पाक आतंकियों से बेहद खतरनाक हैं बंगलादेशी घुसपेटियों (आतंकियो ) को देश से खदेड़े सरकार
असम को शीघ्र सेना के हवाले करके बंगलादेशी घुसपेटिये आतंकियों से देशवासियों की रक्षा करे सरकार
कोकराझार में बंगलादेशी घुसपेटियों ने जिस बेरहमी व दुसाहसपूर्ण ढ़ग से भारत में भारतवासियों पर संगठित हमला बोल कर कत्लेआम का तंांडव मचाया, उन देश उस पर वोट बैंक के मोह में प्रदेश व केन्द्र की कांग्रेस सरकार नुपुंसकों की तरह मूक रहने के कारण असाम के 21 जिलों में दंगा फेल गया है, इस कारण वहां पर 50 हजार से अधिक लोग अपनी जान बचाने के लिए लोग राहत केम्पों में किसी तरह अपनी जान बचा कर जी रहे है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि पूर्वोत्तर के राज्यों में गत कुछ दशकों से बंग्लादेशी घुसपेटिये आतंकियों ने बड़ी संख्या में घुसपेट करके षडयंत्र के तहत आसाम के दो दर्जन के करीब जनपदों को बंगालादेशी घुसपेटिये आतंकी बाहुल्य जिलों में तब्दील करके आसाम पर एक प्रकार का कब्जा कर लिया है और प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार दोनों ने राष्ट्र विरोधी चुप्पी बना कर अक्षम्य अपराध किया। हालांकि वर्तमान दंगों में सरकार की तरफ से दंगाईयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे कर कई जनपदों में सेना ने भी मार्च किया परन्तु स्थिति ज्यों की त्यों है। जो खबरे आसाम से अखबारों आदि माध्यमों से आ रही है वह स्थिति को चिंताजनक ही नहीं विस्फोटक बता रही है। खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह असाम से प्रतिनिधी रहे उनको इसका शायद ही भान होगा, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई बार घुसपेटिये मुद्दे पर सरकार को मिली फटकार के बाबजूद वोट बैंक के लालच में इस समस्या का ठोस हल निकाल कर इन बंगलादेशी घुसपेटियों को आतंकी मानते हुए इनको देश से खदेड़ने का काम नहीं कर रही है। सरकार को चाहिए कि इन पाक आतंकियो ंसे खतरनाक देश के लिए साबित हो चूके बंगलादेशी आतंकियों को देश की एकता व अखण्डता की रक्षा करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बना कर इनको यहां से खदेड़ा जाय। जो सरकारें या राजनैतिक दल इसको सामान्य घुसपेट मानती है उनको असाम में बंगलादेशी घुसपेटिये आतंकियों से यहां पर किये गये कब्जे व यहां के मूल निवासियों को अल्पसंख्यक बना कर खदेड़ने को देख कर इसकी गंभीरता को समझना चाहिए। पाक आतंकी तो देश राजनैतिक सत्ता व भू भाग पर कब्जा नहीं करते परन्तु बंगलादेशी घुसपेटिये आतंकी चुपचाप षडयंत्र की तरह टिड्डी दल की तरह काबिज हो कर प्रदेश में कब्जा कर वहां के मूल निवासियों को खदेड़ देते है।
देश के हुक्मरानों की इसी शर्मनाक नपुंसकता, सत्तालोलुपता व अदूरदर्शिता के कारण देश ने पहले कश्मीर खोया, अब आसाम खो रहे हैं, यही नहीं जिस प्रकार से सीमान्त प्रदेश उत्तराखण्ड में भी इसी प्रकार घुसपेटियों को संरक्षण व प्रदेश के मूल लोगों के हितों को रौंद कर उनको बसाया जा रहा है उससे वह दिन दूर नहीं जब उत्तराखण्ड में भी असाम व कश्मीर की तरह घुसपेटियों का सम्राज्य हो जायेगा। इस लिए देश के तमाम सीमान्त क्षेत्रों में किसी भी सूरत में बाहरी लोगों के बसने पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्यों व संसद में ‘भारत सुरक्षा कानून’ का निर्माण करने के साथ देश में घुस गये बंगलादेशियों को अविलम्ब बंगलादेश में वापस भेजा जाय। इसे सामान्य घुसपेट न मानते हुए देश पर कब्जा करने वाले आतंकी घुसपेट मान कर सरकारें देश रक्षा के लिए कठोर निर्णय लें और जलते हुए असाम को बचाने के लिए तुरंत सेना के हवाले कर दिया जाना चाहिए। इसके साथ उन अधिकारियों व नेताओं की लिस्ट बना कर उनको दण्डित करने का काम करें जो इन देशद्रोही घुसपेटियों को देश में बसाने का राष्ट्रद्रोही कार्य में संलग्न है। इसके अलावा जनता को इस बात का भान होना चाहिए कि यह हिन्दू या मुस्लिम दंगा नहीं अपितु देश पर कब्जा करने का बंगलादेशी आतंकियों का भारत के खिलाफ संगठित षडयंत्र है। देश के प्रत्येक नागरिक को इसका विरोध करना चाहिए।
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