एम्स ऋषिकेश को एक दशक तक लटकाये रखने वाले गुनाहगार हैं उत्तराखण्डी हुक्मरान
नई दिल्ली (प्याउ)। देश में चिकित्सा के क्षेत्र में सर्वोच्च संस्थान के रूप में विख्यात नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की तर्ज पर देश के अन्य क्षेत्रों में भी इसी संस्थान के नाम से उत्तराखण्ड के ऋषिकेश, बिहार के पटना, उड़ीसा के भुवनेश्वर, राजस्थान के जोधपुर, छत्तीसगढ़ के रायपुर और मध्य प्रदेश के भोपाल में छह संस्थान खोले गये। हालांकि अन्य स्थानों में खोले गये इस संस्थान का समय पर निर्माण हो गया। परन्तु उत्तराखण्ड में वाजपेयी शासनकाल में खोले गये इस संस्थान को स्थापित करने में जिस प्रकार से तत्कालीन प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी ने जानबुझ कर उदासीनता दिखाई उससे यह संस्थान समय पर यहां की जनता की वह सेवा प्रदान नहीं कर पाया जिसके उदेश्य के लिए इस संस्थान की स्थापना की गयी। तिवारी के बाद यहां पर फिर से भाजपा की सरकार में मुख्यमंत्री खण्डूडी व निशंक जैसे हुक्मरान भी इस संस्थान को युद्ध स्तर पर निर्माण नहीं करवा पाये। इस एम्स संस्थान के कई वर्षो से संचालित न किये जाने पर जनता में भाजपा व कांग्रेस की सरकारों की काफी किरकिरी हुई। आखिरकार कछुये की गति से अब एक दशक बाद यह संस्थान बन पाया। इस लेटलतीफी के दोषी इन हुक्मरानों को क्या इनाम देश की व्यवस्था देगी परन्तु जनता को तो इनके कारण इस संस्थान से लांभान्वित होने से वंचित होना पडा। जबकि प्रदेश की लाखों जनता आज प्रदेश में समय पर अच्छे इलाज के लिए तरस रही है। परन्तु अपनी नाक व अपनी संकीर्ण मानसिकता के गुलाम बने प्रदेश के हुक्मरानों ने इस एम्स संस्थान को यहां पर समय पर खुलवाने में अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया। जबकि राजस्थान आदि संस्थान काफी समय से वहां के मरीजों का इलाज भी कर रहे है। अब केन्द्र सरकार ने उत्तराखण्ड के ऋषिकेश, बिहार के पटना, उड़ीसा के भुवनेश्वर, राजस्थान के जोधपुर, छत्तीसगढ़ के रायपुर और मध्य प्रदेश के भोपाल में छह संस्थान में इसी सत्र से कक्षाएं शुरू करने का ऐलान केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने किया। इसी सप्ताह दिल्ली में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने उत्तराखण्ड के ऋषिकेश में बने एम्स को शुरू करने की तमाम अटकलों पर बिराम लगाते हुए छह सितम्बर से यहां एम्स शुरू करने का ऐलान करते हुए बताया कि पहले चरण में एम्स को 50 सीटें मिली हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में शुरू हो रहे एम्स के स्तर के संस्थानों को मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार फिलहाल अध्यादेश लाएगी। सभी संस्थानों में सितम्बर के अंत तक एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों का दाखिला हो जाएगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की इस ऐलान ने इस संस्थान की तरफ आशाभरी नजरों से एक दशक से देख रहे उत्तराखण्डियों को जहां राहत मिली वहीं प्रदेश के हुक्मरानों के संवेदनहीन चेहरे इनके सामने बेनकाब हो गये।
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