ओलंपिक में नहीं, भ्रष्टाचार के खेल में रहता भारत विश्व का सरताज
लंदन ओलंपिक में चीन आसमान और भारत पाताल?
लंदन (प्याउ)। 30 जुलाई को सोमवार का दिन लंदन ओलंपिक में भारत का बड़ी ही मुश्किल से पदक तालिका में खाता खुला। वह भी स्वर्ण पदक से नहीं अपितु कांस्य पदक से। उसी दिन चीन जहां पदक तालिका में अमेरिका को पछाड़ कर सर्वोच्च स्थान पर था वहीं चीन के बाद जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा बड़ा देश भारत जो पूरे विश्व की जनसंख्या का सातवें भाग का प्रतिनिधित्व करता है वह एक कांस्य पदक ले कर खुशियां मनाने के लिए मजबूर था। वह भी पुरूषों की 10 मीटर की एयर राइफल स्पर्धा में भारत के दिग्गज निशानेबाज गगन नारंग ने 700.1 अंक बनाकर यह कांस्य पदक जीता। इस स्पर्धा का स्वर्ण पर रोमानिया के एजी मोल्डोवीनू (702.1) और रजत पदक पर इटली के कैंप्रियानी (701.5) ने कब्जा जमाया। कांस्य पदक विजेता गगन नारंग की उपलब्धी में पूरा देश खुशियां मना रहा है। गगन नारंग भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाले तीसरे निशानेबाज हैं। इससे पहले 2004 के एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने रजत और 2008 के बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक जीता था। परन्तु इस बार अभिनव विंद्रा 16 स्थान पर ही रह पाये। गगन के अलावा कई खिलाड़ी हैं जो अपनी प्रतिभा के दम पर भारत की लाज बचाने के लिए दिन रात एक किये हुए है। नहीं तो हमारे देश के खेल मठाधीशों व हुक्मरानों ने देश की नाक कटाने में कोई कसर नहीं रखी है। आज देश के हुक्मरानों को इस बात को गंभीरता से सोचना होगा कि क्यों भारत इन खेलों में फिसड्डी और चीन श्रेष्ठ बना हुआ है। चीन में जहां राष्ट्र के लिए खेला जाता है वहीं भारत में भ्रष्टाचार के लिए ही इन खेलों के सरपरस्त बने लोग प्रतिभाओं के बजाय अपने निहित स्वार्थी प्यादों को जहां खेलों में भरते हैं वहीं उनका ध्यान खेलों में पदक जीतने से अधिक अपने निहित स्वार्थो की पूर्ति करने में लगा रहता है। जब तक भारत में खेलों को राजनेताओं के शिंकंजे से मुक्त नहीं किया जायेगा तब तक देश व खेल की ऐसी ही शर्मनाक दुदर्शा होगी। भारतीय खेलों की दुर्दशा पर सबसे सटीक टिप्पणी यही है कि अगर विश्व में कहीं भ्रष्टाचार के मामले में प्रतियोगिता होती तो भारत के भ्रष्टाचार के महारथी विश्व में पहले स्थान में रहते। क्योंकि देश के हुक्मरानों व खेल मठाधीशों सहित अधिकांश संस्थानों के महारथी देश की लुटिया डुबों कर अपने स्वार्थ पूर्ति करने में विश्व में सबसे तेज हे। इस शर्मनाक खेल में भारत का कोई जवाब नहीं।
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