-भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने के साथ  लोकशाही का सम्मान करना भी सिखायें अण्णा अपने कार्यकत्र्ताओं को

-कार्यकत्र्ताओं ने शहीद जवान को न्याय दिलाने के लिए शहीद की माता जी द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन का तम्बू समेटने के लिए किया मजबूर 


25 जुलाई 2012 से देश की संसद की चैखट, राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर दिल्ली पर देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आर पार का संघर्ष का ऐलान करते हुए अण्णा व उनकी टीम अपने हजारों कार्यकत्र्ताओं के साथ आंदोलन का श्रीगणेश करेंगे। पूरा देश भ्रष्टाचार के मुहिम में अण्णा के साथ है। सभी चाहते हैं कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे। परन्तु उनके कार्यकत्र्ताओं द्वारा जंतर मंतर पर जिस प्रकार से देश के अन्य भू भागो ंसे आ कर अपनी मांगों को ले कर आंदोलनकर रहे आंदोलनकारियों से जिस प्रकार से तानाशाही पूर्ण व्यवहार एक दिन पहले ही कर रहे थे, उस पर अनैक समाजसेवियों, पत्रकारों व राजनेताओं ने प्रश्न किया कि भ्रष्टाचार के आंदोलन को चलाने से पहले अण्णा को अपनी टीम व कार्यकत्र्ताओं को लोकशाही का पाठ सिखाना चाहिए। नागपुर से आये शहीद फोजी सुरज सुधाकर मेश्राम  की माता  श्रीमती रेखा मेश्राम अपने दर्जनों समर्थकों के साथ दूसरी बसरी पर न्याय की अंतिम आश लिये जंतर मंतर पर 22 जुलाई से 25 जुलाई तक पुलिस अनुमति के साथ सांकेतिक भूख हडताल कर रही थी। अनशनकारी शहीद की माता रेखा की तबीयत खराब होने पर शहीद सुरज सुधाकर मेश्राम की बहिन व अन्य आंदोलनकारी आंदोलन जारी रखे हुए थे, परन्तु 24 तारीक की सांय को ही भ्रष्टाचार के खिलाफ 25 जुलाई तक ही अनशनादि आंदोलन करने वाली  अण्णा के कार्यकत्र्ताओं ने 22 जुलाई 2010 को मृतक बताये गये फौजी जवान सुरज मेश्राम न. 4581779 । की हत्या की जांच करने की मांग को लेकर चलाये गये आंदोलन को एक दिन पहले ही अण्णा कार्यकत्र्ताओं के अलोकशाही दवाब के कारण समेटने के लिए विवश किया गया। क्योंकि सुरज मेश्राम को न्याय दो का आंदोलन स्थल पर जनता दल यू के पट के बांई तरफ ही अण्णा टीम का मुख्य पंडाल लगाया जा रहा था। हालांकि ऐसे ही अलोकतांत्रिक दवाब टीम अण्णा के कार्यकत्र्ता इससे पूर्व में किये गये जंतर मंतर पर तमाम आंदोलनों के दौरान कर चूके थे।
इसके साथ 25 जुलाई से ध्वनि प्रसारक यंत्र यानी माईक की स्वीकृति लेने वाली टीम अण्णा के बन रहे मंच से निरंतर जंतर मंतर पर गाडियों को वहां पर से हटाने का हूकम ट्रेफिक पुलिस की तरह हांका जा रहा था। यह देख कर समाजसेवी संजय कुमार, पत्रकार साबर कुमार, जगजीवन राम जैसे दिग्गज नेताओं के साथ आपातकाल के खिलाफ संघर्ष करने वाले ताराचन्द्र गौतम व समाजसेवी मोहम्मद आजाद आदि लोगों ने न केवल टीम अण्णा की लोकशाही प्रवृति व दिल्ली पुलिस का पक्षपात व्यवहार पर कई प्रश्न किये। इन आंदोलनकारियों ने कहा कि पुलिस आम आंदोलनकारियों को सुबह से सांय तक की आंदोलन की अनुमति देती है तो टीम अण्णा को एक दिन पहले ही टीम अण्णा के कार्यकत्र्ता आंदोलन स्थल पर अन्य आंदोलनकारियों से अलोकतांत्रिक व्यवहार कैसे कर रहे थे और कैसे ध्वनि प्रसारक यंत्र का प्रयोग कर रहे थे।  टीम अण्णा को जहां दूसरे आंदोलनकारियों का सम्मान करना चाहिए और उनके अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। इसके अलावा टीम अण्णा की गतिविधियों के जानकार समाजसेवी हरि ओम ने कहा कि टीम अण्णा अगर वास्तव में ईमानदारी से भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलनकरना चाहती है तो वह क्यों एनजीओ को जन लोकपाल के अन्तगर्त करने से क्यों धबरा रहे है। यही नहीं हरि ओम ने कहा कि टीम अण्णा के सदस्य क्यों इंडिया अगेन्सट करप्शन संस्था को पंजीकृत नहीं कर रही है तथा एसएमएस कार्डो का जिस प्रकार से थोक के भाव में बेचा जा रहा है उसको सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
सांय 6 बजे के करीब जब मैं जंतर मंतर धरना स्थल पर पंहुचा तो वहां पर अण्णा टीम के कार्यकत्र्ता जहां टेण्ट व मंच को व्यवस्था ठीक करा रहे थे वहीं पर मीडिया द्वारा मंच के सामने इसकी कवरेज करने के लिए अपने अपने छोटे मंच बनाये जा रहे थे। उसके बाद पुलिस का उच्चाधिकारी भी वहां का जायजा लेने पंहुचे। इसके बाद टीम अण्णा के प्रमुख सदस्यों में एक मनीष सिसोदिया भी तैयारियों को दिशा देने वहां पर पंहुचे। जंतर मंतर पर देश के कोने कोने से अपने प्रदेशों में न्याय न मिलने पर न्याय की आश ले कर भारत की सरकार के दर पर जंतर मंतर पर आंदोलन करने के लिए पंहुचते है। वहां पर पुलिस प्रशासन के अलोकतांत्रिक फरमानों के बीच आंदोलनकारी प्रातः से सांयकाल तक आंदोलन करते है। वह भी पुलिस की अनुमति मिलने पर। अण्णा के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को पूरा देश का समर्थन हैं परन्तु जिस प्रकार से टीम अण्णा के लोग एनजीओं को जनलोकपाल में सम्मलित करने से कतरा रहे हैं और विवादस्थ टिप्पणियां कर रहे हैं उससे लोगों का मोह धीरे धीरे इस आंदोलन से भंग हो रहा है। इसके बाबजूद देश की जनता मनमोहन सिंह नेतृत्व वाली सप्रंग सरकार के भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहने के लिए अण्णा के आंदोलन को सफल होना देखना चाहते है। परन्तु अण्णा को चाहिए कि वह अपनी टीम व कार्यकत्र्ताओं को लोकशाही का पाठ भी सिखाये की नागरिक अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। लोकशाही में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार विशेषाधिकार समझते हुए आम नागरिकों के अधिकारों का हनन करना है। अण्णा हजारे को अपनी टीम व कार्यकत्र्ताओं को समझाना चाहिए कि देश में हर नागरिक को उनकी तरह ही संघर्ष करने का अधिकार है। किसी के संघर्ष को रौंदने की प्रवृति लोकतंत्र में तानाशाही ही समझी जाती है।

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