-नया राजनैतिक दल बना कर नहीं अपितु राजनीति की दिशा बदलने से होगा देश में भ्रष्टाचार का खात्मा
-सरकार नहीं जनता करेगी पथभ्रष्ट हो चूकी देश की राजनीति की सफाई
-योगेन्द्र यादव से दिखाया टीम अण्णा को दिशा व दशा का जन आईना
अण्णा के आंदोलन को गांधी के आंदोलन की तरह नैतिक शक्ति का पूंज बताते हुए देश के अग्रणी सामाजिक व राजनैतिक चिंतक योगेन्द्र यादव ने 31 जुलाई को दो टूक शब्दों में टीम अण्णा को देश की पूरी तरह से पथभ्रष्ट हो चूकी राजनीति का अंग बनने (नया राजनैतिक दल बनाने )से आगाह करते हुए कहा कि देश के मुख्यधारा की 25 राजनैतिक दलों के साथ 26 वां बनने से न तो देश का कोई कल्याण होगा व नहीं देश से भ्रष्टाचार पर ही अंकुश लगेगा। भारतीय राजनीति के प्रख्यात विश्लेषक योगेन्द्र यादव ने कहा कि जिस प्रकार गंदगी से नाला बन चूकी नदी की गंदगी को एक दो बाल्टी पानी डालने या निकालने से साफ नहीं होती है, उसकी सफाई के लिए जिस प्रकार बाढ़ की जरूरत होती है, उसी प्रकार अब भ्रष्टाचार से पथभ्रष्ट हो चूकी भारतीय राजनीति का अब यहां पर 25 स्थापित मुख्य धारा की राजनैतिक दलों में एक बढोतरी करके नहीं अपितु इस राजनीति का चरित्र ही बदलना होगा। इसके साथ सरकार के समझ जनलोकपाल बना कर देश में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए आमरण अनशन करने वाले अण्णा व टीम अण्णा के प्रमुख सदस्यों सहित उपस्थित आंदोलित जनसमुदाय को दो टूक शब्दों में कहा कि यह सरकार ही नहीं अपितु देश की मुख्यधारा की तमाम सभी दो दर्जन से अधिक पार्टियां इस मांग को कभी पूरा नहीं करेगी। इसलिए टीम अण्णा के रणनीतिकारों को निर्णायक संघर्ष करने के लिए अपने अनशन को त्याग देना चाहिए।
देश के अग्रणी चिंतक योगेन्द्र यादव ने देश की सरकार सहित तमाम दलों को भी जनहितों पर मूक बने रहने की आत्मघाती प्रवृति को धिक्कारते हुए कहा कि भारत में यह सनातन परंपरा रही है कि जब यहां के हुक्मरान जनहितों पर मूक रहते हैं तो यहां की जनता ही इसका समाधान करती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के समक्ष भारत सरकार बहुत छोटी है। भारत का अवाम देश की तमाम राजनैतिक दलों का भ्रष्टाचारी रूप देख चूका है। ये सभी दल देश के किसी न किसी भू भाग में शासन में है। शासन में रहते हुए इन सबका भ्रष्टाचारी मुखोटा अब जनता के समझ पूरी तरह से बेनकाब हो चूका है। उन्होंने कहा कि ये सभी दल खो खो खेल रहे है। इस देश में विकास के लिए शासन के बजाय भ्रष्टाचार के लिए खो खो जैसा निकृष्ठ खेल खेला जा रहा है।
श्री यादव ने अण्णा सहित टीम अण्णा के सदस्यों को भी लोकशाही के प्रति अपने विराट दायित्व के निर्वहन करने के लिए तैयार रहने के लिए आगाह किया। उन्होंने कहा कि एक साल से देश की जनता को अण्णा पर विश्वास जगा है। इसलिए इस विश्वास की रक्षा के लिए अगर टीम अण्णा वर्तमान राजनेताओं की तरह खो खो के खेल में सम्मलित होगी तो देश की जनता उनको कभी माफ नहीं करेगी। उन्होंने साफ कहा कि इन स्थापित 25 मुख्य धारा की पार्टियों मेे 26 वां बन कर देश में भ्रष्टाचार न तो कभी दूर होगा व नहीं देश का राजनैतिक चरित्र ही बदला जा सकता। इसलिए अगर अण्णा हजारे ने इस समय देश का राजनैतिक चरित्र बदलने के लिए मजबूत पहल नहीं की तो देश की जनता कभी माफ नहीं करेगी। श्री यादव ने कहा कि नैतिक शक्ति से सम्पन्न इस आंदोलन के कर्णधारों को अपनी आलोचना को सहज ही स्वीकार करने की क्षमता होनी चाहिए। उन्होने इस आंदोलन में पत्रकारों व अन्य आलोचकों पर किये दुरव्यवहार की कड़ी भत्र्सना करते हुए इसे अलोकशाही प्रवृति बताया।
जिस समय देश के प्रखर चिंतक योगेन्द्र यादव अपने युगान्तर संबोधन करते हुए टीम अण्णा व उनके समर्थकों के समक्ष जोर दे कर कह रहे थे कि आज भी देश का शोभाग्य है कि देश में कलम के सिपाईयों की कलम जनहितों के प्रति समर्पित है, उनकी कलम नहीं बिकी और उनका समाज का सही राह दिखाने में महत्वपूर्ण योगदान है। अपने टीम अण्णा के वर्तमान आंदोलन में तीसरे बार इस मंच से अपने औजस्वी संबोधन को हजारों लोगों ने ही नहीं देश के राजनेताओं ने भी अपने अपने सुत्रों से इस भाषण को दंतचित हो कर सुना। राजनीति के समीक्षक योगेन्द्र यादव के इस भाषण को इस आंदोलन के कर्णधारों, देश के राजनेताओं व जनता को दिशा व दशा दिखाने वाला आईना बन गया है। देखना है अण्णा हजारे व उनकी टीम जनता की आशाओं के योगेन्द्र यादव द्वारा बताये गयी आशाओं पर कहां तक खरा उतरते है। जिस दो टूक शब्दों में योगेन्द्र यादव ने अनशन से इन राजनेतिक दलों का दिल न पसीजने वाला बताते हुए निर्णायक संघर्ष के लिए अनशन समाप्त करके आंदोलन तेज करने की बात कही , दिन भर बूंदा बांदी के बाबजूद हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमुदाय ने ताली बजा कर उसका करतल ध्वनि से स्वागत किया।
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