भारत की सुरक्षा के लिए सभी सीमान्त प्रदेशों में बाहरी लोगों में बसाने पर लगे प्रतिबंध
उत्तराखण्ड में हिमाचल की तरह भूमि की खरीद परोख्त पर अविलम्ब लगे प्रतिबंध
जिस प्रकार कश्मीर में धारा 370 के कारण यहां बाहर के लोग नहीं बस सकते हैं व हिमाचल सहित कई प्रदेशों में इसी सीमान्त व गरीब लोगों के संरक्षण के लिए जमीनों पर बाहरी आदमी खरीद फरोख्त नहीं कर सकता है। उसी प्रकार का नियम देश के सभी सीमान्त प्रदेशों में देश की सुरक्षा, अमनचैन व सामाजिक तानाबाना को सुरक्षित रखने के लिए देश में तत्काल लागू करने की जरूरत हैं। केन्द्र सरकार व राज्य सरकारे सभी तत्काल ये कदम उठाये। नहीं तो जिस सुनियोजित ढ़ग से देश की सत्तांध राजनैतिक पार्टियां वोटों के मोह में अंधे हो कर देश व प्रदेश की सुरक्षा ही नहीं अमनचैन को भी दाव पर लगाने के लिए इस गंभीर समस्या के प्रति जानबुझ कर नजरांदाज करके बाहरी लोगों को सीमान्त प्रदेशों में बसाने के षडयंत्र में सहभागी बने हैं , उससे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसा ही गंभीर हालत उत्तराखण्ड में भी यहां के हुकमरानों ने यहां की जमीनों की खरीद फरोख्त हिमाचल प्रदेश की तरह कडे प्रतिबंध न लगा कर पैदा कर दिये है। जिस तेजी से प्रदेश के गठन के आंदोलन व उसके गठन के बाद यहां के चार जनपदों में ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल व देहरादून में जनसंख्या की बाढ़ सी आ गयी है, यह जनगणना व मतदाताओं के आंकडों से ही साफ दृष्टिगोचर हो जाता है। ऐसी स्थिति में जब प्रदेश में तिवारी, खण्डूडी, निशंक व अब बहुगुणा जैसे हुक्मरान आसीन रहे जिन्हें प्रदेश के हक हकूकों की कहीं दूर तक न तो चिंता है व नहीं इसके लिए उन्होंने इसे रोकने के लिए इस दिशा में एक कदम तक उठाने का काम तक किया। आज विजय बहुगुणा द्वारा जो अपने मतों के लिए सितारगंज में मतदाताओं को लुभावने के लिए भूमिधरी व अन्य प्रलोभन रूपि पैकेज दिये है उसको चुनाव आयोग व उत्तराखण्ड के प्रबुद्ध जनों ने भी बहुत ही हल्के में लिया, भाजपा भी इस खतरनाक कदम को जिस प्रकार से केवल चुनावी लाभ लेने के उद्देश्य से अधूरे मन से उठा रही है उससे आने वाले समय में उत्तराखण्ड की हालत भी असम, बंगाल की तर्ज पर बद से बदतर हो जायेगी।
वोटों व सत्ता में काबिज रहने की अंधी ललक के कारण देश के हुक्मरानों ने कश्मीर को जहां पाक अधिकृत कश्मीर मे बदल कर खो दिया, वहीं असम में भी अंध तुष्टीकरण व वोटों के लालच से बंगलादेशियों को घुसपेठ करा कर कानून के आंखों में धूल झोंक कर षडयंत्र के तहत बसाया कर आज असम के कई जिले आज बंगलादेशी बाहुल्य हो गये हैं। आज असम भी एक प्रकार से बंगलादेशी अधिकृत असम बन गया है। बंगाल की हालत क्या है इसका अंदाज ही लगाया जा सकता है। परन्तु दुर्भाग्य है कि आज हिमालयी प्रदेश उत्तराखण्ड में भी इसी प्रकार वोटो के खातिर ऐसे कदम उठाये जा रहे हैं, देश में घुसपेटियों की प्रवृति के विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इसी प्रकार की उत्तराखण्ड में भी वोटों के लालच में राजनीति रही तो आने वाले चंद सालों में उत्तराखण्ड के तीन जिले ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार व नैनीताल में स्थिति बद से बदतर हो जायेगी। भाजपा भले ही कश्मीर में धारा 370 का विरोध कर रही हो परन्तु कश्मीर समस्या अब नाजुक हालत में है उसका एकमात्र समाधान जो सरलता से किया जा सकता है उसके दो राज्य व एक केन्द्र शाशित प्रदेश बना कर ही बचाया जा सकता है। कश्मीर व जम्मू को अलग प्रदेश व लद्दाख को केन्द्र शाशित प्रदेश बनाया जाना चाहिए। यदि अभी ऐसा नहीं किया तो कश्मीर तो पूरी तरह से आतंकियों के शिकंजे में है अभी लद्दाख व जम्मू आतंकियों के शिकंजे में पूरी तरह जकडने से बचे हुए है, अगर समय पर इसका यह समाधान नहीं किया गया तो जम्मू व लद्दाख से भी लोगों को उसी प्रकार शरणार्थी बनना पडेगा जिस प्रकार आतंकियों ने सरकार की नपुंसकता का लाभ उठाते हुए कश्मीरियों को कश्मीर से बाहर खदेड़ दिया। इसी तबाही को देख कर अब देश के तमाम सीमान्त प्रदेशों में किसी भी बाहरी लोगों के बसने व उस प्रदेश की जमीनों की खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। जो लोग इस प्रकार की गतिविधियों में संलिप्त पाये जायें उन पर देशद्रोह का अपराधी मान कर कडा दण्ड दिया जाय।
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