13वें राश्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई को षपथ लेंगे प्रणव मुखर्जी
चुनाव हार करके भी पूर्वोत्तर के पहले राश्ट्रीय नेता बने संगमा
राश्ट्रपति चुनाव के अधिकारी वी के अग्निहोत्री ने बताया कि कांग्रेस नेतृत्व वाले सप्रंग गठबंधन के प्रत्याषी प्रणव मुखर्जी देष के 13 वें राश्ट्रपति होंगे उनको 7,13,763 वोट मिले और उनके विरोधी व भाजपा नेतृत्व वाली राजग गठबंधन के प्रत्याषी पीए संगमा को 3,13,987 वोट मिले। यानी कुल मतदान को प्रणव को जहां 69 प्रतिषत मत हासिल हुए और संगमा को 31 प्रतिषत मत। हालांकि प्रणव मुखर्जी को सप्रंग गठबंधन के अलावा राजग गठबंधन के मजबूत सहयोगी जदयू व षिव सेना के मत भी हासिल हुए। इसके अलावा सपा व बसपा ने भी उनका अपना खुला समर्थन दिया। प्रणव मुखर्जी देष के 13वें राश्ट्रपति होंगे। भले ही वे किसी भी अंध विष्वास पर विष्वास नहीं करते हैं परन्तु 13 का अंक उनके जीवन में बहुत ही लाभकारी रहा। उनका निवास भी 13 तालकटोरा रोड़ है। वे 25 जुलाई को राश्ट्रपति पद की षपथ ग्रहण करेंगे। वे राश्ट्रपति के पद से सेवानिवृत हो रही श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का स्थान ग्रहण करेंगे। वहीं संगमा भले ही राश्ट्रपति का चुनाव हार गये हों परन्तु वे पूर्वोत्तर के ऐसे पहले नेता हो गये जो देष के चर्चित नेताओं में अपना स्थान बना दिया है।
चुनाव हार करके भी पूर्वोत्तर के पहले राश्ट्रीय नेता बने संगमा
राश्ट्रपति चुनाव के अधिकारी वी के अग्निहोत्री ने बताया कि कांग्रेस नेतृत्व वाले सप्रंग गठबंधन के प्रत्याषी प्रणव मुखर्जी देष के 13 वें राश्ट्रपति होंगे उनको 7,13,763 वोट मिले और उनके विरोधी व भाजपा नेतृत्व वाली राजग गठबंधन के प्रत्याषी पीए संगमा को 3,13,987 वोट मिले। यानी कुल मतदान को प्रणव को जहां 69 प्रतिषत मत हासिल हुए और संगमा को 31 प्रतिषत मत। हालांकि प्रणव मुखर्जी को सप्रंग गठबंधन के अलावा राजग गठबंधन के मजबूत सहयोगी जदयू व षिव सेना के मत भी हासिल हुए। इसके अलावा सपा व बसपा ने भी उनका अपना खुला समर्थन दिया। प्रणव मुखर्जी देष के 13वें राश्ट्रपति होंगे। भले ही वे किसी भी अंध विष्वास पर विष्वास नहीं करते हैं परन्तु 13 का अंक उनके जीवन में बहुत ही लाभकारी रहा। उनका निवास भी 13 तालकटोरा रोड़ है। वे 25 जुलाई को राश्ट्रपति पद की षपथ ग्रहण करेंगे। वे राश्ट्रपति के पद से सेवानिवृत हो रही श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का स्थान ग्रहण करेंगे। वहीं संगमा भले ही राश्ट्रपति का चुनाव हार गये हों परन्तु वे पूर्वोत्तर के ऐसे पहले नेता हो गये जो देष के चर्चित नेताओं में अपना स्थान बना दिया है।
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