सुखराम व तिवारी की तरह ही क्या बहुगुणा की नैया पार लगायेंगे महान पत्रकार
सितारगंज विधानसभा उपचुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की चुनावी भंवर में फंसी नौका को पार लगाने के इरादे से जब देश के कभी नामी पत्रकार मुम्बई से दिल्ली होते हुए सितारगंज के लिए कूच कर रहे थे तो वे एक दो दिन के लिए दिल्ली में अपने पुराने देश के नामी पत्रकारों से भी मिल गये। बातों बातों में वे अपने सितारगंज में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री की चुनावी वैतरणी से नौका को पार लगाने की बात कह गये। दिल्ली में अपने जमाने में देश के अग्रणी वरिष्ठ पत्रकारों में अग्रणी यूनिवार्ता के पूर्व न्यूज एडीटर बनारसी सिंह से नहीं रहा गया, उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा भाई आपने जिन जिन महान नेताओं को अपना आर्शीवाद दिया उनकी गति क्या हुई....आपने पहले हिमाचल के कद्दावर नेता सुखराम को आशीर्वाद दिया, वे बेचारे बड़े घर पंहुच गये। उसके बाद आपने तिवारी जी को अपना उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनने पर आशीर्वाद दिया, भगवान बदरीनाथ की कृपा से आपके चेहते तिवारी जी की हालत आज कैसी है यह आप भी जानते हैं, उसके बाद आपने मुम्बई में महाराष्ट्र के जिन भी मुख्यमंत्रियों पर रही, उनमें से अधिकांशों की हालत आजकल खुद पतली है। अब आपकी अपनी कृपा की बरसा करने हिमालय के वरद पुत्र समझे जाने वाले हेमवती नन्दन बहुगुणा के मुख्यमंत्री पद पर आसीन पुत्र विजय बहुगुणा पर होने जा रही है, उनका क्या हाल होगा, आपके पहले कृपार्थियों की दशा देख कर मुझे इनके भविष्य पर भी ऐसा ही होने की आशंका हो रही है।
देश के अग्रणी कद्दावर पत्रकार बनारसी सिंह की सटीक टिपण्णी सुन कर सितारगंज में बिजय बहुगुणा की विजय श्री का शंखनाद करने जा रहे कभी देश के नामी पत्रकार के रूप में ख्यातिप्राप्त रहे साथी का चेहरे की हवाईयां उड गयी। 5 जुलाई को अभी आठ बजे आईएनएस के पास चाय की चुसकियों के साथ इस घटना का वृतांत सुन कर मैं और मेरे समाजसेवी साथी जगदीश भट्ट भी बिना हंसे नहीं रहे।
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