मुलायम-राव से अधिक गुनाहगार निकले उत्तराखण्ड के सत्तालोलुपु हुक्मरान
मुलायम-राव से अधिक गुनाहगार निकले उत्तराखण्ड के सत्तालोलुपु हुक्मरान
अखिलेश व डिम्पल के विवाह को तुल देना उचित नहीं
मुलायम सिंह व राव, उत्तराखण्डियों की अस्मिता को रौंदने वाले दो दुर्दान्त कुशासक रहे, इनको व इनके कहारों को जो प्रदेश की अस्मिता को रौंदते देख कर भी इन के अंध समर्थक रहे वे भी उत्तराखण्ड के भी इनके समान ही खलनायक है। खासकर उत्तराखण्ड के आस्तीन के सांप जो मुलायम व राव के इस कुकृत्य के बाद भी उसके समर्थक रहे उनको उत्तराखण्ड के सपूत आज भी माफ नहीं कर सकता। यहां पर चर्चा मुलायम के बेटे व बहु की हो रही है। हमारा शास्त्र कभी बेगुनाह को दण्डित करने या उससे धृणा करने की इजाजत नहीं देता। अखिलेश उस समय न तो सपा का पदाधिकारी था व नहीं डिम्पल शायद इस मान अपमान का भान तक होगा। ये शायद उस समय बचपन यानी स्कूलों में होगे। हाॅं नैतिकता दोनों में नहीं रही होगी। जैसी नैतिकता प्रहलाद आदि बच्चों में रही। अगर रहती तो अखिलेश इस काण्ड के लिए जरूर अपने पिता की तरफ से माफी मांगते। मुझे तो मुलायम सिंह के बेटे से उत्तराखण्डी बेटियों की शादी होने पर जरूर दुख हुआ परन्तु इस बात का भी भान रहा कि दोनों बच्चे एक दूसरे से प्रेम करते थे, अखिलेश ने बडे परिवारों के आम बच्चों की तरह मात्र मित्र बदलने के बजाय डिम्पल से हुए अपने प्यार को शादी के बंधन में बंध कर निभाया, यह संतोषजनक है। मेरे आंदोलनकारी कई मित्रों ने इस शादी पर मुझे लिखने के कहा। मैने इस विषय पर बहुत मनन किया। राज्य गठन जनांदोलन का एक आंदोलनकारी के तौर पर मुझे मुलायम सिंह यादव के परिवार से किसी भी उत्तराखण्डी का शादी जेसा रिश्ते के बंधन में बंधना अपने मुंह पर कालिख पौछने के समान लगा। परन्तु एक सामान्य व्यक्ति के तौर पर मुझे लगा कि आज के समाज में जहां शिक्षित वयस्क बच्चों को आज के माॅं बाप अपनी इच्छा को उसी प्रकार से नहीं थोप सकते हैं जो आज से तीन या चार दशक पहले हमारे समाज में माॅं बाप ही बच्चों के रिश्ते जोड़ते थे। वेसे भी गुनाहगार तो मुलायमसिंह यादव है, उसका बेटा नहीं। हाॅं शिशुपाल व रामगोपाल ही नहीं विनोद बर्तवाल, सूर्यकांत धस्माना आदि लोग जो उस समय मुलायम के इन अत्याचारों के बाबजूद कहार बने हुए थे, उनको दोषी माना जा सकता। आज देहरादून में मुजफरनगर काण्ड के बाद भी मुलायम के कहार बने लोगों से गले मिलने वाले राजनेता व कांग्रेस भाजपा कहां पीछे है। विनोद बर्तवाल हो या सूर्यकांत धस्माना क्या इनसे मिलने को आज कांग्रेस भाजपा के नेता ही नहीं तथाकथित सामाजिक संगठनों के वे लोग भी तनिक सा भी नहीं संकुचाते जो अपने आप को उत्तराखण्डी आंदोलनकारी बनते है। क्या कांग्रेस पार्टी आज उत्तराखण्डी शहीदों के हत्यारों को गले लगाने में शर्म महसूस करती। क्या मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा हो या तिवारी इनको इन लोगों के साथ खडे होने में जरा सी भी अपराध बोध होता है। जो लोग मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों के संरक्षक रहे लोगों को प्रदेश में महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर आसीन करने का काम बहुत ही निर्लज्जता से करते है उनकी स्तुतिगान जब यहां का मीडिया व समाजसेवी करते हैं तो मेरी आत्मा रोती है। राज्य गठन के बाद मुजफरनगर काण्ड पर घडियाली आंसू बहाने वालों के राज में मुलायम सिंह यादव ही नहीं अनन्त कुमार व बुआ सिंह जेसे लोगों की हिम्मत उत्तराखण्ड की धरती पर पांव रखने की हुई।
आज जिन लोगों ने उत्तराखण्ड की धरती को राज्य गठन के बाद भू माफियाओं के हाथों बेचने का कुकृत्य किया, जिन लोगों ने मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को दण्डित करने के बजाय शर्मनाक संरक्षण देने, प्रदेश की जनांकांक्षाओं व विकास के प्रतीक राजधानी गैरसैंण बनाने के बजाय षडयंत्र के तहत बलात देहरादून थोपने, उत्तराखण्डियों की राजनैतिक शक्ति को कुंद करने के लिए थोपे गये जनसंख्या के आधार पर विधानसभाई सीटों का परिसीमन कराने पर मूक रहना और प्रदेश में सुशासन देने के बजाय अपने निहित स्वार्थो के लिए जातिवाद, क्षेत्रवाद व भ्रष्टाचार की गर्त मे ंप्रदेश को बर्बाद करना आदि कार्यों में जो लिप्त हैं वे तमाम मुलायम व राव से बदतर उत्तराखण्डियों के गुनाहगार हैं। आज उत्तराखण्ड राज्य गठन के 12 सालों में उत्तराखण्ड के स्वाभिमान व विकास के लिए गठित राज्य को यहां के कांग्रेस व भाजपा के हुक्मरानों ने इस संसार के सबसे ईमानदार समझे जाने वाले देवभूमि उत्तराखण्ड को अपने कुशासन से भारत का सबसे भ्रष्टतम राज्य बना दिया है। इसलिए आज केवल मुलायम व राव को अपराधी बता कर प्रदेश की हालात नहीं सुधरने वाली अपितु आज हमें प्रदेश के शासन पर बेठे दुशासनों पर अंकुश लगाने व प्रदेश में आसीन राजनेताओं पर जनहित में व्यापक कार्य करने के लिए जनदवाब बनाने से ही उत्तराखण्ड की दिशा व दशा सुधर सकती है। इसके लिए आज उत्तराखण्डियों को एक स्वर में प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस द्वारा जातिवादी व भ्रष्टाचारी जो तानाबाना कर दागदार व बोने संकीर्ण मानसिकता के लोगों को उत्तराखण्डियों का भाग्य विधाता बना कर थोपा जाता है उस पर अंकुश लगाने का काम करना होगा । इसके साथ प्रदेश में दागदार छवि के नेताओं को प्रदेश की लोकशाही को कलंकित करने से रोकना होगा। जब तक प्रदेश की जनता जागृत नहीं होगी तब तक अब प्रदेश पटरी पर नहीं आने वाला।
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