प्रणव मुखर्जी के ‘राष्ट्रपति  रबर की मोहर नहीं होता’ वाले बयान से कांग्रेस में हडकंप


नई दिल्ली (प्याउ)। ‘राष्ट्रपति रबड़ की मोहर नहीं होता’ कांग्रेस समर्थित संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी ने भले ही उपरोक्त कथन जिस सहजता से भी कहा हो परन्तु इस कथन ने कांग्रेसी मठाधीशों की नींद हराम कर दी है। गौरतलब है कि प्रणब मुखर्जी देश के सबसे वरिष्ठ व प्रभावशाली राजनेताओं में अग्रणीय है। उनके समर्थकों को ही नहीं अपितु उनके विरोधियों को भी यह विश्वास है कि दादा पर किसी प्रकार का दबाव डालकर अपने अनुकूल पफैसले कराने की कुब्बत देश के वर्तमान किसी भी राजनैतिक दल में नहीं होगी। प्रणव मुखर्जी की इसी प्रवृत्ति को देखकर कांग्रेसियों को ही नहीं अपितु विरोधी दलों को भी यह विश्वास नहीं था कि कांग्रेस नेतृत्व उस प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन करेगी जिस प्रणव मुखर्जी को उन्होंने वरिष्ठ व अनुभवी होने के बावजूद उनसे कहीं कनिष्ठ नेता मनमोहन सिंह को देश का प्रधनमंत्री के पद पर आसीन किया था। गौरतलब है कि प्रणव मुखर्जी कांग्रेसी नेतृत्व से उपेक्षित महसूस करने के बाद एक बार कांग्रेस से अलग भी हो चुके थे। इसी कारण कांग्रेसी नेतृत्व उन पर मनमोहन सिंह जैसा पूर्ण विश्वास नहीं करता। परन्तु अब प्रणव मुखर्जी को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का उम्मीदवार बनाने के बाद अब कांग्रेसी मठाधीशों को यह भय सताने लगा है कि कहीं प्रणव मुखर्जी भी ज्ञानी जेल सिंह की तरह कांग्रेसी नेतृत्व के लिये भविष्य में परेशानी का सबक न बन जाये। हालांकि ज्ञानी जेल सिंह पर जितना विश्वास कांग्रेसी नेतृत्व को था उतना विश्वास राष्ट्रपति बनने के करीब पहुंच चुके प्रणव मुखर्जी पर नहीं है। वहीं दूसरी तरफ ज्ञानी जेल सिंह सहज प्रवृति के धार्मिक व्यक्ति माने जाते रहे तथा प्रणव मुखर्जी अपनी ही धून के पक्के राजनेता के रूप में जाने जाते है। भले ही प्रणव मुखर्जी ने प्रसंगवश उपरोक्त कथन कहा हो परन्तु उनके जानकार पहले से ही यह धरणा बना प्रणव मुखर्जी देश के इतिहास में यह साबित कर देंगे कि राष्ट्रपति रबड़ के मोहरे नहीं होते।

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