अधिकांष कांग्रेसी चाहते हैं कि मंत्री नहीं प्रधानमंत्री बने राहुल गाॅधी

कांग्रेस के अधिकांष समर्पित कार्यकत्र्ता ही नहीं अपितु देष की अधिकांष जनता भी चाहती है कि कांग्रेसी नेतृत्व, देष को मंहगाई, भ्रश्टाचार व अमेरिकी परस्त कुषासन से देष को पतन के गर्त में धकेल रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अविलम्ब पद से हटा कर राहुल गांधी को देष के प्रधानमंत्री के पद पर आसीन करे। क्योंकि देष की जनता ने विगत 8 सालों के वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल से जान व देख लिया कि मनमोहन सिंह में न तो देष को नेतृत्व देने की क्षमता है व नहीं उनको कहीं दूर-दूर तक आम जनता तो रहा दूर कांग्रेसी कार्यकत्र्ताओं से सीधे सम्बाद तक नहीं रहा। न तो कांग्रेस ने उनके नाम से वोट मांगी व नहीं उनका कहीं जनता के प्रति कहीं अपनी जिम्मेदारी का ही अहसास है। परन्तु कांग्रेसी बडे नेता सोनिया गांधी को गलत सलाह दे कर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने से रोक रहे है। उनके इस कारण से देष व कांग्रेसी कार्यकत्र्ताओं के बीच राहुल गांधी की छवि निरंतर ऐसे नेता की बनती जा रही है जिसमें निर्णय लेने की क्षमता का अभाव व जिम्मेदारी से मुॅह चुराने वाला नेता हों। अपने भविश्य व प्रभाव को राहुल गांधी के हाथों में कांग्रेसी की पूरी षक्ति आने के कारण अंकुष लगने की आषंका से वे कांग्रेस व देष को मनमोहन सिंह के हाथों में बनाये रखना चाहते है। इसी कारण वे या तो राहुल गांधी को संगठन या सरकार में नम्बर दो मंत्री बनाने की आत्मघाती सलाह दे रहे है। राहुल गांधी को ही नहीं सोनिया गांधी को इस बात का भान होना चाहिए कि देष की जनता ने कांग्रेस को जो भी मत दिया वह राहुल गांधी या सोनिया गांधी के हाथों में देष का भविश्य सुरक्षित रखने के लिए दिया। मनमोहन सिंह के नाम पर न तो देष की जनता ने न मत दिया व नहीं देष की जनता मनमोहन सिंह को एक पल भी देखना चाहती है। हाॅं अगर सोनिया गांधी ने जनभावनाओं का निरादर करते हुए राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के बजाय मनमोहन सिंह के मंत्रीमण्डल में ही मंत्री बनाने का आत्मघाती निर्णय लिया तो आने वाले समय में राहुल गांधी का प्रधानमंत्री बनने की कहीं दूर दूर तक संभावना नहीं होगी। क्योंकि 2014 में कांग्रेस लोकसभा चुनाव मनमोहन सिंह के कुषासन के कारण हार रही है। देष की जनता देखना चाहती है जिनके नाम पर उन्होंने मत दिया वह क्यों अपनी जिम्मेदारी वहन नहीं कर रहे है। आखिर उनकी परीक्षा कैसे जनता लेगी। जनता यह देखना चाहती कि राहुल गांधी अपने दायित्व का निर्वाह कर सकते हैं या वे भी मनमोहन सिंह की तरह नक्कारा साबित होते।

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