कांग्रेस के वर्तमान पतन के लिए जिम्मेदार हैं आला नेतृत्व के आत्मघाति बौने संकीर्ण सलाहकार
कांग्रेस के वर्तमान पतन के लिए जिम्मेदार हैं आला नेतृत्व के आत्मघाति बौने संकीर्ण सलाहकार
या खुदा ये कैसा जमाना आ गया,
कातिल खुद फैसला सुनाने आ गया।
यह शेर मुझे तब याद आया जब यह खबर पढ़ने में मायी कि कांग्रेस ने अभी हाल में सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हुई कांग्रेस की दुर्गति पर समीक्षा करने का ऐलान किया। और इसके लिए देश के रक्षा मंत्री व कांग्रेस आला कमान के सबसे खास सलाहकार एके एंटनी के नेतृत्व में कबीना मंत्री सुशील कुमार शिंदे और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित वाली एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। इसके अलावा इसी बात पर मुझे हंसी आ रही है। यह समिति प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर डेढ़ दर्जन आला नेताओं से पुछताछ करेगी। यह समिति टिकट वितरण से लेकर अब तक के पूरे घटनाक्रम की बारिकी से विश्लेषण करेगी। तथा इसकी रिपोर्ट कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को सोंपेगी। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने भी अपनी विस्तृत रिपोर्ट कांग्रेस आला कमान व इस गठित समिति दोनों को सोंप दी है। मुझे हंसी इस बात पर आ रही हे कि जांच कांग्रेस आलाकमान ने इस बात की करनी चाहिए थी कि किसने बिना जनाधार व अनुभवीहीन व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने की धृष्ठता करके कांग्रेस, प्रदेश व जनादेश का अपमान करने का कृत्य किया। सोनिया गांधी को चाहिए था कि ऐसी समिति का गठन करती जिसमें ये पता चले कि चुनाव में क्यों प्रदेश प्रभारी चोधरी बीरेन्द्रसिंह ने किससे मिल कर प्रदेश में तिवारी के जनता की नजरों में बेनकाब हो चूके हवाई प्यादों को टिकट सहस्रपुर आदि से दिलायी ? क्यों प्रभारी चैधरी बीरेन्द्रसिंह ने उन विजयी हो सकने वाले पार्टी के नेताओं की टिकट काटी जो बाद में टिकट न मिलने पर स्वतंत्र प्रत्याशी बन कर चुनाव में विजयी हुए। उन कांग्रेसी मठाधीशों को चिन्हित करके पार्टी से किनारा लगाया जाय जो दागदार नेताओं को मुख्यमंत्री बनाने की पुरजोर पैरवी करके जनाधार व साफ छवि के नेताओं को प्रदेश का नेतृत्व से वंचित करने के लिए निरंतर षडयंत्र रच रहे थे। पार्टी आला कमान ने जो समिति गठित की उससे साफ लगता है कि इतनी जगहंसाई कराने के बाद भी कांग्रेस आला नेतृत्व को अपनी भूल को सुधारने के लिए ईमानदारी से काम नहीं कर रही है। वहीं राहुल गांधी के प्रत्याशी के नाम पर तीन चार कांग्रेसी संगठन के प्रत्याशियों को छोड़ कर ऐसी हल्की प्रत्याशियों को राहुल गांधी के नाम पर उतारा गया जिनका कांग्रेसी इतिहास दो साल का भी नहीं रहा व नहीं समाजसेवा का कोई एक कदम तक उनकी उपलब्यिों में जुडा हुआ था। प्रदेश में चुनाव में आनन्द शर्मा व चैधरी बीरेन्द्र जैसे हवाइ्र नेताओं को उत्तराखण्ड जेसे देवभूमि वाले जागरूक प्रदेश में थोपने की कांग्रेसी नेतृत्व की धृष्ठता का परिणाम ऐसा ही होना था। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि जो कांग्रेसी नेता कांग्रेस की लुटिया डुबोने के लिए खुद जिम्मेदार हें वे ही कांग्रेस की हार पर चिंतन कर रहे हैं और गुनाहगारों को ढूंढ रहे हैं। इससे बड़ा मजाक और दूसरा क्या हो सकता है।
पांच राज्यों में हुए चुनाव में पूर्वोत्तर को छोड़ कर केवल उत्तराखण्ड ही राज्य ऐसा राज्य है जहां की जनता ने कांग्रेस की लाज रखी। उत्तराखण्ड भले ही लोकसभा सदस्यों की दृष्टि से छोटा राज्य हो परन्तु यहां के लोग देश में जो माहौल बनाने का काम पूरे देश में करते हें उसका प्रभाव किसी भी बडे से बडे प्रदेश से कम नहीं होता है। उत्तराखण्ड की प्रबुद्ध जनता ने जिस प्रकार से अण्णा हजारे, स्वामी रामदेव व भाजपा के तमाम विरोध के बाबजूद कांग्रेस को प्रदेश में सत्तासीन करने का ऐतिहासिक कार्य किया था उस जनादेश का सम्मान करने के बजाय कमजोर व संकीर्ण मानसिकता के अलोकतांत्रिक व्यक्ति को मुख्यमंत्री का पद सोंप कर जनादेश का जहां अपमान किया वहीं प्रदेश व कांग्रेस के हितों को अपने ही हाथ से गला घोंटने का काम भी किया।
पंजाब में कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनावों में पंजाब के सबसे बडे वर्ग को प्रभावित करने वाले सच्चा सौदा वालों ने समर्थन देने की भूल की तो अकाली सरकार ने उनकी क्या दुर्गति की, कहर ढाये, ऐसे समय में कांग्रेस ने सच्चा सौदा का साथ देना तो रहा दूर उनका अकालियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया। इसी भूल को सुधारने के लिए इस समय सच्चा सौदा ने अकालियों के अनुरोध को स्वीकार किया। इस समय अकालियों ने सौदे पर लगाये गये मुकदमें वापस ले लिये। जो पार्टी या व्यक्ति अपने समर्थकों का साथ नहीं देती, एक दिन समर्थक उसको उसके हाल पर छोड़ देते हैं। ऐसे ही हाल पंजाब में कांग्रेस ने राष्ट्रवादी विचारों के लोगों के साथ किया, अकाली सरकार बेअंत सिंह के हत्यारे को फांसी की सजा बचाने में लगी रही परन्तु कांग्रेस का विरोध ऐसा नहीं रहा कि जो लोगों के मनोबल को बनाये रखता।
जा को प्रभु दारूण देई ताकी मति पहले हर लेई,
ऐसा ही कांग्रेस की वर्तमान हालत देख कर लगता है। सबसे हैरानी की बात यह है कि देश की आजादी के लिए दशकों तक जनसंघर्ष करने वाली राजनैतिक पार्टी व देश में लोकशाही ही नहीं विकास की नींव रखने वाली कांग्रेस का नेतृत्व आज इतना बौना व आत्मघाति हो गया है कि उसे अपने दल व अपने समर्थकों का हित ही नहीं दिखाई दे रहा है। वह अपने निर्णयों से स्वयं अपनी जड़ों में न केवल मट्ठा डाल रहा है अपितु अपनी बर्बादी का कच्चा चिट्ठा भी अपने ही हाथों से लिख रहा है। क्या पार्टी आला नेतृत्व इतना बौना और अविवेकी है कि उसको इस बात का भी भान नहीं है कि उनके क्षत्रपों की क्षमता व उनके अब तक की उपलब्यियों का भी भान नहीं है। क्या कांग्रेस आला नेतृत्व का स्वयं अपना तंत्र इतना अक्षम्य, स्वार्थी व अविवेकी है कि वह एक प्रदेश के मुख्यमंत्री पर जनाधार, साफछवि के विरिष्ठ नेताओं को दरकिनारे करके ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना जो अपनी प्रतिभा का परचम मुम्बई उच्च न्यायालय में फहरा चूका है। क्या सोनिया गांधी ने जनादेश के साथ साथ इस जनमत को समझने की एक छोटी सी कोशिश तक की कि क्यों जनता ने खंडूडी के मुख्यमंत्री होते हुए प्रदेश से लोकसभा चुनाव में भाजपा का पूरा सुफडा ही साफ किया और अब फिर विधानसभा चुनाव में खुद खंडूडी सहित तमाम उन लोगों को उखाड फेंका जो प्रदेश में लोकशाही का मजाक उडा रहे थे। क्यों जनता ने तिवारी व खंडूडी के कुशासन को उखाड़ फेंका? असल में अहमद पटले, जनार्जन द्विवेदी व चैधरी बीरेन्द्र सिंह जैसे सलाहकारों के दम पर सोनिया गांधी ने कांग्रेस की नाक बचाने वाले उत्तराखण्डियों के जनादेश का अपमान करने की भूल करके विजय बहुगुणा जैसे जनाधार विहिन नेता को मुख्यमंत्री बनाने की धृष्ठता की उसका जवाब 2014 में लोकसभा चुनाव में जनता न केवल पूरे उत्तराखण्ड से अपितु देश से कांग्रेस को सत्ता से बाहर उखाडने का काम करेगी। उत्तराखण्डी जनता ने बाबा रामदेव, अण्णा हजारे व खण्डूडी -भाजपा के तिस्लिम को तोड़ कर कांग्रेस की लाज रखने का काम किया था कांग्रेस ने उसका ऐहसान जनादेश का अपमान करके चुकाया, इस अपमान को देवभूमि कभी माफ नहीं करेगी और राव की तरह किये गये उत्तराखण्ड द्रोह की सजा को कांग्रेस को देश की राजनीति से फिर बनवास में भेजने का काम करेगी। वहीं प्रदेश के जनादेश का अपमान करने वाली ऐसी प्रदेश सरकार को ज्यादा समय तक अपने सीने में मूंग दलने नहीं देगी। शेष श्रीकृष्ण। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।
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