चकबंदी से ही होगा उत्तराखण्ड से पलायन सहित तमाम समस्याओं का समाधानःगरीब 

गोष्ठी में गैरसेंण राजधानी व वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा से आहत आंदोलनकारी 

उत्तराखण्ड के समग्र विकास के लिए एक गोष्ठी का आयोजन

नई दिल्ली(प्याउ)। उत्तराखण्ड की ज्वलंत समस्याओं पर दिल्लीवासी उत्तराखण्डियों का ध्यान आकृष्ठ करने के लिए उत्तराखण्ड से कुछ युवाओं के मार्गदर्शन व सहयोग से दिल्ली के पॅंचकुइयाँ रोड स्थित गढ़वाल भवन में रविवार 29 जुलाई को दिन भर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी में सम्मलित अग्रणी राज्य आंदोलनकारी जगदीश भट्ट व विनोद नेगी ने दो टूक प्रश्न किया कि प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर इस प्रकार की गोष्ठी का प्रयास हालांकि नये युवाओं का सराहनीय प्रयाश के बाबजूद इस गोष्ठी में गैरसेंण राजधानी जैसे ज्वलंत मुद्दे के साथ साथ उपस्थित वरिष्ट राज्य आंदोलनकारियों व समाजसेवियों की उपेक्षा करना समझ से परे की बात रही। यह आंदोलनकारियों का अपमान ही है वहीं यह आयोजकों की निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है।
गोष्ठी के घोषित विषय. कृषि-भूमि की खरीद-फरोक्त पर रोक लगाना  2. पर्वतीय क्षेत्र में आवश्यक चकबंदी कानून बनवाना । 3. राज्य की शिक्षा, कृषि, रोजगार तथा चिकित्सा नीति घोषित करवाना । 4. पर्वतीय राज्य की संकल्पना को परिभाषित करने के लिए गैरसैण को राजधानी घोषित किया जाना रहा। परन्तु सांय 5 बजे तक अधिकांश वक्ताओं ने इन मुद्दों पर खासकर राजधानी गैरसैंण पर प्रकाश डालना तो रहा दूर इस विषय को छेडना भी उचित नहीं समझा। आयोजकों ने खुद इस विषय पर अपनी तरफ से चर्चा को गोष्ठी के घोषित विन्दुओं की तरफ मोड़ने का प्रयास तक नहीं किया। इस गोष्ठी का संचालन इसके आयोजक हल्द्वानी से आये अधिवक्ता चन्द्र शेखर करगेती, भूपाल सिंह बिष्ट व शेखर शर्मा ने किया। इस गोष्ठी के मुख्यवक्ता व दिल्ली से अपना व्यवसाय - मकान बेच कर अपने गांव जा कर विगत 35 सालों से चकबंदी करके कृषि करके लोगों को स्वालम्बन होने की प्रेरणा देने वाले अग्रणी समाजसेवी गणेश सिंह नेगी ‘गरीब’ ने दो टूक शब्दों में कहा कि चकबंदी किये बीना पहाड़ की समस्याओं का निदान नहीं हो सकता। चकबंदी को पहाड़ में पलायन सहित तमाम समस्याओं के समाधान का मूल मंत्र बताने वाले समाजसेवी श्री गरीब ने कहा कि उत्तराखण्ड की शिक्षा में प्राथमिक कक्षा से ही कृषि को अनिवार्य विषय की तरह पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा जब से हमारी शिक्षा से कृषि को दूर किया तब से हमारे युवा बेरोजगार ही नहीं बेकार हो गये।
इस गोष्ठी में का शुभारंभ करते हुए हल्द्वानी से आये सूचना अधिकार के कार्यकत्र्ता गुरविंदर सिंह चड्ढा, ने जनता से आवाहन किया कि अपने गांव व क्षेत्र के विकास को सुनिश्चित करने व उसमें हुए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए मात्र दस रूपये का पोस्टल आर्डर से सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांग कर विकास किया जा सकता है।
वहीं इस गोष्ठी में अग्रणी समाजसेवी मुजीब नैथानी ने प्रदेश में कुशासन के बारे में विस्तार से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त आंकडों के द्वारा अब तक की सरकारों द्वारा किये गये विकास को बेनकाब किया। वहीं प्रख्यात पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा ने प्रदेश को बांधों में डुबोने का उतारू प्रदेश की सरकारों को आडे हाथ लिया। इसके साथ उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री बहु्रगुणा का सीधा नाम न लेते हुए इशारों इशारों में उन पर करारा प्रहार किया। उनके अनुसार प्रदेश में अनैक हवाई पट्टियां बनाने की वर्तमान मुख्यमंत्री की घोषणा पर कटाक्ष करते कहा कि लगता है मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को सड़क से जोड़ने के बजाय नेपाल के शासकों की तरह धन्नासेठों के लिए हवाई पट्टियां बनाने की चिंता ज्यादा सता रही है। इसके साथ जमीनी पत्रकार श्री बहुगुणा ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान सत्तासीन सरकार के मुखिया ने विधायकों की खरीद फरोख्त की संस्कृति स्थापित की  है वह लोकशाही के लिए काफी खतरनाक है। उन्होंने कहा कि पहले प्रदेश में लोकशाही को दुषित करते हुए राजनैतिक दल आम मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए शराब व रूपये बांटते थे, अब इस संस्कृति से और शर्मनाक ढ़ग से चुने हुए प्रतिनिधियों को खरीदने की प्रथा प्रदेश की लोकशाही पर एक प्रकार से ग्रहण ही लगा रही है। इसके लिए प्रदेश की वर्तमान सरकार की जितनी भी निंदा की जाय उतनी कम है।
इस गोष्टी के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले म्यर उत्तराखण्ड के महासचिव भूपाल सिंह बिष्ट के अनुसार इस गोष्ठी में चकबंदी के लिए विगत 30-40 वर्षों से कार्यरत गणेश सिंह नेगी गरीब के सहयोगी कपिल डोभाल,  मुजीब नैथानी, डा. आशुतोष पन्त, वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा, सामाजिक कार्यकर्ता अरण्य रंजन,  हरीश आर्य, नाबार्ड के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक जगत सिंह बिष्ट, दूरदर्शन में समाचार वाचक ‘एंकर नदीम अंसारी, राजेंद्र भट्ट, सुभाष डबराल, समाजसेवी और कोयला मंत्री के ओ एस डी एस के नेगी, विमला रावत, पूर्व ब्लाक प्रमुख सल्ट कमला रावत, सुप्रसिद्ध गीतकार-गायक चन्द्र सिंह राही, त्रिभुवन चन्द्र मठपाल, प्रदीप नौडियाल,  शैलेन्द्र सिंह नेगी, संजय बिष्ट, अनिल कुकरेती, दयाल पाण्डे आदि लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये । इसके अलावा इस गोष्ठी में वरिष्ठ समाजसेवी प्रेम सुन्दरियाल, उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के महासचिव जगदीश भट्ट व उपाध्यक्ष विनोद नेगी, राज्य आंदोलन के दौरान गोली से घायल हुए श्री रावत, जितेन्द्र ेवलियाल, कैलाश बेलवाल,धीरज जोशी, नीरज पवार, हिमांशु बिष्ट, हिमांशु पुरोहित, दीपक बिष्ट आदि भी उपस्थित थे ।
इस मुहिम को लक्ष्य-प्राप्ति तक जारी रखने के आह्वाहन के बाद स्वर्गीय श्गिर्दाश् के प्रसिद्द गीत ‘जैंता इक दिन ता आलो उ दिन यौ दुनी माँ के साथ गोष्ठी का समापन हुआ ।
गोष्ठी के सफल आयोजन के लिए सर्वश्री सुदर्शन रावत, भूपालसिंह बिष्ट,  धीरेन्द्र अधिकारी, देवेन्द्र बिष्ट, भारत रावत, शेखर शर्मा, त्रिलोक रावत, हरीश रावत, नन्दन सिंह मेहता इत्यादि को उपस्थित लोगों ने बहुत-बहुत बधाई । वहीं इस समारोह में म्यर उत्तराखण्ड के अग्रणी मोहन बिष्ट की अनुपस्थिति सभी को खल रही थी। वहीं उपस्थित आंदोलनकारियों ने आशा प्रकट की कि भविष्य में आयोजक अपनी इन भूलों को सुधार कर इसे सच्चे अर्थो में उत्तराखण्ड की विचार गोष्ठी बनायेंगे। सबसे हैरानी की बात यह है कि गैरसैंण राजधानी बनाने की मांग के लिए जहां राज्य गठन आंदोलनकारी संगठन निरंतर इस मुद्दे को हवा देते रहते वहीं तेजी से उभरा म्यर उत्तराखण्ड संगठन भी इस मांग को लेकर गैरसेंण तक मार्च कर चूका है। इसके बाबजूद म्यर उत्तराखण्ड के सहयोग से आयोजित गोष्ठी में इस मुद्दे पर विशेष जोर न दिया जाना अपने आप में गहरे प्रश्न खडे करता है। जबकि इस गोष्ठी का संचालन आधे समय म्यर उत्तराखण्ड के पदाधिकारी के हाथों में भी रहा।

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