजनीति में इन पार्टियों का एक मकसद होता है। देखना है हरीष रावत की आम पार्टी क्या रंग दिखाती है। हरीष रावत को प्रदेष अन्य नेताओं की तुलना राजनीति के कुषल महारथी है। उनको खुद को चर्चा मे ंरहना आता है। वहीं मुख्यमंत्री रहते हुए विजय बहुगुणा व जनबल-धनबल होते हुए भी सतपाल महाराज को चर्चा के केन्द्र में रहना तो रहा दूर वे अपने सही कार्यो को भी सही ढ़ग से जनता के सम्मुख रखना नहीं आता। गत पखवाड़े ही सतपाल महाराज द्वारा बांधों के समर्थन में आयोजित विषाल रेली को भी महाराज जनता के सम्मुख अपने सलाहकारों व अपनी प्रवृति के कारण सही ढ़ंग से रख तक नहीं पाये। वहीं हरीष रावत चाय पार्टी, आम पार्टी अन्य पार्टियों व जनता के लिए हर समय खुद को सहज ही उपलब्ध कराये रखने व अपने व्यवहार के कारण तमाम कमियों के बाबजूद आज उत्तराखण्ड के षीर्श निर्विवाद जननेता बने हुए है।
19 जुलाई की सांय 6 बजे राश्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अधिकांष उत्तराखण्डी पत्रकार, समाजसेवी, रंगकर्मी, अधिकारी सहित बडे संख्या में कांग्रेसी नेता केन्द्रीय राज्य मंत्री हरीष रावत के आवास 9 तीनमूर्ति लेन दिल्ली में आयोजित आम पार्टी में एकत्रित हुए। इस आम पार्टी में उपस्थित उत्तराखण्डियों ने जहां आम का स्वाद लिया वहीं इस पार्टी में विषेश रूप से सम्मलित होने आये उत्तराखण्ड की षीर्श गायिका कल्पना चैहान व अग्रणी गायक चन्द्रसिंह राही तथा षिवदत्त पंत की पार्टी ने ऐसा रंग जमा दिया कि वहां पर उपस्थित लोग उनके गायन के साथ अपने स्वर मिलाते हुए नाचने लगे। कल्पना चैहान की प्रस्तुति के समय उनके संगीतकार पति राजेन्द्र चैहान ने अपनी सानदार प्रस्तुति दी। केन्द्रीय राज्यमंत्री हरीष रावत की उपस्थिती में जब कल्पना चैहान के लोकप्रिय गीतों की धुन पर जब श्रीमती सरोज पाण्डे , कांग्रेसी नेत्री श्रीमती बीना बहुगुणा, आनन्द बल्लभ पाण्डे सहित अनैक समाजसेवी मदमस्त हो कर नृत्य करने लगे। इससे पहले उपस्थित जनसमुदाय ने कवि विचित्र बहुगुणा व हास्य कबि नैनीडाण्डा के रावत की प्रस्तुतियों का आनन्द लिया। इस समारोह में जहां देष के अग्रणी पत्रकार व दूरदर्षन के पूर्व समाचार सम्पादक राजेन्द्र धस्माना, विजेन्द्र रावत, जनसत्ता के वरिश्ट पत्रकार राकेष तिवारी, व्योमेष जुगरान, एनडीटीवी के सम्वाददाता कुॅंवर विक्रांत, उत्तराखण्ड पत्रकार परिशद के अध्यक्ष देवेन्द्र उपाध्याय, महासचिव अवतार नेगी, प्यारा उत्तराखण्ड के प्रबंध सम्पादक महेष चन्द्रा, कैलाष धूलिया, म्योर उत्तराखण्ड के मोहन सिंह बिश्ट, सतेन्द्र रावत, समाजसेवी अनिल पंत, रमेष हितैशी, उर्मिलेष भट्ट, उत्तराखण्ड क्लब के अध्यक्ष देवेन्द्र खत्री, डा. आर्य, प्रेमसिंह, किषोर रावत, उत्तराखण्ड जनता संघर्श मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष खुषहाल बिश्ट, उत्तराखण्ड राज्य लोकमंच के अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती, रूद्रप्रयाग समिति के भट्ट, गिरीष चन्द्र भावुक, उत्तराखण्ड जनमोर्चा के अध्यक्ष रवि बिश्ट, दलबीर रावत, उत्तराखण्ड महासभा के करण बुटोला, श्री जोषी, बृजमोहन सेमवाल, कांग्रेसी नेत्री उमा जोषी व श्रीमती घुघतियाल, संगीतकार संजय पमोला, कांग्रेसी युवा नेता भूपेष षर्मा, आदि प्रमुख थे।
सांसद प्रदीप टम्टा, वरिश्ट कांग्रेसी नेताओं में सीएस पयाल, पूर्व विधायक रणजीत रावत, विख्यात निषानेबाज जसपाल राणा, दिल्ली प्रदेष कांग्रेस के नेता एम एस रावत, दिल्ली कांग्रेस के नेता दीवान सिंह नयाल, पीडी तिवारी, बुराड़ी से कांग्रेसी नेता धर्मपाल कुमंई व भण्डारी, षिवसिंह रावत, सहित अनैक सामाजिक लोग व कांग्रेसी नेता उपस्थित थे। सभा का संचालन हरीष रावत के करीबी दिल्ली प्रदेष कांग्रेस के नेता हरीपाल रावत कर रहे थे। सभा के अंत में उपस्थित जनसमुदाय को रात्रि भोज का भी आयोजन किया गया। वहीं इस समारोह के आयोजन के बारे में केन्द्रीय मंत्री हरीष रावत ने कहा कि वे हर साल अपने समाज को अपनी तरफ से आम पार्टी व हरेला के उपलक्ष में इसका आयोजन करते है। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड प्रदेष कांग्रेस की सरकार का नेतृत्व नहीं मिलने से प्रदेष कांग्रेस के अधिकांष हरीष रावत विधायक प्रदेष के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की ताजपोषी से नाखुष है। यही नहीं दिल्ली में हरीष रावत के आवास पर भी अधिकांष विधायकों के विरोध के बाबजूद जिस प्रकार से कांग्रेस नेतृत्व के नाम पर विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के पद पर थोपा गया उससे कांग्रेस नेतृत्व की पूरे देष में काफी किरकिरी हुई। पार्टी नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद भले ही स्थिति नियंत्रण में हो पर अंदर ही अंदर अभी विजय बहुगुणा सरकार की सरकार को जहां एक तरफ हरीष रावत व उनके एक दर्जन से अधिक कट्टर विधायकों के दवाब को झेलना पड रहा है वहीं उनको ंसमर्थन दे रहे सतपाल महाराज व उनके समर्थक विधायक अपनी उपेक्षा का आरोप विजय बहुगुणा पर लगा रहे है। यही नहीं इन सबसे अधिक विजय बहुगुणा की सरकार को अगर कोई खतरा है खुद विजय बहुगुणा का अलोकषाही व्यवहार व उनके जनता की नजरों में पूरी तरह से खलनायक की तरह लगने वाले सिपाहे सलार। जिस प्रकार से विजय बहुगुणा जनभावनाओं को दरकिनारे करके मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके दिल्ली निवास में गये उससे मुजफरनगर काण्ड के जख्म उत्तराखण्डियों के जेहन में हरे हो गये। विजय ही नहीं अधिकांष उत्तराखण्ड के नेताओं को ही नहीं समाजसेवियों को इस बात का भान होना चाहिए कि जनभावनाओं को रौंदने वाले मुलायम सिंह व उनके प्यादों के साथ खड़ा होना भी उत्तराखण्ड के स्वाभिमान व जनभावना दोनों का गला घोंटना है।
हरीष रावत भले ही कांग्रेसी नेता हों परन्तु उत्तराखण्ड के आम जनमानस के साथ जुडाव में आये दिन जुडे रहने में बाकी सभी नेता 19 ही साबित होते है। भले ही सोनिया गांधी ने उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद उनको मुख्यमंत्री नहीं बनाया हो परन्तु इसके बाबजूद वे आम जनता के बीच दलगत राजनीति से उपर उठ कर एकछत्र निर्विवाद जननेता हैं।
हरीष रावत की हर गतिविधियों पर गहरी नजर गढ़ाये हुए विजय बहुगुणा व उनके समर्थकों में इस आम पार्टी के आयोजन से एक प्रकार का हडकंप मचा हुआ है। उनके विरोधी ही नहीं उनके समर्थक भी इस आयोजन का निहातार्थ खोज रहे है। हालांकि हरीष रावत इसे सामान्य आयोजन बता रहे हैं परन्तु राजनीति का जरा भी अर्थ समझने वाले जानते हैं कि राजनीति में राजनेता के हर कदम व बोल का भी कोई अर्थ होता है। एक तरफ उत्तराखण्ड की राजनीति में उथल पुथल मची हुई हैं दूसरी तरफ केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में फेरबदल होने वाला है। इन दोनों राजनैतिक संभावनाओं के बीच यह आम पार्टी किसी दिषा में गुल खिलाती है यह तो आने वाले दिन ही बयान करेंगे।
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