-दंगा नहीं यह भारत पर बंगलादेशी आंतकियों का हमला है:-भारतीय मुक्ति सेना

-कारगिल हमले से खतरनाक है देश पर बंगलादेशी आतंकियों का यह  हमला 

-असम दंगे हुक्मरानों व राजनैतिक दलों द्वारा किया गया अक्षम्य राष्ट्रद्रोह है

नई दिल्ली(प्याउ) । भारतीय मुक्ति सेना के प्रमुख देवसिंह रावत ने दो टूक शब्दों में कहा कि यह न तो जातीय दंगा है नहीं धार्मिक दंगा है, अपितु यह देश के हुक्मरानों की सह पर बंगलादेशी घुसपेटिये आतंकियों का भारत में काबिज हो कर भारत पर किया गया सीधा हमला है। भारतीय मुक्ति सेना प्रमुख श्री रावत ने स्पष्ट किया कि यह मात्र कलंक या दंगे नहीं अपितु यह दंगों ने देश के हुक्मरानों व राजनैतिक दलों द्वारा देश में बंगलादेशी आतंकियों की घुसपेट को नजरांदाज करके उनको राष्ट्र की एकता व अखण्डता पर इस तरह से हमला करके देश के भू भाग पर कब्जा करने के पाक आतंकियों द्वारा कारगिल हमले से भी खतरनाक हमला है। श्री रावत ने कहा कि दंगा या संघर्ष मान कर प्रधानमंत्री न केवल अपनी जिम्मेदारी से बचने की नापाक कोशिश कर रहे है। देश के हुक्मरानों के साथ देश की राजनैतिक पार्टियां ने आज तक इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। केवल कुछ समय राजनैतिक लाभ उठाने के लिए इस प्रकार के मुद्दों को हवा में उठाने का काम किया गया परन्तु कभी ंगंभीरता से इसको किसी भी दल ने नहीं लिया। आज जो लोग इसे मात्र दंगा मान रहे हैं वे भी इस समस्या पर पर्दा डालने में सहभागी है।
असम में इस पखवाडे हुए दंगांे को ‘राष्ट्र पर कलंक बताने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान पर कड़ी भत्र्सना करते हुए भारतीय मुक्ति सेना के प्रमुख देवसिंह रावत ने दो टूक शब्दों में कहा कि इसे केवल दंगा मान कर देश के माथे पर कलंक करार दे कर मनमोहन सिंह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते व नहीं वे यह बयान दे कर इसके खतरनाक कारणों पर राहत रूपि 300 करोड़ रूपये का पर्दा डाल कर राष्ट्र को गुमराह नहीं कर सकते है।
गौरतलब है कि एक सप्ताह से असाम के कोकराझार क्षेत्र में हुआ दंगा असाम के कई जनपदों में फेलने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार 28 जुलाई को प्रभावित क्षेत्रों को दौरा किया और कई पीड़ित लोगों से मिलने के बाद इस दंगे को देश के माथे पर कलंक बताते हुए पीड़ित लोगों की राहत के लिए 300 करोड़ रूपये का ऐलान भी किया। उन्होंने लोगों को सुरक्षा देने व दोषियों को दण्डित करने का करार देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि सभी प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के बीच सुरक्षा प्रदान करने के आश्वासन के साथ साथ की दोषियों को सजा दिलाने का आश्वासन भी दिया।
गौरतलब है कि असमवासी बोडो जनजाति के लोगों व मुस्लिमों ं के बीच हुई व्यापक मारकाट में कम से कम 5 दर्जन से अधिक लोग मारे गए हैं और 2 लाख से अधिक लोगों को आततायियों से जान बचाने के लिए अपना घर बार छोड़कर शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पडा। । भारतीय मुक्ति सेना ने इस बात पर गहरा आक्रोश प्रकट किया कि प्रधानमंत्री ने इस समस्या की मूल कारण बंगलादेशी आतंकी घुसपेट पर अपनी जुबान न खोलते हुए उल्टा ‘घुसपेटियों को भी इस देश का नागरिक बता कर उनको भी देश के नागरिकों की तरह सुुरक्षा व संरक्षण देने की बात कह डाली। प्रधान मंत्री ने कहा था ‘हम सब एक जन और एक राष्ट्र हैं तथा हमें इसी तरह एक साथ रहना है। हमें पूरे इलाके में निश्चित तौर पर अमन और शांति बहाल करनी चाहिए और मैं आप सभी से यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने का आह्वान करता हूं।’ उन्होंने कहा कि यह समय मरहम लगाने का है। जबकि प्रधानमंत्री को दो टूक शब्दों में कहना था कि भारत की धरती में घुस कर भारतीयों पर हमला करने वाले आतकियों को भारत पर हमला करने के अपराध की सजा मिलेगी। उनको बंगलादेशी घुसपेटियों की युद्धस्तर पर जांच का ऐलान करने व उनको अविलम्ब धरपकड करने के लिए असम सरकार को स्पष्ट निर्देश देने चाहिए थे। परन्तु वोट बैंक के मोह में प्रधानमंत्री ने न केवल देश पर हुए इस हमले को नजरांदाज किया अपितु इस पर पर्दा डालते हुए घुसपेटियों को भी एक प्रकार का शर्मनाक संरक्षण दे डाला।
असम के मूल निवासियों में प्रमुख बोडो आदिवासी क्षेत्रों में जिस प्रकार से देश व प्रदेश की सरकारों की देशद्रोही लापरवाही के कारण लाखों की संख्या में बंगलादेशी आतंकी घुसपेटियों ने देश में रहने वाले देशद्रोही राजनैतिक आकाओं के संरक्षण के सह पर यहां पर कब्जा कर भारतीयों को इन क्षेत्रों से खेदेड़ने का काम कर रहे है। इसी कारण से यह समस्या आज विस्फोटक बन गयी है। आज असम की राजनीतिक शक्ति भी काफी हद तक बंगलादेशी आतंकी घुसपेटियों के हाथों में आ गयी है। राजनैतिक दलों के सत्तालोलुपु देशद्रोही नेताओं की शह पर बंगलादेशी आतंकी न केवल असम में अपितु बंगाल, दिल्ली, उत्तराखण्ड सहित देश के कई भागों में अपना राशन कार्ड व वोटर कार्ड बना चूके है। परन्तु वोट बैंक के लालच में देश व प्रदेश की सरकारें इस समस्या का ईमानदारी से तत्काल समाधान खोजने के बजाय अधिकांश राजनैतिक दल इस समस्या पर मूक कर कर देश के साथ देशद्रोह कर रहे है। आज जो हमला बंगलादेशी आतंकियों ने असम के भारतीयों पर किया वह कल आने वाले दिनों में देश के जिस जिस प्रदेशों में वे बसाये गये हैं वहां पर हो तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। अपने आप को धर्म निरपेक्ष कहलाने की अंधी होड़ में न तो राजनैतिक दल व नहीं पत्रकार या बुद्धिजीवी भी इस खतरनाक समस्या पर मुंह खोलने के लिए तैयार है। इसी कारण आज कश्मीर के बाद असम भी काबू से बाहर हो गया है। कश्मीर में जहां पाक आतंकियों का राज चलता तो असम में अब बंगलादेशी आतंकियों का राज चलने लगा है। देश के हुक्मरानों, राजनेताओं, बुद्धिजीवियों व पत्रकारों का यही हालत धीरे धीरे देश के अन्य प्रदेशों की होने वाली है। देश के हुक्मरान जहां वोट बैंक के लोभ में देश में कट्टवादी राष्ट्रद्रोहियों को न केवल देश के कानून से अपितु देश की एकता व अखण्डता से शर्मनाक खिलवाड़ करने की शह दे रहे हैं जो किसी प्रकार राष्ट्रद्रोह से कम नहीं है। अगर देश की जनता इस गंभीर समस्या के प्रति अभी से जागृत नहीं हुई तो आने वाले समय में पाक से अधिक बंगलादेशी आतंकी देश को तबाह करने के कारण बनेंगे। अगर देश के प्रति देश के हुक्मरानों को जरा सा भी प्यार है या अपनी जिम्मदारी को वहन करना चाहते हैं तो अविलम्ब देश से बंगलादेशी आतंकियों को देश से बाहर खदेड़ने का काम युद्ध स्तर पर करना चाहिए। वह भी एक पल गंवाये बीना। अगर इसमें देर कर दी गयी तो आने वाले समय में इस दिशा में कदम उठाने की कोई सरकार सोचने की ताकत भी नहीं रहेगी और देश की सत्ता बंगलादेशी आतंकियों व पाक आतंकियों के सहयोग से देश में रह रहे इनके संरक्षक देशद्रोहियों के हाथों में आ जायेगी। जिससे भारत का राष्ट्रांतरण हो जायेगा। आज तमाम सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों व पत्रकारों को देश की रक्षा के लिए बंगलादेशी आतंकियों से रक्षा करने के लिए सरकार व राजनैतिक दलों पर दवाब बनाने के लिए व्यापक जनदवाब बनाने के लिए आगे आना चाहिए। आज देश के खिलाफ तमाम सरकारों व राजनेताओं द्वारा किये गये भ्रष्टाचार से बडी समस्या है यह। इसका निदान करना ही देश का प्रथम धर्म है।

Comments

Popular posts from this blog

-देवभूमि की पावनता की रक्षा की फिर भगवान बदरीनाथ ने- निशंक के बाद मनंमोहन को भी जाना होगा

नव प्रभात शुभ प्रभात हो