-सरकारी बैठकों का रिकार्डिग सार्वजनिक करने की मांग करने वाली टीम अण्णा ने खुद को किया बेनकाब  
-अण्णा के वचनों की रक्षा तक नहीं कर पायी टीम अण्णा 
टीम अण्णा ने 22 अप्रैल की बैठक में देश के सम्मुख खुद ही बेनकाब कर दिया। एक तरफ पूरा देश चाहता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश को आंदोलित करने वाले बाबा रामदेव व अण्णा हजारे अलग अलग अपनी ढपली न बजा कर एकजूट हो कर सांझा आंदोलन करे। परन्तु अण्णा की इस मामले में बाबा रामदेव से हुई सहमति के बाबजूद 22 अप्रैल को हुई टीम अण्णा ने बाबा रामदेव के साथ सांझा आंदोलन न चलाने की बात कह कर पूरे देश की उस जनता की आशाओं पर कुठाराघात कर दिया जो चाहते थे कि अण्णा हजारे व बाबा रामदेव दोनों मिल कर भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत आंदोलन छेड़ कर देश को इससे मुक्ति प्रदान करे।  वहीं दूसरी तरफ जो टीम अण्णा सरकार से हो रही वार्ता का रिकार्ड कराकर सार्वजनिक करने की पुरजोर मांग कर खुद को लोकशाही का झण्डाबरदार बता रहा था वहीं टीम अण्णा इसी प्रकार की रिकार्डिग अपनी मीटिंग की करने का आरोप लगा कर बहुत ही बेशर्मी से अपने ही टीम के एक सदस्य मुफ्ती शमीन काजमी को टीम से बाहर करने की बात पूरे देश की मीडिया के सामने चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे। टीम अण्णा के झण्डेबरदार भूल गये कि चंद माह पहले उन्होंने भारत सरकार के साथ अपनी कमेटी की बैठकों की रिकार्डिंग करने की मांग पर कितना हायतोब्बा मचाया था, अब जब उनकी खुद की बैठक की रिकार्डिग अगर कोई सदस्य कर भी रहा था तो उन्होंने क्यों इतना हायतौबा मचाया कि अपनी टीम से उस सदस्य को निकाल दिया। क्या देश को यह जानने का हक नहीं कि टीम अण्णा के सदस्य क्यो सोचते हैं व देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अण्णा व रामदेव दोनों द्वारा सांझे रूप से आंदोलन चलाने की सहमति पर क्या विचार प्रकट कर रहे है। असल में टीम अण्णा को अपनी असलियत की पोल खुलने के भय से रिकार्डिग का भूत सता रहा है। टीम अण्णा के सदस्यों में इतनी भी नैतिकता नहीं रही कि वे अपनी ही बचनों की लाज रख सके, जिसको पूरा करने की वे मांग सरकार या दूसरों से करते हैं, उसका खुद पालन करने पर वे क्यों आग बबुला हो रहे है। हकीकत तो यह है कि टीम अण्णा की नैतिकता उसी समय बेनकाब हो गयी थी जब टीम अण्णा में प्रशान्त भूषण व शांति भूषण दोनों ही सदस्य के रूप में रखे गये। इसके साथ ही प्रशांत भूषण के कश्मीर वाले विवादस्थ बयान पर टीम अण्णा को सांप सुंध गया था।
ऐसी टीम अण्णा जो अपने ही वचनों की रक्षा नहीं कर पाती है और जो अपने टीम के प्रमुख अण्णा द्वारा स्वामी रामदेव के साथ एकजूट हो कर सांझा आंदोलन चलाने के वचन की रक्षा नहीं कर पाता है तो वह देश की सवा अरब जनता के हितों की रक्षा क्या कर पायेगा। सच यह है टीम अण्णा के सदस्यों की चैधराहट के लिए देशवासियों का सांझा संघर्ष चलाने की इच्छा का सम्मान क्या करेंगे। टीम अण्णा के इस नजरिये से अगर किसी को फायदा हुआ तो वह भ्रष्टाचारियों व उसको संरक्षण देने वाले मनमोहन सिंह की सरकार को ।

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