सत्तालोलुपु हुक्मरानों के कारण हर साल काल की भैंट चढ़ती है लाखों सुनीता व कल्पना

-दूसरी अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना हुई अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता व कातिल डाक्टर के कारण भारत में दम तोड़ गयी इन्दू राणा
जिस समय रविवार को भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता बिलियम्स वाइकोनूर अतरिक्ष केन्द्र से अपने अंतरिक्ष यान द्वारा अंतरिक्ष में उडान भर रही थी, उस समय उत्तराखण्ड के अग्रणी लोक गायक हीरासिंह राणा की 17 वर्षीय बालिका इन्दु राणा, देश की राजधानी दिल्ली में विनोद नगर स्थित एक प्राइवेट नर्सिग होम के डाक्टर के हाथों शल्य चिकित्सा करने के नाम पर किये गये कत्ल के कारण, एक पखवाडे के लगभग जीवन संग्राम के बाद लोकनायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में दम तोड़ गयी। उसका शव मानो देश की दम तोड़ चूकी व्यवस्था को धिक्कार रहा था। अगर देश में चिकित्सा सहित अन्य व्यवस्था सुदृढ़ होती तो यह प्रतिभाशाली बालिका इस प्रकार दम नहीं तोड़ती। यह मात्र एक इन्दु राणा की बात नही अपितु इस देश के दिशाहीन हुक्मरानों के कारण आज भारत में लाखों सुनीता व कल्पना सी प्रतिभाशाली बालिकायें या तो कन्या भ्रूण के कारण ऐसे ही कातिल डाक्टरों के कारण जन्म लेने से पहले ही मारी जाती है, जो जीवित रह जाती है उनको या तो उनके परिजन शिक्षा से वंचित कर देते हैं या उनके परिजनों की स्थिति इतनी सुदृढ़ नहीं होती कि वह सुनीता व कल्पना चावला की तरह शिक्षा ग्रहण कर अपनी प्रतिभा को निखार सके। जो चंद प्रतिशत पढ़ लिख भी जायें तो उनको भारत में प्रतिभा की गला घोंटने वाली व्यवस्था अंधेरे में अपने अरमानों का गला घोंटने के लिए विवश कर देती है। देश के हुक्मरानों की अदूरदर्शिता व देश भक्ति के अभाव के कारण आज आजादी के 65 साल बाद भी देश में ऐसी व्यवस्था नहीं बन पायी कि जहां अमेरिका की तरह प्रतिभावान लोगों को सुनीता व कल्पना चावला की तरह अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए देश की व्यवस्था का सहारा मिल पाये। भारत में प्रतिभावान व्यक्ति के बजाय जाति, धर्म, क्षेत्र व भ्रष्टाचार को प्राथमिकता दे कर देश की प्रतिभाओं को अपमानित करके देश को उनकी प्रतिभा से लाभान्वित होने से शर्मनाक ढ़ग से प्रायः वंचित किया जाता है। इस कारण देश की अधिकाश महत्वपूर्ण संस्थान आज प्रतिभाओं के अभाव में दिशाहीन व पतन के कारण बन गये हैं। वहीं अमेरिका में हो या चीन में दोनों देशा में प्रतिभावान को देश सेवा का पहला अवसर दे कर उनकी प्रतिभा का पूरा लाभ देश ही नहीं विश्व उठाता है। अगर कल्पना या सुनीता भारत में रहती तो उनको शायद ही इस क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को दिखाने का अवसर देश की व्यवस्था दे पाती। देश में लाखों कल्पना व सुनीता जैसी बालिकायें पहले तो आर्थिक बदहाली के कारण स्कूल का मुंह ही नहीं देख पाती या अपनी प्रतिभा व अरमानों का देश के हुक्मरानों के नक्कारेपन के कारण नियति का फल मान कर चुपचाप दम तोड़ते देखने के लिए मजबूर होती है।
वहीं अमेरिका में कल्पना व सुनीता ही नहीं हर प्रतिभावान को उचित सम्मान मिलता है। चीन में तो देश की प्रतिभाओं को तरासने का दायित्व खुद सरकार उठाती है। अमेरिका में धनबल पर अपनी प्रतिभा को निखारने वालों को अवसर मिलता है। परन्तु भारत में तो प्रतिभावान को अवसर मिले यह जरूरी नहीं। यहां व्यवस्था पर एक प्रकार से भ्रष्टाचार का दीमक ही लग गया है।
अमेरिका में प्रतिभा को आगे बढ़ने का मौका मिलता है। जैसे ही भारतीय मूल की 46 वर्षीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स रविवार 15 जुलाई प्रातः 8 बज कर 10 मिनट पर कर्जाखिस्तान के बाइकोनूर अंतरिक्ष केंद्र से रूसी अंतरिक्ष यान सोयुज टीएमए-05एम से रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के फ्लाइट इंजीनियर यूरी मालेनशेनको और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के आकिहितो होशिदे के साथ 4 महिने के अपने दूसरे अंतरिक्ष अभियान के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुई तो करोड़ों भारतीय सहित संसार भर के अरबों लोगों के चेहरे खुशी से खिल उठे।
भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने वाली अंतरिक्ष गामनी सुनीता के पिता भारतीय गुजरात मूल व माॅ स्लोवानियाई मूल की हैं। सुनीता दूसरी बार अंतरिक्ष की यात्रा कर रही हैं, इससे पहले वो 2006 में अंतरिक्ष में जा चुकी है। पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान सुनीता छह महीने तक स्पेस में रही थीं। अमेरिकी अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष में जाने वाली सुनीता दूसरी भारतीय मूल की अंतरिक्ष गामनी है। इससे पहले कल्पना चैहान भी अमेरिकी अंतरिक्ष अभियान की सदस्य रही। हालांकि एक अंतरिक्ष अभियान के तहत वह शहीद हो गयी, परन्तु आज भी उसकी अमिट छाप भारतीय जनमानस पर जींदा है। अपने पहले मिशन में भारतीय संस्कृति की प्राण समझी जाने वाली पावन ’ गीता’ को अपने संग अंतरिक्ष में ले जाने वाली सुनीता भगवान गणेश की परमभक्त है।
सुनीता का जन्म ओहायो के यूक्लिड में हुआ था और मैसाचुसेट्स में वह पली बढ़ीं। अंतरिक्ष गामनी सुनीता अंतरिक्ष यात्रा एक्सपिडिशन-32 के चालक दल में एक फ्लाइट इंजीनियर के तौर पर गई हैं और अंतरिक्ष केंद्र पहुंचने पर अंतरिक्ष यात्रा एक्सपिडिशन-33 की कमाडर होंगी।
प्रतिभाशाली सुनीता को पद्म भूषण के साथ नेवी कमांडेट मेडल, नेवी एंड मरीन क्रॉप्स अचीवमेंट मेडल, हयूमेटेरियन सर्विस मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। गौरतलब है कि अमेरिकी नौसैनिक अकादमी से शिक्षा प्राप्त सुनीता लड़ाकू विमान की कुशल पायलट भी हैं।
सुनीता की सफलता को देख कर मुझे लगता है कि अगर भारत की सरकार देश की प्रतिभाओं का सम्मान करती या देश की बालिकाओं को उनकी प्रतिभा को निखारने में संरक्षण देती तो आज भारत विश्व में अमेरिका या पश्चिमी देशों का पिछलग्गू देश होने के बजाय विश्व का नेतृत्व करने वाला देश होता। परन्तु दुर्भाग्य है भारत में जहां प्रतिभाओं की कहीं कमी न होने के बाबजूद यहां के दिशाहीन नेतृत्व के कारण आज यहां पर हर कदम पर लाखों कल्पना व सुनीता जैसी प्रतिभायें दम तोड़ रही है। जरूरत है देश की प्रतिभाओं को संरक्षण व अमेरिका-चीन की तरह संरक्षण
देने की।
शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।
 

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