अमेरिका के प्यादा बने भारत व पाक के हुक्मरान
अमेरिका के प्यादा बने भारत व पाक के हुक्मरान
आज जरदारी भारत आये, कभी मुशर्रफ भी आये थे। मनमोहन सिंह से मेल मिलाप होगा कभी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तो उनसे भी पाक के हुक्मरानों की मुलाकात होती रही। मुलाकात दोनों देशों के हुक्मरान की होती है, पर सच्चाई यह है कि दोनों देश के हुक्मरानों के दिल भले ही न मिले परन्तु दुनिया को दिखाने के लिए गले जरूर ंहंसते हुए मिलते दिखते है। परन्तु दोनों अपनी खुशी से नहीं अपितु अमेरिका की मर्जी से मिलते है। पाक व भारत के हुक्मरानों को अमेरिका इसी प्रकार मिलाता व लडवाता है जिस प्रकार मुर्गा वाला मदारी लोगों के सामने अपने दोनों मुर्गो को लडाता व मिलता है। अमेरिका के दवाब में दोनों देश इस प्रकार से शत्रुता के शिकंजे में जकड़े हुए हैं कि दोनों देश अब अपने अवाम की दिली इच्छा को दरकिनारे करके भी वे एक दूसरे की जड़ों में मट्ठा डालने से बाज नहीं आते हैं। मामला चाहे कारगिल, कंधार, संसद, मुम्बई सहित भारत मेंहो रे आतंकी हमलें की हो या अन्य। सभी में पाक की संलिप्ता से जग जाहिर हो गया कि पाक केवल अमेरिकी संरक्षण मिलने के कारण इतना दुशाहसी बना हुआ है। अगर भारत व पाक ने अपने हितों के बजाय अमेरिका के इशारे पर काम करने से बाज आना चाहिए। नहीं तो दोनों देशों को तबाही के अलावा कुछ दूसरा हासिल नहीं होगा।
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