शस्त्र से ही नहीं अपितु मजबूत नेतृत्व से महान बनेगा भारत

-भारत के अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण से 

जैसे ही भारत ने 19 अप्रैल 2012 की प्रातः 8 बज कर 05 मिनट पर ओडिशा के व्हीलर द्वीप से अपने  अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का  सफल परीक्षण किया है. तो देश गर्व से झूम गया। किसी सफलता पर गर्वित होने का सभी को हक हैं परन्तु हकीकत को भुला कर सामने खडे खतरनाक स्थिति को नजरांदाज करना किसी के लिए हितकर नहीं है। आज भारत चारों तरफ से न केवल अमेरिका, चीन व पाक जैसे विदेशी दुश्मनों से घिरा हुआ है अपितु स्वयं भारत अपने अंदर देश को भ्रष्टाचार व कुशासन से निरंतर कमजोर कर रहे हुक्मरानों, नौकरशाहों व माफियाओं के शिकंजे में पूरी तरह फंस गया हे। देश की वर्तमान हालत इतनी शर्मनाक है कि जिस दिन पूरा देश अग्नि मिसाइल-5 के सफल परीक्षण का गर्वोक्ति में फूले नहीं समा रहा था उसी दिन देश मे ंशासन प्रशासन की मजबूत कड़ी समझी जाने वाले जिलाधिकारी को यहां के नक्सली बंधक बना कर अपहरण कर चूके थे। हमारी विशाल पुलिस व सुरक्षा तंत्र देश के एक तिहाई क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा चूके नक्सलियों के आगे विवश व नपुंसक नजर आ रही है। वहीं देश की सरकारें कितनी बौनी व असहाय तथा खुदगर्ज है कि न्यायपालिका द्वारा भारत की सर्वोच्च संस्था संसद पर हमले के दोषी को वर्षो पहले फांसी की सजा दिये जाने के बाबजूद यहां की सरकार की इतनी हिम्मत व देशभक्ति नहीं रही कि वे इस देश के दुश्मन को फांसी की सजा दे सके। आज चारों तरफ देश में आतंक से अधिक खतरनाक यहां के भ्रष्ट नौकरशाह, नेता व उद्यमियों का भ्रष्ट गिरोह देश के अस्तित्व पर ग्रहण लगा रहा है।
हालांकि अग्नि मिसाइल-5 के सफल परीक्षण के साथ ही भारत, अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के साथ उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास आईसीबीएम की क्षमता है। इस मिसाइल के सफल प्रक्षेपण से भारत ने पेइचिंग सहित चीन, पूर्वी यूरोप, पूर्वी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलियाई तट के लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता हासिल कर ली है। अग्नि -5 मिसाइल की ताकत की बदोलत भारत अमेरिका को छोड़ कर सारे संसार के देशों को अपने ही देश से अग्नि मिसाइल दाग कर अपने लक्ष्य को तबाह कर सकता है।  हालांकि चीन के विशेषज्ञों ने इसकी मारक क्षमता 8000 किमी तक माना। ेपरन्तु आज जिस प्रकार से देश की पूरी सीमा ही नहीं संसद तक आतंकियों ने अपने हमलों का निशाना बना दिया है। उस के बाबजूद देश का नेतृत्व देश की स्थिति में आमूल सुधार लाने के बजाय अपनी पदलोलुपु राजनीति में ही लिप्त हो कर देश को भ्रष्टाचार व कुशासन के रसातल में धकेल रहे है। स्थिति कितनी विकट है। चीन सीमा पर रेल व सडक का जाल बिछा चूका है। वह कभी भी भारत को अपने आगोश में ले सकता है। परन्तु भारत सरकार न तो सीमान्त प्रदेशों में रेल का युद्ध स्तर पर जाल बिछा रही है व नहीं मोटर मार्गो का ही सुध ले रही है। ऐसी स्थिति में देश की रक्षा कैसे होगी। पाकिस्तान व अमेरिका तथा चीन के तिकोने षडयंत्र का कैसे जवाब देगा भारत यह प्रश्न आज भी देशवासियों को उद्देल्लित कर रहा है। सीमान्त प्रदेश उत्तराखण्ड में मजबूत सरकार के बजाय वहां पर थोपे हुए नेतृत्व से प्रदेश में असंतोष बढ़ाने का कृत्य किया जा रहा है। जबकि उत्तराखण्ड में ही चीन के साथ 11 ऐसे संवेदनशील स्थान है जहां से चीन कभी भी भारत को 1962 की तरह अपना निशाना बना सकता है। चीन की लाल सेना उत्तराखण्ड के 11 स्थानों पर नजर गढ़ाये हुए है। ये स्थान है। 1. मुलिंग ला (उत्तरकाशी) 2. माणा पास (चमोली) 3. नीति पास (चमोली) 4. टुंजुला (चमोली) 5. मरफीला (चमोली) 6. सलसल ला (चमोली) 7. बल्च्याधुरा (पिथौरागढ़) 8. कुंगली बिली (पिथौरागढ़) 9. खटिया सूपना (पिथौरागढ़) 10. मन्साधूरा (पिथौरागढ़) 11. लिपूलेख (पिथौरागढ़) ।
भारत इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है जिनके पास अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है।
इससे पहले बुधवार को इसका परीक्षण होना था लेकिन देर शाम बताया गया कि खराब मौसम के चलते परीक्षण टाला जा
रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि 5000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली ये मिसाइल परमाणु क्षमता से लैस है।
इसका अर्थ ये है कि ये मिसाइल पाकिस्तान के अलावा पड़ोसी देश चीन के सभी हिस्सों तक पहुँचने की क्षमता रखती है.
इसके बाद भारत उन देशों की सूची शामिल हो जाएगा जिसके पास अंतरद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल की क्षमता है। गौरतलब है कि अग्नि-5 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया है। इस मिसाइल की कुल लंबाई 17.5 मीटर है और ये करीब 49 टन वजनी है.
भारतीय रक्षा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार सन् 2010 में अग्नि 3 के सफल प्रक्षेपण और उसके बाद 2011 में अग्नि 4 के सफल प्रक्षेपण के बाद उसी डिजाइन को अग्नि 5 के लिए विकसित किया गया है। भारत की इंडरमीडियेट रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों में अग्नि 1, अग्नि 2 और अग्नि 3 शामिल है जिनकी मारक क्षमता 700-800 किलोमीटर, 2000-2300 किलोमीटर और 3500 किलोमीटर से ज्यादा है।
इससे साफ हो गया कि देश को मजबूत करने के लिए भले ही अस्त शस्त्रों का महत्वपूर्ण योगदान होता है परन्तु उससे अधिक जरूरी किसी भी देश को मजबूत बनने के लिए कुशल नेतृत्व की जरूरत होती है। कुशल नेतृत्व के अभाव में सारा तंत्र व सामरिक हथियार व मजबूत अर्थव्यवस्था भी सोवियत संघ जैसे विश्व महाशक्ति का दर्जा हासिल देश भी रेत के महल की तरह तहस नहस हो जाता है।
भारत में आपार संसाधन, वैज्ञानिक व समारिक क्षमता के बाबजूद आज देश पूरे विश्व में उपहास का केन्द्र बना हुआ है तो यहां के नपुंसक आत्मघाती नेतृत्व के कारण। यहां पर जाति, क्षेत्र, धर्म व लिंग की संकीर्ण राजनीति यहां की प्रतिभा का गला घोंट देती है। हमारे जवान, वैज्ञानिक देश को महान बनाने में जुटा हुआ है परन्तु हमारा आत्मघाती नेतृत्व व भ्रष्ट तंत्र देश को पतन के गर्त में धकेल रहा है। ऐसे में आज देश को मनमोहन जैसे पदलोलुपु अमेरिकी भक्त की नहीं अपितु जरूरत है डा अब्दुल कलाम जैसे देशभक्त नेतृत्व की जो देश को मजबूत बना कर विश्व में उसका गौरव पुन्न प्रदान कर सकता है। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।

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