टिहरी लोकसभा उपचुनाव में सुधा को उतारेंगे बहुगुणा !
देहरादून (प्याउ)।सितारगंज विधानसभा उपचुनाव के बाद मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व उनके समर्थक टिहरी संसदीय सीट के उपचुनाव में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी सुधा बहुगुणा को उतारने का मन बना रहे हे। टिहरी लोकसभा की सीट , राष्ट्रपति चुनाव में सांसद के रूप में मतदान करने के बाद 21 जुलाई को मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के इस्तीफा देने के बाद रिक्त होगी। हालांकि इस सीट पर कांग्रेस में ही दावेदारों की लम्बी लाइन हैं। इनमें उप्र कालीन टिहरी की तीनों विधानसभाई सीट से विधायक रहे वरिष्ट कांग्रेसी नेता सूरवीर सिंह सजवान, पूर्व राज्यपाल मदनमोहन लखेड़ा, टिहरी से विधायक का चुनाव हार चूके किशोर उपाध्याय, भाजपा को छोड़ कर कांग्रेस में सम्मलित हुए विख्यात शूटर जसपाल राणा आदि प्रमुख है। परन्तु जिस कांग्रेसी मठाधीशों से मजबूत पकड़ के दम पर अधिकांश विधायकों के विरोध के बाबजूद कांग्रेस नेतृत्व ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के पद पर थोपा उससे लोग कायश लगा रहे हैं कि कई बार टिहरी लोकसभा में करारी हार के बाद बड़ी मुश्किल से सांसद बन पाये विजय बहुगुणा अब इस संसदीय सीट पर अपने परिवार के अलावा किसी दूसरे को यों ही आसीन नहीं होने देंगे। उनकी हर संभव कोशिश रहेगी कि इस सीट पर उनकी पत्नी या उनके परिवार का ही कोई व्यक्ति लडे। कांग्रेस में अपनी मजबूत पकड़ के बाद बहुगुणा कैसे यह सीट छोड़ देगे। वैसे भी कांग्रेस में जनप्रियता व समर्पित मजबूत नेतृत्व के बजाय अपने प्यादों को महत्वपूर्ण पदों पर आसीन करने की अलोकशाही परंपरा रही है।
देहरादून (प्याउ)।सितारगंज विधानसभा उपचुनाव के बाद मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व उनके समर्थक टिहरी संसदीय सीट के उपचुनाव में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी सुधा बहुगुणा को उतारने का मन बना रहे हे। टिहरी लोकसभा की सीट , राष्ट्रपति चुनाव में सांसद के रूप में मतदान करने के बाद 21 जुलाई को मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के इस्तीफा देने के बाद रिक्त होगी। हालांकि इस सीट पर कांग्रेस में ही दावेदारों की लम्बी लाइन हैं। इनमें उप्र कालीन टिहरी की तीनों विधानसभाई सीट से विधायक रहे वरिष्ट कांग्रेसी नेता सूरवीर सिंह सजवान, पूर्व राज्यपाल मदनमोहन लखेड़ा, टिहरी से विधायक का चुनाव हार चूके किशोर उपाध्याय, भाजपा को छोड़ कर कांग्रेस में सम्मलित हुए विख्यात शूटर जसपाल राणा आदि प्रमुख है। परन्तु जिस कांग्रेसी मठाधीशों से मजबूत पकड़ के दम पर अधिकांश विधायकों के विरोध के बाबजूद कांग्रेस नेतृत्व ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के पद पर थोपा उससे लोग कायश लगा रहे हैं कि कई बार टिहरी लोकसभा में करारी हार के बाद बड़ी मुश्किल से सांसद बन पाये विजय बहुगुणा अब इस संसदीय सीट पर अपने परिवार के अलावा किसी दूसरे को यों ही आसीन नहीं होने देंगे। उनकी हर संभव कोशिश रहेगी कि इस सीट पर उनकी पत्नी या उनके परिवार का ही कोई व्यक्ति लडे। कांग्रेस में अपनी मजबूत पकड़ के बाद बहुगुणा कैसे यह सीट छोड़ देगे। वैसे भी कांग्रेस में जनप्रियता व समर्पित मजबूत नेतृत्व के बजाय अपने प्यादों को महत्वपूर्ण पदों पर आसीन करने की अलोकशाही परंपरा रही है।
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